नेपाल में क्यों घट रही है  हिंदू जनसंख्या?

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बुद्धिस्ट और ईसाई  जनसंख्या में भारी इजाफा /

परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा /

जै हिमालय, जै भारत। यूट्यूब चैनल हिमालयीलोग में आपका स्वागत है। मैं हूं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा। कभी हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल में अब हिंदू जनसंख्या क्यों घट रही है? नेपाल की जनगणना के जो आंकड़े आए हैं वे बहुत डरावने हैं। हिंदुओं की जनसंख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है।

नेपाल की जनगणना (Nepal Census ) की जो प्रारंभिक रिपोर्ट आई है, वह इस हिमालयी देश के बहुसंख्यक हिंदुओं के लिए खतरे का संकेत है। नेपाल ने हालांकि अभी तक जनसंख्या रिपोर्ट को पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं किया है, परंतु वहां से मिली जानकारी के अनुसार हिंदुओं की जनसंख्या में भारी गिरावट आई है।

अब प्रश्न यह है की आखिरकार नेपाल से हिंदू कहां चले गए हैं। हिंदुओं के ईसाईकरण में  ईसाई मिशनरियां पहले से सक्रिय हैं। परंतु इसके अलावा और भी कई कारण हैं, जिससे हिंदुओं की आबादी कम हो रही है। इस बार का विषय यही है।जब तक मैं इस बारे में बताना शुरू करूं, आपसे विनम्र अनुरोध है कि हिमालयी लोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब  करके नोटिफिकेशन की घंटी भी अवश्य दबा दीजिएगा।आप जानते ही हैं कि हिमालयी क्षेत्र के इतिहास, लोक, भाषा, संस्कृति, कला, संगीत, धरोहर, सरोकार आदि को देश- दुनिया के सामने रखने के लिए हिमालयीलोग चैनल लाया गया है। आप इस आलेख को हिमालयीलोग वेबसाइट में पढ़ भी सकते हैं।  अपने सुझाव ई मेल कर सकते हैं।

अब नेपाल की आबादी की बात करता हूं। नेपाल का इतिहास हिंदू और बौद्धों से प्रारंभ होता है। हालांकि यहां किरात और कुछ अन्य आदिवासी मत मानने वाले लोग भी रहे हैं। किरातों का संबंध भगवान शिव से माना जाता है, इसलिए उन्हें हिंदू की शाखा माना जाता रहा है।  यहां इस्लाम 11 वीं शताब्दी के दौरान आया। जबकि ईसाई धर्म ने सन 1700 के दशक में नेपाल में प्रवेश किया। यह मार्च २०२२ का माह है। नेपाल की 2011 की जनगणना के अनुसार, नेपाली आबादी का 81.3% हिंदू , 9.0% बौद्ध, 4.4% मुस्लिम, 3.0% किरात, 1.4% ईसाई थे। इसके साथ ही 0.2% सिख व 0.1% जैन थे । 0.6% अन्य धर्मों या बिना किसी धर्म के लोग थे। परंतु अब २०२१ की जनगणना में हिंदू आबादी (hindu in nepal)में भारी गिरावट दर्ज की गई है। जबकि बाकी सभी धर्मों, बौद्ध, ईसाई व मुसलमानों की आबादी बहुत तेजी से बढ़ी है। नेपाल सरकार ने नई जनगणना की जो प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की उसमें धर्म आधारित आंकड़े जारी नहीं किए।  जनवरी २०२२ में नेपाल (Nepal Census ) के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (Central Bureau of Statistics) के जारी आंकड़ों के अनुसार अनुसार, पिछले 10 वर्षों में इसकी जनसंख्या 10.18 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2 करोड़ 9,1 लाख  हो गई है। यह जनसंख्या वृद्धि दर विश्व स्तर पर जनसंख्या की औसत वृद्धि दर से कम है। नेपाल की जनसंख्या में सालाना औसतन 0.93 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह नेपाल के पिछले 80 वर्षों के इतिहास में सबसे कम है। नेपाल ने पहली जनगणना (Nepal Census )1911 में की थी। इसके बाद हर 10 साल में नेपाल राष्ट्रीय जनगणना कर रहा है।

