अरसा उत्तराखंड का प्रसिद्ध पकवान है। यह शादी व्याह और अन्य खुशी के मौके पर बनाया जाता है। कहा जाता है कि यह पकवान केरल से आया, जब आदि शंकराचार्य यहां आए थे। कुछ लोग मानते हैं कि यह पकवान उडीसा से आया।
अरसा व्यंजन बनाने के लिए 250 ग्राम भीगे चावल, 100 ग्राम गुड़, 500 मिलीलीटर तेल की जरुरत...
हिमालय की बेटी गौरा देवी को भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में याद किया जाता है। जंगलों को बचाने के लिए पेड़ों पर चिपकने का रास्ता उन्होंने ही दिखाया था। इसी वजह से इसे चिपको आंदोलन कहा जाने लगा। उत्तराखंड में जन प्रतिरोधों की परम्परा में यह आंदोलन अपना विशिष्ट स्थान रखता है। जहां एक ओर इस आंदोलन...
कुमाऊँनी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक भाषा/बोली है। इस भाषा को हिन्दी की सहायक पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है। कुमाऊँनी भारत की ३२५ मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और २६,६०,००० (१९९८) से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिलों - अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर,...
Dharma-Karma
साल में सिर्फ एक बार खुलते हैं मां नंदा के धर्म भाई श्री लाटू देवता के मंदिर के कपाट
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चमोली। उत्तराखंड के एक देवता ऐसे भी हैं, जिनके दर्शन उनका पुजारी भी नहीं कर पाता। यह मंदिर वर्ष में सिर्फ एक बार बैशाख पूर्णिमा के दिन कुछ घंटे के लिए खुलता है। मंदिर के द्वार खोलते समय पुजारी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। इस मंदिर में किसी वीआइपी की भी नहीं चलती है। वीआइपी की छोड़िए,...
उत्तराखंड के पहाड़ों में लोगों ने अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का इजाद किया है। इनमें दाल, भात के साथ ही कपुलु, फाणु, झ्वली, चैंसु , रैलु, बाड़ी, पल्यो, चुना (कोदा) की रोटी, मुंगरी (मक्का) की रोटी, आलू की थिचोड़ी, आलू का झोल, जंगोरा का भात, जंगोरा, अरसा, बाल मिठाई, भांग की चटनी, भट्ट की...
यह उत्तराखंड की प्रसिद्ध व्यंजन है। दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में यह उपलब्ध है।
विधि--
उत्तराखंड में काला भट्ट होता है जिसे काला सोयाबीन भी कहते हैं। साबुत भट्ट को अच्छी तरह से साफ कर लें, और उन्हें तवे में भून लें।
इससे पहले कढ़ाही में तेल गर्म करें, उसमें साबूत जीरा डालकर भूने। जीरा जब हल्का भूरे रंग का दिखने लगे...
देहरादून। ‘उत्तराखंड आंदोलन : स्मृतियों का हिमालय’ पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार हरीश लखेड़ा को एक नवंबर को देहरादून के टाउन हॉल में सम्मानित किया गया । राज्य की 17वीं वर्षगांठ पर हो रहे कार्यक्रमों के तहत टाउन हॉल में यह कार्यक्रम हुआ है।
उत्तराखंड राज्य गठन के 17 साल बाद इस अभूतपूर्व आंदोलन पर समग्रता में दस्तावेजों के साथ...
नेपाली या खस कुरा नेपाल की राष्ट्रभाषा है । यह भाषा नेपाल की लगभग ४४ लोगों की मातृभाषा है। यह भाषा नेपाल के अतिरिक्त भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्वी राज्यों असं असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय तथा उत्तराखण्ड के अनेक भारतीय लोगों की मातृभाषा है। भूटान, तिब्बत और म्यानमार के भी अनेक लोग यह भाषा बोलते हैं।नेपाल भाषा...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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गढ़वाल के भड़ जीतू बगड्वाल ( jeetu Bagdwal)और भरणा की प्रेम गाथा आज भी लोक में जीवंत है। इसका आज भी मंचन किया जाता है।
जीतू का कालखंड गढ़ नरेश मानशाह के समय है। मानशाह ने गढ़वाल पर सन 1591 से 1610 तक शासन किया। मान्यताओं के...
बुरांश के फूल का जूस हृदय रोग, किडनी, लिवर के अलावा रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने और हड्डियों को सामान्य दर्द के लिए बहुत लाभदायी होता है। राज्य वृक्ष और इतने सारे औषधीय गुण होने के बावजूद भी बुरांश के फूलों का वैज्ञानिक तौर पर उपयोग नहीं होता है।स्थानीय स्तर पर ही इस के फूलों का जूस बनाया जाता है।...