पहाड़ जैसा कठिन जीवन जी रहे हिमालयी लोगों के लिए अब तेंदुआ व गुलदार अब बहुत बड़ी मुसीबत बनकर सामने आए हैं। यह बात खुद केंद्र सरकार भी मानने लगी है। अकेले उत्तराखंड में ही पिछले एक दशक के दौरान तेंदुआ व गुलदारों ने 560 हमलों में 203 लोगों को मार डाला और खा गये।
इसलिए केंद्रीय पर्यावरण व वन...
Uttarakhand
चक्रवर्ती सन्यासी जगद्गुरु आदि शंकराचार्य : भरतखंड को एकसूत्र में बांध गया वह नंबूदरी ब्राह्मण
admin -
केदारेश्वर में चिरविश्राम कर रहे हैं आदि शंकराचार्य
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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जगद्गुरु आदि शंकराचार्य को भगवान भोलेनाथ शिव का अवतार माना जाता है। उनका इस धरा पर उस कालखंड में पदार्पण हुआ, जब सनातन धर्म भारत भूमि में लगातार क्षीण होता जा रहा था। उस कालखंड में सनातन धर्म यानी हिंदू धर्म को...
आज शिवजी को ब्वो च हे……..पहाड़ में विवाह में क्यों गाया जाता है ये मांगल गीत
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जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार हिमालयी क्षेत्र में विशेष तौर पर उत्तराखंड में सदियों से विवाह...
सिद्धों और नाथ की गाथा -२
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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सहयोगी यूट्यूब चैनल- संपादकीय न्यूज
हिमालयी क्षेत्र में नाथों की तरह सिद्धों का भी निवास रहा है। पौराणिक ग्रन्थों में कहा गया है कि उत्तरी हिमालय में सिद्ध, गन्धर्व, यक्ष, किन्नर जातियां निवास करती थीं। आज भी कई क्षेत्रों में कुछ ऐसे पूजा स्थल आज...
जानिए पहाड़ का धार्मिक प्रसाद अरसा का इतिहास
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार पहाड़ के सबसे प्रसिद्ध पकवान अरसा (Arasa of Uttarakhand)के इतिहास को लेकर जानकारी दे रहा हूं।
अब विलुप्ति के कगार पर आ पहंचे इस पकवान के बारे में...
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जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है।
मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार अफगानिस्तान के एक जंगली बकरे की दास्तां सुनाने जा रहा हूं, जिसे गढ़वाल राइफल्स में जनरल कहा गया। मेरे आगे बढ़ने तक आपसे अनुरोध है कि इस हिमालयी...
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हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
आप जानते हैं कि भारत के बाहर विदेश में कोई व्यक्ति पहली बार सांसद बना तो वह एक उत्तराखंडी था। गढ़वाली था। 1917 में यानी आज वर्ष 2022 से 105 साल पहले फिजी की लेजिस्लेटिव ऐसंबली के लिए मनोनीत किया गया था। जबकि उन्हें भारत से धोखे से बंधुआ मजदूर के...
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जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार एक ऐतिहासिक घटना का उल्लेख कर रहा हूं, जब गढ़वाल की यात्रा पर आए एक प्रधानमंत्री को सरोला बामण का बनाया स्वादिष्ट भोजन पसंद आ गया था। जब तक मैं इस घटना का उल्लेख करूं, तब तक...
Uttarakhand
वसंत पंचमी: उत्तराखंड में दरबाजों पर क्यों लगाते हैं गोबर के साथ गेहूं-जौ कि बालियां
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वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार वसंत पंचमी को लेकर जानकारी लेकर आया हूं।
जब तक मैं आगे बढूं, तब तक आपसे अनुरोध है कि इस हिमालयी लोग...
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मैं हूं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा । गढ़वाल में एक पुरानी कहावत है - आधो असवाल, आधो गढ़वाल। इसी असवाल (Aswal of Garhwal)जाति के इतिहास पर बार बात करूंगा। जब तक मैं आगे...