तालिबान और उत्तराखंड के लैंड जेहादियों का एक ही है सूत्रधार
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नई दिल्ली
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अफगानिस्तान में आप लोग तालिबानियों की हरतकों तो देख रहे हैं। किस तरह से वे लोग अपने ही सजातीय व सधर्मी लोगों पर अपना खौफ बढ़ा रहे हैं याद कीजिए, लुटेरे गजनी, गौरी, बाबर, तैमूर लंग व अब्दाली का दौर। कल्पना कर सकते हैं कि तब ऐसा ही मंजर रहा होगा। अब मुद्दे पर आते हैं।आप जानते ही हैं कि उत्तराखंड में लंबे समय से लैंड जेहाद चल रहा है। इसके तहत सरकारी व जंगल की भूमि पर एक कच्ची सी मजार बनाई जाती है और फिर कुछ दिन वहां पीर बाबा के लिए एक पक्का ढांचा बना लिया जाता है। शायद आपको मालूम नहीं होगा कि इस लैंड जेहाद और तालिबानियों का सूत्रधार एक ही है। वह है पाकिस्तान की खुफिया ऐजेंसी आईएसआई– यानी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस। इसका मिशन है —- उत्तराखंड में मसजिदों और दरगाहों का जाल फैलाओ । इसके लिए उनके ऐजेंट पीर बाबा के नाम पर जमीन हड़पने में लगे हैं।
अब आपको बता रहा हूं कि तालिबान की संरक्षक आईएसआई की पूरह हिमालय को लेकर क्या योजना है। इस बारे में मैं पहले भी लिखता रहा हूं। उत्तराखंड में आईएसआई लंबे समय से अपने मिशन में लगी है। आईएसआई की योजना है कि उत्तराखंड में मसजिदों, दरगाहों, पीर बाबा, मजारों आदि का जाल फैला दिया जाए । हर मंदिर के बगल में मसजिद बनाई जाए। इसके लिए उत्तराखंड की डमोग्राफी भी बदलने की कोशिश की जा रही है। भारत में बैठ आईएसआई के गुर्गे इस योजना पर अमल करने में जुटे हैं। वैसे पूरे भारत में यही योजना है। सड़कों और राजमार्गों के किनारे यही काम हो रहा है। टिहरी झील तक को नहीं छोड़ा जा रहा है। यह सामने देख सकते हैं। हालांकि अब इसे लोगों ने मंदिर में बदल लिया है।
भारत सरकार की खुफिया ऐजेंसी आईबी लगातार आगाह करती रही है कि केंद्र व राज्य सरकारों को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए । परंतु कांग्रेस हो या भाजपा सरकार, सभी इस मामले में खामोश रहते हैं। उत्तराखंड के वे संगठन जो किसी भी परियोजना के लिए सराकरी या पंजायत की जमीन देने के विरोध में आए दिन आंदोलन करते रहते हैं, उन्होंने भी पीर बाबा के मामले में आंखें मूंद रखी हैं। जबकि उत्तराखंड के जंगलों में पीर बाबा प्रकट किए जा रहे हैं। प्रदेश की डेमोग्राफी भी लगातार बदल रही है।यह गति असम से भी तेज है। विशेषतौर पर उत्तर प्रदेश के सीमांत जिलों से बड़ी संख्या में मुसलमान उत्तराखंड में बस रहे हैं। बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान भी उत्तराखंड में बस चुका है। यही घुसपैठिए पीर बाबा के नाम पर लैंड जेहाद में लगे हैं। पहाड़ी भी अपने कुल देवता, ईष्ट देवताओं को भूल कर एजेंसी आईएसआई के गुर्गों के बनाए पीर बाबा की शरण में जा रहे हैं। पलायन करके शहरों में रह रहे पहाड़ी इस मामले में खामोश हैं। यह तो भला हो जो हैं। स्वामी दर्शन भारती यानी देवेंद्र सिंह पंवार जैसे कुछ लोग इस मामले में बेहतर काम कर रहे हैं। यह देखिए कि कुछ महिलाएं किस तरह से काम कर रही हैं।
