परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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सृष्टि की रचना को लेकर मानव सभ्यता में कई तरह की अवधारणाएं हैं। हर धर्म में अलग-अलग कहानियां हैं। सनातन धर्म में भी सृष्टि की रचना को लेकर वैष्णवों, शैवों व शाक्तों की अलग-अलग धारणाएं हैं। इसी तरह देश के विभिन्न क्षेत्रों में भी अलग-अलग मान्यताएं हैं।...
गढ़वाली ब्राह्मणों का इतिहास -एक
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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मैं पहले ही साफ कर देता हूं कि मेरा उद्देश्य इतिहास की जानकारी देना मात्र है, नकि, किसी का महिमामंडन करना। मेरा यह आलेख व वीडियो गढ़वाल के पहले प्रमाणिक इतिहास लिखने वाले पं. हरिकृष्ण रतूड़ी, राहुल सांकृत्यायन, डा. शिव प्रसाद डबराल चारण, राय बहादुर...
कुमायुं के जजमानों का इतिहास
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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इस मामले में मैं पहले ही साफ कर देता हूं कि मैं इतिहास का उल्लेख कर रहा हूं। किसी को महिमामंडित करने का मेरा कोई उद्देय नहीं है। कुमायुं के जजमानों को लेकर इस आलेख का आधार कुमायुं केसरी बद्रीदत्त पांडे, इतिहासकार डा. शिवप्रसाद डबराल...
जीवट के धनी हैं उत्तराखंड के खसिया
- प्रोफेसर (डॉ ) गोविन्द सिंह
उत्तराखंड के खसिया यानी ठाकुर, मतलब क्षत्रिय जातियों का समूह। हालांकि इसमें यहां की अनेक ब्राह्मण जातियां भी शामिल रही हैं, लेकिन अब यह संबोधन यहां के ठाकुरों के लिए रूढ़ हो गया है। बाहर से आकर यहां बसे ब्राह्मण इस संबोधन का इस्तेमाल उन्हें नीचा दिखाने के...
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आप सभी से एक प्रश्न पूछ रहा हूं कि आपको मालूम है कि आपका (Lok devta of Uttarakhand) कुल देवता कौन है ? लोकदेवता कौन है? ईष्ट देवता कौन है? और ग्राम देवता कौन है। मेरा मानना है कि अधिकतर लोगों को अब इसका जानकारी नहीं होगी।...
विलुप्त हो रही है गोरैया (घंड्यूड़ी)
---नंंदनी बड़थ्वाल
नई दिल्ली। गोरैया, जिसे उत्तराखंड में घंड्यूड़ी कहा जाता है, आज विलुप्त होती जा रही है। दिल्ली में तो बहुमंजिला इमारतें बन जाने से इसका आशियाना ही छिन गया है। इसलिए यहां कबूतर तो बढ़ रहे हैं, लेकिन गोरैया बहुत कम दिखती है।
दिल्ली सरकार ने इस राज्यीय पक्षी घोषित तो किया है, लेकिन...
उत्तराखंड में भूतहा क्यों हो रहे हैं ब्राह्मणों के गांव ?
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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इस बार उत्तराखंड की एक गंभीर समस्या पर बात करने जा हूं। यह समस्या है पलायन। वैसे तो पलायन पर बहुत पहले से बात होती रही है, परंतु इस बार गंभीर समस्य यह है कि उत्तराखंड के गांव अब ब्राह्मण विहीन होते...
चौहानों को क्यों कहा गया असवाल, ननस्वाल, रावत, नेगी और रमोला
वीर चौहान राजपूतों की गाथा
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भारतीय इतिहास में चौहानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह वीर राजपूत जाति देश के विभिन्न क्षेत्रों की तरह हिमालयी राज्य उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी बड़ी संख्या में बसी है। उत्तराखंड में उप्पूगढ़...
अजन्में मेमने की खाल से बनती है कौन सी टोपी ?
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संसार में परिवर्तन अटल सत्य है। मानव सभ्यता के विकास के साथ ही मनुष्य का पहनावा भी बदलता रहा है। हम जो कुछ भी पहनते हैं,
उसका भी एक इतिहास है। इस बार हिमालयी क्षेत्र के लोगों...
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उत्तराखंड के लोग देवताओं को लेकर आई वीडियो को देखने के बाद बहुत से लोगों का आग्रह था कि बलि प्रथा पर भी एक वीडियो लानी चाहिए। आप लोग भी जानते हैं कि संपूर्ण भारत की तरह उत्तराखंड में भी नर बलि व पशु बलि की कुप्रथाएं...