परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली
दोस्तों, हिमालय के खसों, कोलीयवंशियों और थारुओं के बाद अब इसी क्षेत्र की एक और प्राचीन जाति किरात को लेकर जानकारी लेकर आया हूं। इस साहसी और परिश्रमी जाति को लेकर भारतीय पौराणिक साहित्य के पन्ने भरे हैं। खसों के आने से पहले कभी हिमालयी के पूर्वोत्तर क्षेत्र में किरातों का...
आजाद हिद फौज में शहीद हुए थे 600 सैनिक गढ़वाली
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस आजादी की लड़ाई में लगभग 26 हजार सैनिकों का बलिदान देने वाली आजाद हिद फौज (The Indian National Army . INA)और इसमें शामिल हिमालयी वीरों के बारे में जानकारी...
चांदपुर गढ़ी में सरोला ब्राह्मणों से पहले प्रभावशाली थे निरोला बामण
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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गढ़वाल में ब्राह्मण जातियां तीन श्रेणियों में विभक्त रही हैं। सरोला, गंगाड़ी और नाना गोत्री या खस ब्राह्मण। सरोलाओं और गंगाडी के अलावा गढ़वाल में ब्राह्मणों की नागपुरी व्यवस्था भी रही है। हालांकि गढ़ नरेश ने नागपुरी व्यवस्था को...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति / नई दिल्ली
हिमालय की जातियों के इतिहास के क्रम में इस बार आपके लिए उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के ब्राह्मणों के इतिहास की जानकारी दूंगा। इसके बाद कुमायुं मंडल व अन्य हिमालयी क्षेत्रों के ब्राह्मणों के इतिहास पर दृष्टि डालूंगा। मैं पहले ही साफ कर देता हूं कि मेरा उद्देश्य...
नाग जाति यानी हिमालय के आदिजन -हिमालय की प्राचीन जातियां
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली
दोस्तों, हिमालय क्षेत्र की प्राचीन जातियों की जानकारी देने के क्रम में इस बार आपके लिए नाग जाति के इतिहास को लेकर आया हूं। भगवान भोलेनाथ और सांपों की पूजक यह जाति प्राचीन काल से हिमालयी क्षेत्र में वास करती रही है।...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली
दोस्तों, इस बार आपके लिए उत्तराखंड की राजनीति के एक महत्वपूर्ण पहलू को लेकर आया हूं। 9 नवंबर 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आए इस हिमालयी राज्य को मुख्यमंत्री तो बहुत मिले, लेकिन एक भी ऐसा नहीं मिला, जो राजनीतिक व सार्वजनिक जीवन के मानदंडों...
जै हिमालय, जै भारत।
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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उत्तराखंड के गांवों के किसी भी परिवार में 1863 तक शराब पीने वाला एक भी व्यक्ति नहीं था। तत्कालीन कुमायुं के सीनियर कमीश्नर ने 1863 में आबकारी विभाग को भेजी रिपोर्ट में लिखा था कि पहाड़ के लोग नशे के व्यसन से मुक्त...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली
बंधुओं इन बार आपके लिए हिमालयी क्षेत्र में रहने वाली प्राचीनतम जातियों विशेषतौर पर राक्षसों को लेकर जानकारी लेकर आया हूं। इस वीडियो में वैदिक व पौराणिक काल सहित प्राचीन कालखंड की बात करुंगा। आज राक्षसों के बारे में पहले तो पौराणिक तौर पर और फिर इतिहास की दृष्टि से जानकारी...
आचार्य चाणक्य और सम्राट चद्रगुप्त मौर्य को क्यों प्रिय थे हिमालयी वीर
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति
नयी दिल्ली
आप इसे हिमालयीलोग यूट्यूब चैनल मंे भी सुन सकते हैं।
दोस्तों इस बार आपके लिए इतिहास के पन्नों से गायब हुए उन हिमालयी वीरों की जानकारी दे रहा हूं, जिनकी भारत के प्रथम विशाल मौर्य साम्राज्य के गठन में प्रमुख भूमिका रही...
बुद्धिस्ट और ईसाई जनसंख्या में भारी इजाफा /
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा /
जै हिमालय, जै भारत। यूट्यूब चैनल हिमालयीलोग में आपका स्वागत है। मैं हूं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा। कभी हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल में अब हिंदू जनसंख्या क्यों घट रही है? नेपाल की जनगणना के जो आंकड़े आए हैं वे बहुत डरावने हैं। हिंदुओं की जनसंख्या में...