चांदपुर गढ़ी में सरोला ब्राह्मणों से पहले प्रभावशाली थे निरोला बामण
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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गढ़वाल में ब्राह्मण जातियां तीन श्रेणियों में विभक्त रही हैं। सरोला, गंगाड़ी और नाना गोत्री या खस ब्राह्मण। सरोलाओं और गंगाडी के अलावा गढ़वाल में ब्राह्मणों की नागपुरी व्यवस्था भी रही है। हालांकि गढ़ नरेश ने नागपुरी व्यवस्था को...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार एक ऐतिहासिक घटना का उल्लेख कर रहा हूं, जब गढ़वाल की यात्रा पर आए एक प्रधानमंत्री को सरोला बामण का बनाया स्वादिष्ट भोजन पसंद आ गया था। जब तक मैं इस घटना का उल्लेख करूं, तब तक...
गढ़वाली ब्राह्मणों का इतिहास -एक
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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मैं पहले ही साफ कर देता हूं कि मेरा उद्देश्य इतिहास की जानकारी देना मात्र है, नकि, किसी का महिमामंडन करना। मेरा यह आलेख व वीडियो गढ़वाल के पहले प्रमाणिक इतिहास लिखने वाले पं. हरिकृष्ण रतूड़ी, राहुल सांकृत्यायन, डा. शिव प्रसाद डबराल चारण, राय बहादुर...
उत्तराखंड के शिल्पकार-दो
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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आंदोलनों की भूमि उत्तराखंड में पिछली सदी में डोला पालकी आंदोलन हुआ था। बात १९वीं सदी की है। यह उत्तराखंड समेत भारतीय इतिहास में दलितों के अपने अधिकारों को लेकर किए आंदोलनों में से एक था। यह आंदोलन गढ़वाल मंडल से शुरू हुआ था। उत्तराखंड में सवर्णों...
उत्तराखंड के शिल्पकार-एक
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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उत्तराखंड में अनुसूचित जाति के लोगों को शिल्पकार कहा जाता है। ये लोग उत्तराखंड के प्राचीन निवासी भी माने जाते हैं। कहा जाता है कि आज के शिल्पकारों के पूर्वज यहां के प्राचीन निवासी कोल, मुंड, नाग, कुलिंद, किरात, आदि थे। बाद में यहां आए खसों ने...
भगवान बदरी विशाल और तिब्बत के थोलिंग मठ से जुड़ी है चंवरी गाय की कथा
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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सुरा गाय (suragaay) का अर्थ देवताओं की गाय होता है। सुर यानी देवता। आज जानते ही हैं कि सनातन धर्म में गाय को मां का स्थान दिया गया है। हिन्दू (Hindu)धर्म के अनुसार गाय में...
Uttarakhand
चक्रवर्ती सन्यासी जगद्गुरु आदि शंकराचार्य : भरतखंड को एकसूत्र में बांध गया वह नंबूदरी ब्राह्मण
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केदारेश्वर में चिरविश्राम कर रहे हैं आदि शंकराचार्य
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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जगद्गुरु आदि शंकराचार्य को भगवान भोलेनाथ शिव का अवतार माना जाता है। उनका इस धरा पर उस कालखंड में पदार्पण हुआ, जब सनातन धर्म भारत भूमि में लगातार क्षीण होता जा रहा था। उस कालखंड में सनातन धर्म यानी हिंदू धर्म को...
बुक्सा जनजाति को लेकर है यह किवदंति
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा (Dr Harish Chandra Lakhera)
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली (Himalayilog)
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बोक्सा उत्तराखंड की प्रमुख जनजाति है। उत्तराखंड में पांच प्रमख जनजातियां (Major Tribes Of Uttarakhand ) हैं। इनमें जौनसारी, भोटिया, थारू, बोक्सा और राजी जनजाति शामिल हैं। बोक्सा या बुक्सा (Boksa) नैनीताल, उधमसिंह नगर, पौड़ी एवं देहरादून में...
Uttarakhand
कुलिंद-कत्यूरों की राणियों को नकली युद्ध दिखाते हुए बन गया छोलिया/ सरैं लोकनृत्य
admin -
एक हजार साल से भी पुराना है उत्तराखंड का छोलिया/ सरैं नृत्य
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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हिमालयी क्षेत्र में वैसे तो बहुत तरह के लोकनृत्य होते हैं, परंतु इस बार उत्तराखंड के एक विशेष लोकनृत्य को लेकर जानकारी दूंगा। इसे उत्तराखंड के गढ़वाल में सरैं और कुमायुं में छोलिया कहते हैं। गढ़वाल के कुछ...
Uttarakhand
सम्राट मिहिर भोज को लेकर गुर्जर और राजपूतों में विवाद,……. क्या उत्तराखंड के पंवार और चंद राजवंश भी थे गुर्जर प्रतिहार ?
admin -
जानिए-सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे गुर्जर क्यों लगवाना चाहता है गूजर समाज
-कौन हैं क्षत्रिय, राजपूत और गुर्जर
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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सभी भारतीय जानते हैं कि सम्राट मिहिर भोज महान राजा थे। वे गुर्जर प्रतिहार वंश के सबसे प्रसिद्ध राजा थे। अब गुर्जर समाज उनकी प्रतिमाओं के साथ उनके नाम के आगे...