ताराओन से कैसे हार गया गांव का राजा
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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इस लोककथा नागकन्या (Nagkanya & Taraon )और ताराओन से पहले हिमालयी राज्य अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के बारे में भी जान लेते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर का राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी में -उगते सूर्य का पर्वत- है । इस सीमांत प्रदेश की सीमांएं भूटान, तिब्बत और म्यांमार से जुड़ी हैं। यहां हिंदी बोली जाती है। अरुणाचल प्रदेश को 1962 से पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी अर्थात नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी यानी नेफा के नाम से जाना जाता था। सन 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केन्द्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम ‘अरुणाचल प्रदेश’ किया गया। इस सब के बाद 20 फरवरी 1987 को यह भारतीय संघ का 24 वां राज्य बनाया गया।
यह लोककथा नागकन्या और ताराओन (Nagkanya & Taraon ) इसी प्रदेश से संबंधित है। बहुत पुरी बात है। भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में लोहित नदी के किनारे मिसमा नाम का एक गांव था। वहां एक युवक मछुआरा ताराओन रहता था । उसके माता-पिता का निधन हो चुका था। एक दिन ताराओन नदी में मछली पकड़ने गया । उस दिन मछली के स्थान पर एक नाग उसके जाल में फंस गया । वह नाग, नागलोक का राजा था । उसकी एक सुंदर बेटी थी। अपने पिता को जाल में फंसा देखकर नागकन्या घबरा गई। उसने सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर लिया । वह ताराओन के पास पहुंचकर बोली-यदि तुम मेरे पिताजी को छोड़ दोगे तो मैं तुमसे विवाह कर लूंगी ।
ताराओन मान गया और उसने नाग को छोड़ दिया। इसके बाद नागकन्या ने उससे विवाह कर लिया।
ताराओन और नागकन्या (Nagkanya & Taraon )का विवाह गांव वालों को पसंद नहीं आया। उन्होंने विवाह की जानकारी गांव के राजा को दे दी। राजा ने ताराओन को बुलाकर कहा-तुमने हमारी परम्पराओं को तोड़ा है, तुम्हें दंड मिलेगा। कल सुबह तुम्हारे और मेरे मुर्गे में लड़ाई होगी, जो हारेगा, उसे गांव छोड़कर जाना होगा। ताराओन डर गया। उसने घर आकर सारी बातें पत्नी को बताई । नागकन्या ने कहा कि इसमें इतना डरने की क्या बात है । मैं अभी नागलोक से एक बलवान मुर्गा ले आती हूं। यह कहकर वह नाग लोक चली गई। कुछ देर बाद वह मुर्गा लेकर आ गई । (Lokkatha)
दूसरे दिन राजा और ताराओन के मुर्गे आपस में भिड़ गए । नागलोक का मुर्गा अधिक बलवान था इसलिए राजा का मुर्गा हार गया, परन्तु राजा ने हार नहीं मानी। उसने कहा कि ताराओन , इससे फैसला नहीं हो पाया है। अतः कल सुबह जो टोकरी नदी को उलटी दिशा में बहा देगा, वही विजयी होगा। ताराओन के लिए लोहित नदी के बहाव को उलटी दिशा में मोड़ना असंभव था। उसने यह बात नागकन्या को बताई। उसने पति को ढांढस बंधाते हुए कहा कि डरो मत। मेरे पिताजी तुम्हारी मदद करेंगे नागकन्या अपने पिता के पास गई । नागकन्या ने अपने पति की परेशानी बताई। उसके पिता ने उसे सुंदर टोकरी दी और कहा कि टोकरी को नदी में डालते ही, धारा उलटी दिशा में बहने लगेगी। नागकन्या टोकरी लेकर अपने घर पहुंची। उसने ताराओन को सारी बातें बता दीं ।
अगले दिन राजा और ताराओन समेत गांव के लोग नदी के किनारे पहुंचे। ताराओन ने टोकरी नदी में डुबो दी| इस पर तुरन्त नदी का बहाव उलटकर राजा के महल तक पहुंच गया । ताराओन खुशी से झूम उठा । वह राजा से बोला कि राजन । मैं जीत गया हूँ । शर्त के अनुसार आपको यह गांव छोड़कर चले जाना चाहिए।राजा बहुत जिद्दी था। वह हार मानने को तैयार नहीं था। राजा ने कहा कि इस निर्णय को भी अंतिम नहीं माना जाएगा । अब हमें युद्ध करना चाहिए। इसी युद्ध से निर्णय होगा ।
इस पर ताराओन परेशान हो गया। वह भागा-भागा अपनी पत्नी के पास पहुंचा और उसे सारी बातें बताईं। राजा के पास बड़ी फौज थी परन्तु ताराओन तो अकेला था । नागकन्या उसकी परेशानी सुनकर फिर नागलोक में पहुंची। वहां से वह सोने का ढोल और उसे बजाने की छड़ी ले आई। अगली सुबह राजा अपनी फौज के साथ लड़ाई के लिए आया। ताराओन पहले से ही तैयार था। राजा और फौज को देखकर नागकन्या ढोल बजाने लगी । ढोल की ढम-ढम सुनकर वृक्ष, जानवर, घास-पत्ते आदि नाचने लगे। जबकि राजा और उसके सैनिक भी हथियार फेंककर झूमने लगे। इस तरह ताराओन युद्ध जीत गया। इसके बाद राजा को गांव छोड़कर जाना पड़ा। इसे बाद ताराओन और उसकी पत्नी नागकन्या गांव के राजा-रानी बन गए। आज भी माना जाता है कि इन दोनों के वंशज ही अरुणाचल के ताराओन जनजाति से रूप में जाने गए।
दोस्तों मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार सुदुर प्रांत अरुणाचल प्रदेश की एक लोककथा –नागकन्या – लेकर आया हूं। यह लोककथा अरुणाचल प्रदेश की जनजाति ताराओन से संबंधित है। जब तक मैं इस कहानी को शुरू करूं, तब तक इस हिमालयी लोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब अवश्य कर दीजिए। आप जानते ही हैं कि हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति, इतिहास, लोक, भाषा, सरोकारों आदि को देश- दुनिया के सामने रखने के लिए हिमालयीलोग चैनल लाया गया है। आप इस आलेख को हिमालयीलोग वेबसाइट में पढ़ भी सकते हैं। सहयोगी यूट्यूब चैनल संपादकीय न्यूज ।
दोस्तों यह थी सूदूर प्रांत अरुणाचल प्रदेश की लोककथा- नागकन्या और ताराओन। यह वीडियो कैसी लगी, कमेंट में अवश्य लिखें। हिमालयीलोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब करना न भूलना। इसके टाइटल सांग – हम पहाड़ा औंला– को भी सुन लेना। मेरा ही लिखा है। इसी चैनल में है।अगली वीडियो का इंतजार कीजिए। तब तक जै हिमालय, जै भारत।