आईबी की केंद्र सरकार को भेजी रिपोर्ट में कहा गया है कि पलायन के कारण उत्तराखंड के गांवों की आबादी कम हो गई है। ऐसे में वहां बड़ी संख्या में मसजिदें, मजारें, पीर बाबा के बान पर जंगलात व पंचायतों की खाली भूमि कब्जाई जा रही है। इस काम में रुहेलखंड, मेरठ क्षेत्र और बिहार के मुसलमानों के साथ ही बांग्लादेशी घुसपैठी मुसलमानों भी सक्रिय हैं।इस कार्य में कोटद्वार, हल्द्वानी, समेत विभिन्न क्षेत्रों में कुछ राजनेताओं पर भी इन कट्टरपंथियों को शह देने की बात कही गई है। उत्तराखंड के शहरों नैनीताल, श्रीनगर, पौड़ी, हल्द्वानी, रामनगर, काशीपुर,कोट्द्वार से लेकर दुगड्डा, बागेश्वर, अल्मोड़ा समेत प्रमुख कस्बों में इसकी आलीशन मसजिदें बन चुकी हैं। नैनीताल में तो नैना देवी के मंदिर से कई गुना बड़ी मसजिद बन चुकी है। खासतौर पर पिथौरागढ़ और नेपाल के सीमांत क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मसजिदें बनाई जा चुकी हैं। धारचूला में बरेली के एक ठेकेदार ने मसजिद बनवाई हैं।
कुछ साल पहले पौड़ी जिले के सतपुली कस्बे में की घटना के बाद आईबी ने केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट भेजी थी उसमें भी कहा गया था कि उत्तराखंड इस्लामी कट्टर पंथियों के निशाने पर है। आईबी ने यह भी कहा था कि सुनियोजित तरीके से उत्तराखंड में नजीबाबाद, सहारनपुर, रामपुर, मुरादाबाद,बरेली, मेरठ आदि क्षेत्रों से मुसलिम आबादी को बसाया जा रहा है। अब तक उत्तराखंड में बाहर से आए मुसलमानों के कारण इनकी संख्या लगभग २० प्रतिशत हो गई है। कई जगह इनको प्रदेश के नेता भी बसाने में मदद करते रहे हैं। हल्द्वानी और कोटद्वार इसके उदाहरण हैं। हालांकि इसके लिए उत्तराखंड के लोग भी जिम्मेदार हैं। वे छोटे-मोटे काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। वे खेती, व्यवसाय या मजदूरी करने की बजाए नौकरी करने के लिए मैदानों में चले आते हैं। जबकि बाहर से गए मुसलमान पहाड़ में सब्जी बेचने, नाई का काम, मीट बेचना आदि सभी काम कर रहे हैं। लकड़ी चिरान, मकान बनाना समेत सभी काम वही कर रहे हैं। यहां तक कि महिलाओं से जुड़े सामान भी वही बेचते हैं। कबाड़ी काम भी करते हैं। इसके अलावा वहां के छोटे से लेकर बड़े ठेके अब उनके पास ही जाते हैं। इससे वे पहाड़ों में घुसे हैं। उनके साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी अपने गुर्गे बेज रही है। यही गुर्गे वहां पीर बाबा के नाम पर लैंड जेहाद पर अमल कर रहे हैं।
चिंता की बात यह है कि उत्तराखंड की डेमोग्राफी बदलने की रफ्तार असम से भी तेज है। एक ओर पहाड़ मूल के लोगों का शहरों की ओर लगातार पलायन हो रहा है जबकि दूसरी ओर उत्तराखंड के लगभग सभी क्षेत्रों में मुसलिम आबादी बढ़ी है। अगली वीडिवों में विस्तारसे बताऊंगा कि किस तरह से उत्तराखंड की डेमोग्राफी बदल रही है।
दोस्तों यह पाकिस्तान की खुफिया ऐजेंसी आईएसआई का काला चिट्ठा है। अगली कड़ियों में इसी तरह के सरोकारों को सामने रखा जाएगा। यह वीडियो कैसी लगी, कमेंट में अवश्य लिखें। हिमालयीलोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब करना न भूलना। इसके टाइटल सांग को भी सुन लेना। मेरा ही लिखा है। इसी चैनल में है।जै हिमालय, जै भारत।
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