------------प्रो. हरिमोहन हिमालय विश्व का गौरव है। इसमें विशेष रूप से भारत और समूची भारतीय संस्कृति की विराटता एवं औदात्य एक साथ रूपायित होते हैं। इसलिए भारत और हिमालय दोनों एक-दूसरे के पर्याय हो गए हैं। सदियों से अपने धवल रूप में मौनद्रष्टा की भांति खड़ा यह गिरिराज भारतीय संस्कृति एवं जनजीवन में होने वाले परिवर्तनों का साक्षी रहा है।...
हिडिंबा के राज्य में थी एक बीरा बैण /नये अंदाज में उत्तराखंड की लोक-कथा परिकल्पना-डा. हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति दोस्तों, बीरा बैण की कहानी हम सभी दादी-नानी के समय से सुनते आ रहे हैं। यह कहानी सदियों से एक ही ढर्रे पर चल रही है। मैंने इस लोककथा को उसके कालखंड से जोड़ने तथा इसे नये तरीके से पेश करने...
केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्थरों...
एक गांव में एक दर्जी रहता था। उसने एक बकरी पाली हुई थी। वह बकरी बातें करती थी। उस दर्जी के तीन बेटे थे। वे दर्जी-पुत्र जब बड़े हुए तो दर्जी ने उन्हें बकरी चराने का काम सौंपा। वह बकरी दिन भर चरती और भर पेट खाती। पर जब दर्जी शाम को उस पर हाथ फेर कर उससे हाल...
हिमालय की बेटी गौरा देवी को भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में याद किया जाता है। जंगलों को बचाने के लिए पेड़ों पर चिपकने का रास्ता उन्होंने ही दिखाया था। इसी वजह से इसे चिपको आंदोलन कहा जाने लगा। उत्तराखंड में जन प्रतिरोधों की परम्परा में यह आंदोलन अपना विशिष्ट स्थान रखता है। जहां एक ओर इस आंदोलन...
लैंसडौन। गढ़वाल रेजीमेंट के मुख्यालय लैंसडौन से लगभग 25 किमी दूर है प्रसिद्ध धाम ताडक़ेश्वर महादेव। देवदार के पेड़ों के बीच है यह धाम। आसपास बांज, बुरांश और चीड़ का घने जंगल है। कोटद्वार- रिखणीखाल मोटर मार्ग पर चखुलियाखाल से लगभग सात किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित ताडक़ेश्वर महादेव मंदिर सदियों से लोगों की आस्था और धार्मिक पर्यटन का केन्द्र...
error: Content is protected !!