मुगलों को खदेड़ने वाले वीर लाचित के साथ भारतीय इतिहासकारों का भेदभाव परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com  हिमालयी क्षेत्र के पूर्वोत्तर के राज्य असम के उस महान  वीर सपूत लाचित बोड़फुकन  जैसे महान योद्धा के कारण  मुगल आक्रांता पूर्वोत्तर भारत को अपने अधीन नहीं कर सके।  वीर सपूत - लाचित बोड़फुकन को भले ही मैदानी इतिहासकारों...
 जानिए-सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे गुर्जर क्यों लगवाना चाहता है गूजर समाज -कौन हैं क्षत्रिय, राजपूत और गुर्जर परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com सभी भारतीय जानते हैं कि सम्राट मिहिर भोज महान राजा थे। वे गुर्जर प्रतिहार वंश के सबसे प्रसिद्ध  राजा थे। अब गुर्जर समाज उनकी प्रतिमाओं के साथ उनके नाम के आगे...
  खान नहीं, मेवाड़ का क्षत्रिय था नेपाल का शाह राजवंश                परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा                    हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली    www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com हिमालयीलोग यूट्यूब आने के बाद नेपाली (Nepali) तथा भारतीय गोरखा Indian Gorkha) समाज के कई बंधुओं से यह सुनने को मिलता है कि गोरखा शब्द का अंतिम आखर खा यानी खां यानी खान है। जिसका अर्थ राजा...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com तिब्बत (Tibet)  भी हिमालयी क्षेत्र में है। भले ही आज उस पर चीन (china) का अवैध कब्जा है,लेकिन वह भारतीय संस्कृति (India)  का अभिन्न हिस्सा रहा है। भगवान भोलेनाथ का कैलाश और मानसरोवर आज के तिब्बत में है। कभी तिब्बत के बड़े भूभाग पर गढ़वाल के पवांर और कुमायुं...
नेपाल के मस्टो यानी कुल देवता  परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नेपाल ( Nepal)के खस  (Khas)अपने मस्टो को 64 बकरी या भेड़ों की बलि देते हैं। जिंदा बकरी व भेड़ का रक्त पीते हैं। नेपाल में वैदिक आर्य और खस आर्य, किरात, मगर, लिंबू, समेत आर्य और मंगोल मूल...
  बग्वाल या बूढ़ी दीवाली  (Diwali)का भगवान राम से कोई लेना-देना नहीं परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और उत्तराखंड (UTtarakhand)में दीपावली के बाद लगभग ११ दिन से एक माह के दौरान फिर से दीवाली मनाई जाती है। इसे कहीं बूढ़ी दीवाली, कहीं इगास-बग्वाल कहा जाता है। इन दोनों राज्यों में प्रचारित किया...
हिमालयी लोगों के साथ पक्षपात करते रहे हैं मैदानी इतिहासकार परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com यह सोचनीय विषय है कि  हिंदी भाषी लोग भारत (India) के अन्य क्षेत्रों के लोगों के बारे में बहुत कम जानते हैं। भारत का इतिहास भी दिल्ली के धर्मांध व लुटेरे तुर्कों, मुगलों (Mugal) पर केंद्रित होकर लिखा गया है।...
 अफगानिस्तान में कभी गाई जाती थी वेदों की ऋचाएं परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com सहयोगी यूट्यूब चैनल संपादकीय न्यूज अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर भारत वर्ष के इतिहास की कल्पना नहीं की जा सकती। अफगानिस्तान  7वीं सदी तक अखंड भारत का एक हिस्सा था। अफगानिस्तान में कभी वेदों की ऋचाएं गाई जाती थी। अफगान पहले एक...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति ,नई दिल्ली www.himalayilog.com  /  www.lakheraharish.com सहयोगी यूट्यूब चैनल- संपादकीय न्यूज  भारत में कहावत है कि संसार में एक ही रावण हुआ। रावण नाम का दूसरा कोई व्यक्ति नहीं हुआ।  राम नाम के तो बहुत से लोग मिल जाएंगे, लेकिन रावण नाम कोई नहीं रखता है। लंकाधिपति रावण को दशानन भी कहते हैं। रावण एक कुशल...
सिद्धों और नाथ की गाथा -२  परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com सहयोगी यूट्यूब चैनल- संपादकीय न्यूज  हिमालयी क्षेत्र में नाथों की तरह सिद्धों का भी निवास रहा है। पौराणिक ग्रन्थों में कहा गया है कि उत्तरी हिमालय में सिद्ध, गन्धर्व, यक्ष, किन्नर जातियां निवास करती थीं। आज भी कई क्षेत्रों में कुछ ऐसे पूजा स्थल आज...
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