Uttarakhand
परम प्रतापी और दयालु परंतु कामुक गढ़ नरेश, जिसे सौ से ज्यादा नारियां नहीं कर पाई तृप्त !
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हिमालय के दिलचस्प राजा- एक
---और फिर वह जाता था बाजार में मुसलमान तेलिन के पास !
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा।आपको हिमालय के दिलचस्प राजाओं को लेकर जानकारी देने जा रहा हूं। इस कड़ी में गढ़वाल के एक ऐसे राजा के बारे...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
इस बार उत्तराखंड केप्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी (Narendra Singh Negi) से जुड़े एक मुद्दे पर बात करने जा रहा हूं। मैं उनका जीवन परिचय अथवा उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि वे किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उत्तराखंडी खासतौर पर...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
आप जानते हैं कि भारत के बाहर विदेश में कोई व्यक्ति पहली बार सांसद बना तो वह एक उत्तराखंडी था। गढ़वाली था। 1917 में यानी आज वर्ष 2022 से 105 साल पहले फिजी की लेजिस्लेटिव ऐसंबली के लिए मनोनीत किया गया था। जबकि उन्हें भारत से धोखे से बंधुआ मजदूर के...
Uttarakhand
गढ़वाली ब्राह्मणों को प्रारंभ में गढ़वाल राइफल्स में भर्ती क्यों नहीं करते थे अंग्रेज?
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कौन थे तोताराम थपलियाल जी, जिनकी वीरता देख गढ़वाली ब्राह्मणों को सेना में भर्ती करने लगे अंग्रेज
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा। बहुत कम लोग जानते होंगे कि गढ़वाल राइफल्स में शुरू के कई दशक तक गढ़वाली ब्राह्मणों...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा । आप जानते ही हैं कि उत्तराखंड में कुछ समय तक नेपाल के गोरखों का भी शासन रहा है। गढ़वाल में 12 साल और कुमायुं में 22 साल तक गोरख्याली/ गोख्याणी रहा...
लंबे समय तक क्यों एक-दूसरे से किलसते रहे गढ़वाली और कुमायुंनी ?
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहा...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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मैं हूं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा । गढ़वाल में एक पुरानी कहावत है - आधो असवाल, आधो गढ़वाल। इसी असवाल (Aswal of Garhwal)जाति के इतिहास पर बार बात करूंगा। जब तक मैं आगे...
फूल संग्राद/ फूलदेई की शुभकामनाएं
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा / हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई पर बात करूंगा। सबसे पहले आप सभी को इस लोक पर्व की शुभकामनाएं। जब तक मैं आगे...
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मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार गढ़वाल के सभी गढ़ों को जीतकर गढ़देश के संस्थापक पंवार नरेश अजै पाल के बारे में जानकारी दूंगा कि वे महान राजा आखिरकार अंत में जोगी क्यों बन...
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मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार अफगानिस्तान के एक जंगली बकरे की दास्तां सुनाने जा रहा हूं, जिसे गढ़वाल राइफल्स में जनरल कहा गया। मेरे आगे बढ़ने तक आपसे अनुरोध है कि इस हिमालयी...