ताराओन से कैसे हार गया गांव का राजा
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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इस लोककथा नागकन्या (Nagkanya & Taraon )और ताराओन से पहले हिमालयी राज्य अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के बारे में भी जान लेते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर का राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी में -उगते सूर्य का पर्वत- है । इस...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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बेडु पाको बारोंमासा (Bedu pako )गीत आज भारत के साथ ही संपूर्ण विश्व में जाना जाता है। इस गीत की धुन सेना की कुमायुं रेजीमेंट का मार्चिंग गीत भी है। इस रेजीमेंट के बैंड की आधिकारिक धुन भी है। कुमायुं के इस लोकगीत को अल्मोड़ा के दो मित्रों ने...
विकास चाहिए तो केंद्र पर दबाव बनाएं हिमालयी राज्य
ले. जनरल मदन मोहन लखेड़ा (पूर्व राज्यपाल मिजोरम)
जनरल लखेड़ा का मानना है कि आजादी के बाद हिमालयी राज्यों का जिस तेजी से विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है। जल और जंगल समेत अधिकतर प्राकृतिक संसाधन हिमालयी राज्यों के हैं, लेकिन उनका फायदा मैदानी लोगों को ज्यादा मिलता है। वह...
( मां वैष्णों देवी के दरबार में अखरोट और सूखा सेब प्रसाद के तौर पर मिलता है। इससे जम्मू-कश्मीर के उत्पाद की बिक्री होती है और स्थानीय लोगों की आमदनी बढ़ती है। लेकिन उत्तराखंड के तीर्थ स्थानों में मैदानी क्षेत्रों से पैक सामान ही प्रसाद के तौर पर मिलता है। क्या उत्तराखंड सरकार को इस दिशा में नहीं सोचना...
फूलों को कुचलते हुए दौड़ रहे हैं
दिशाहीन हो
हमारी नदियों और झरनों को रोक रहे हैं
दिशाहीनता में
इनकी दिशाहीनता अन्यमनस्कता में हृदयहीनता में
हम पीड़ा ग्रस्त हो रहे हैं
यह पृथ्वी रोगाक्रांत हो रही है
यहां बैठकर मैं स्वयं को खा रहा हूं।
मेरे हृदय में चरचरा रहे घाव की
यह पीड़ा मात्र है,
सिर्फ दर्द और टीस है।
तुम जाओं इसी विश्वास में
मैं भीगा लथपथ बैठा हूं।
तुम...
घुघुती -बसूती, क्या खैली, दुधभाती!
याद है आपको मां की सुनाई यह लोरी
घुघुती -बसूती, क्या खैली, दुधभाती,
कु देलो, मां देली----
याद है आपको यह लोरी। बचपन में मां-दादी, नानी, मौसी आदि की सुनाई यह लोरी आज भी हमारे मन-मस्तिष्क में छाई है। लेकिन अब इसे हम भूलते जा रहे हैं।
शहरों में रह रहे उत्तराखंडी शायद ही अपने बच्चों को इसे सुनाते...
सिर को मुंडवा कर क्यों रखते हैं इदु मिश्मी जनजाति के लोग?
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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आज जानते ही हैं कि हिमालयी राज्य अरुणाचल प्रदेश भारत का उत्तर पूर्व का सीमांत प्रांत है। अरुणाचल का अर्थ उगते सूर्य का पर्वत होता है। अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी यानी नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी-...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली
दोस्तों इस बार आपके लिए मां वैष्णोदेवी की कथा लेकर आया हूं।आप सभी ने जम्मू की वैष्णो माता का नाम अवश्य सुना होगा। इस बार मां वैष्णोदेवी की कथा और उनके पवित्र धाम तक पहुंचने का रास्ता भी बताऊंगा।
मां वैष्णो देवी की गुफा हिमालयी राज्य जम्मू-कश्मीर में है। यह गुफानुमा मंदिर...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली
बंधुओं इन बार आपके लिए हिमालयी क्षेत्र में रहने वाली प्राचीनतम जातियों विशेषतौर पर राक्षसों को लेकर जानकारी लेकर आया हूं। इस वीडियो में वैदिक व पौराणिक काल सहित प्राचीन कालखंड की बात करुंगा। आज राक्षसों के बारे में पहले तो पौराणिक तौर पर और फिर इतिहास की दृष्टि से जानकारी...
तमांग ने कैसे पहचाना अपना पति? अरुणाचल प्रदेश की लोक-कथा
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा /हिमालयीलोग की प्रस्तुति/नयी दिल्ली
दोस्तों, मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार सुदूर प्रांत अरुणाचल प्रदेश की लोककथा आपके लिए लेकर आया हूं। जब तक मैं कहानी को लेकर आगे बढूं, इस हिमालयीलोग चैनल को लाइक और सब्सक्राइब कर दीजिए।
अरुणाचल प्रदेश में तमांग नाम की...