परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा  हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली   इस बार आपको उत्तराखंडी, विशेष तौर पर गढ़वाली सिखों के बारे में जानकारी दे रहा हूं। वे वे सिख नहीं, जो कि पंजाब मूल के हैं और शहरों में रहते हैं। गढ़वाल के गांवों में रह रहे ये लोग सिख नेगी (Sikh Negi) कहलाते हैं और क्षत्रिय यानी राजपूत हैं।...
--- और राग बन गया- मामी तिलै धारो बोला..... हिमालय के दिलचस्प राजा- दो परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली हिमालय के दिलचस्प नरेशों की कड़ी में इस बार एक ऐसे राजा के बारे में बताने जा रहा हूं, जो कि सबसे बड़े अत्याचारी के तौर पर याद किया जाता है। उस कत्यूर नरेश ने अपनी मामी से जबर्दस्ती...
हिमालय के दिलचस्प राजा- एक ---और फिर वह जाता था बाजार में मुसलमान तेलिन के पास !  परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा।आपको हिमालय के दिलचस्प राजाओं को लेकर जानकारी देने जा रहा हूं। इस कड़ी में गढ़वाल के एक ऐसे राजा के बारे...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली  सबसे पहले तो हिमाचलियों को हिमाचल दिवस (Himachal Diwas) की शुभकानाएं। प्रति वर्ष 15 अप्रैल को ‘हिमाचल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। देश की स्वतंत्रता के बाद इसी दिन 15 अप्रैल, 1948 को 30-31  पहाड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश के रूप में नया राज्य भारत के मानचित्र पर...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली हिमालयी राज्य हिमाचल प्रदेश को यह नाम कैसे मिला। यह बात खुद हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की नयी पीढ़ी में भी बहुत कम लोग जानते होंगे। इस बार आपको यही बताने जा रहा हूं कि राज्य के तौर पर हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का नाम कैसे पड़ा और यह नाम किसने दिया।...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली   आप जानते हैं कि भारत के बाहर विदेश में कोई व्यक्ति पहली बार सांसद बना तो वह एक उत्तराखंडी था। गढ़वाली था। 1917 में यानी आज  वर्ष 2022 से 105 साल पहले फिजी की लेजिस्लेटिव ऐसंबली के लिए मनोनीत किया गया था। जबकि उन्हें भारत से धोखे से बंधुआ मजदूर के...
कांगड़ा- श्रीनगर- अल्मोड़ा- काडमांडू –गंगटोक रोड के मामले में अदूरदर्शिता से शेरशाह सूरी जैसा सम्मान नहीं पा सके नेपाल के गोरखा परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली गोरख्याली शासन में एक रोड ऐसी भी थी जो कभी नेपाल की राजधानी  काठमांडू से उत्तराखंड के अल्मोड़ा और श्रीनगर व देहरादून होकर हिमाचल प्रदेश के नहान-कांगड़ा तक जाती थी। दूसरी ओर...
कौन थे तोताराम थपलियाल जी, जिनकी वीरता देख गढ़वाली ब्राह्मणों को सेना में भर्ती करने लगे अंग्रेज परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा। बहुत कम लोग जानते होंगे कि गढ़वाल राइफल्स में शुरू के कई दशक तक गढ़वाली ब्राह्मणों...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली जै हिमालयी-जै भारत। हिमालयीलोग टूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं हूं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा। इस बार एक ऐसा विषय लाया हूं, जिसे पर बोलने से पहले साफ कर देता हूं कि मेरा उद्देश्य किसी का अपमान करना अथवा  किसी का दिल दुखाना नहीं है। मेरा उद्देश्य तो मात्र उस...
  परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा । आप जानते ही हैं कि उत्तराखंड में कुछ समय तक नेपाल के गोरखों का भी शासन रहा है। गढ़वाल में 12  साल और कुमायुं में 22 साल तक गोरख्याली/ गोख्याणी रहा...
error: Content is protected !!