उत्तराखंड के शिल्पकार-दो
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
आंदोलनों की भूमि उत्तराखंड में पिछली सदी में डोला पालकी आंदोलन हुआ था। बात १९वीं सदी की है। यह उत्तराखंड समेत भारतीय इतिहास में दलितों के अपने अधिकारों को लेकर किए आंदोलनों में से एक था। यह आंदोलन गढ़वाल मंडल से शुरू हुआ था। उत्तराखंड में सवर्णों...
प्राचीन हिमालयी लोगों के समान महिलाओं को स्वतंत्रता तैयार है भारतीय समाज?
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
E- mail- himalayilog@gmail.com
जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार उस प्राचीन हिमालयी समाज की उन विशेष प्रथाओं की उल्लेख करने जा रहा हूं, जो...
कौन थे लाट सूबेदार बलभद्र सिंह !
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति, इतिहास, लोक, भाषा, सरोकारों आदि को देश- दुनिया के सामने रखने के लिए हिमालयीलोग वेबसाइट/ चैनल लाया गया है।
अफगानिस्तान वहां सत्ता में आए आतंकी समूह तालिबान के कारण इन दिनों चर्चा में है। उत्तराखंड के लोगों के अफगानिस्तान से काफी...
उत्तराखंड में आपदाओं से मुक्ति के लिए क्यों होती थी बेडवार्त
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति ,नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति, इतिहास, लोक, भाषा, सरोकारों आदि को देश- दुनिया के सामने रखने के लिए हिमालयीलोग चैनल लाया गया है।
उत्तराखंड में कभी महामारी, अकाल आदि प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति पाने के लिए भगवान को प्रसन्न करने के लिए...
History of Himalaya
जानिए – तिब्बती राजा और चीनी राजकुमारी का महल कैसे बन गया दलाई लामा का पोताला पैलेस
admin -
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
तिब्बत (Tibet) भी हिमालयी क्षेत्र में है। भले ही आज उस पर चीन (china) का अवैध कब्जा है,लेकिन वह भारतीय संस्कृति (India) का अभिन्न हिस्सा रहा है। भगवान भोलेनाथ का कैलाश और मानसरोवर आज के तिब्बत में है। कभी तिब्बत के बड़े भूभाग पर गढ़वाल के पवांर और कुमायुं...
विवाहित नारी को अपार अधिकार देने वाला हिमालयी खस समाज
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
E- mail- himalayilog@gmail.com
जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार -- छण-मण की बांद –या ‘छन मण की बान (Chhan man ki band baan)- को लेकर जानकारी...
उत्तराखंड के शिल्पकार-एक
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
उत्तराखंड में अनुसूचित जाति के लोगों को शिल्पकार कहा जाता है। ये लोग उत्तराखंड के प्राचीन निवासी भी माने जाते हैं। कहा जाता है कि आज के शिल्पकारों के पूर्वज यहां के प्राचीन निवासी कोल, मुंड, नाग, कुलिंद, किरात, आदि थे। बाद में यहां आए खसों ने...
History of Himalaya
कुमायुं कटक तो गढ़वाल अटक ! गढ़वाल कटक तो कुमायुं अटक ! सुनी है यह कहावत ?
admin -
लंबे समय तक क्यों एक-दूसरे से किलसते रहे गढ़वाली और कुमायुंनी ?
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / Sampadkiya News यूट्यूब चैनल
www.lakheraharish.com
E- mail- himalayilog@gmail.com
जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है।
मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहा...
हिमाचल प्रदेश का इतिहास-एक
जै हिमालय, जै भारत।
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
E- mail- himalayilog@gmail.com
जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार महाभारत कालीन हिमाचल प्रदेश के बारे में जानकारी लेकर जानकारी लेकर आया हूं।
जब तक मैं आगे बढूं, तब तक आपसे अनुरोध है कि इस हिमालयी लोग चैनल को...
History of Himalaya
नेपाली गोरखाओं के लिए विशेष- मंगोलों से शुरू हुआ ‘खान’ सरनेम, मुसलमानों से नहीं
admin -
खान नहीं, मेवाड़ का क्षत्रिय था नेपाल का शाह राजवंश
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
हिमालयीलोग यूट्यूब आने के बाद नेपाली (Nepali) तथा भारतीय गोरखा Indian Gorkha) समाज के कई बंधुओं से यह सुनने को मिलता है कि गोरखा शब्द का अंतिम आखर खा यानी खां यानी खान है। जिसका अर्थ राजा...