नेपाल में भले ही धर्म आधारित जनसंख्या (Nepal Census ) के आंकड़े जारी नहीं किए हैं, परंतु नेपाल के सोशल मीडिया में ये धर्म आधारित आंकड़े दिए जा रहे हैं। ये आंकड़े कहां तक सहीं हैं, यह तो नेपाल की जनगणना के धर्म आधारित आंकड़े जारी होने के बाद ही  पता चलेगा। परंतु नेपाल में ये आंकड़े सोशल मीडिया मेंआ रहे हैं। नेपाल के हिंदू संगठनों का दावा है कि इस जनगणना में हिंदू आबादी  बहुत घट गई है।

सोशल मीडिया पर जो आंकड़े जारी किए किए हैं उनकी सत्यता को लेकर हिमालयीलोग कोई गारंटी नहीं लेता है। बस यहां यही जानकारी देने का प्रयास है कि  नेपाल के सोशल मीडिया में जनसंख्या को यह सब कहा जा रहा है। सोशल मीडिया के अनुसार नेपाल की जनगणता २०२२ के अनुसार वहां बौद्ध-१९.२१ प्रतिशत, किरात-११.३४ प्रतिशत,, मस्टो- ३.२० प्रतिशत,मुसलमान- ५.४ प्रतिशत,, ईसाई ७.२३ प्रतिशत, व हिंदू ५४.१६ प्रतिशत हैं। इस तरह नेपाल के हिंदू राष्ट्रसे धर्मनिरपेक्ष देश बनने के बाद वहां हिंदू ८१.३ प्रतिशत से घटकर ५४.१६ रह गए हैं। इस तरह १० साल में  नेपाल में  २७.१४ प्रतिशत की कभी आ गई है। जबकि बौद्ध १०.२१ प्रतिशत, ईसाई- ५.८३ प्रतिशत, मुसलमान एक फीसदी, किरात- ८.२४ फीसदी बढ़ गए। खुद का धर्म हिंदू की बजाए मस्टो धर्म लिखने वाले खसों की संख्या ३.२  प्रतिशत है।

इन कारणों का बताने से पहले नेपाल के इतिहास पर बात कर लेते हैं। शाह वंश के राजा महेंद्र ने 1962 में पंचायत संविधान  यानी नया संविधान लागू किया और पहली बार इसी में नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित किया गया ।  वर्ष २००७ तक नेपाल  विश्व में अकेला हिंदू राष्ट्र (hindu in nepal)था। इसके बाद नेपाल को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया। राजशाही के नकारापन के कारण नेपाल में कम्युनिस्ट माओवादियों ने सशस्त्र संघर्ष कर देश की सत्ता कब्जा ली थी। पृथ्वी नारायण शाह ने सन १७६७  के दौरान नेपाल का एकीकरण किया। 1846 में नेपाली सेना के एक जनरल राम कुंवर ने अपने विश्वासपात्रों के साथ मिलकर शाह राजवंश के प्रधानमंत्री समेत महत्वपूर्ण पदों पर तैनात व्यक्तियों की हत्या कर दी, हालांकि उसने राजा को नहीं मारा । उसने खुद को नेपाल का प्रधानमंत्री और सेनापति बन घोषित कर दिया। राम कुंवर ने अपना नाम बदलकर जंग बहादुर राणा कर लिया और  नेपाल का शासक बन गया। 1950-51 में राणा शासकों के खिलाफ जनता में विद्रोह हो गया और नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह और उनके बेटे महेंद्र शाह ने भारतीय दूतावास में शरण ले ली। इस विद्रोह में अंतत:  राणा वंश को सत्ता से बाहर कर दिया। इसके बाद फिर से शाह वंश के उत्तराधिकारी महेंद्र बीर विक्रम शाह के हाथ में सत्ता आ गई। राजा महेंद्र ने 1962 में पंचायत संविधान यानी नया संविधान लागू किया और पहली बार इसी में नेपाल को हिंदू (hindu in nepal)राष्ट्र घोषित किया गया।

इसके बाद के घटनाक्रम अब इतिहास बन चुके हैं। राजतंत्र के उन्मूलन के बाद, नेपाल 200७ तक दुनिया का आखिरी हिंदू देश बना रहा। नेपाल की राजशाही ने कभी भी लोकतंत्र को पनपने नहीं दिया। इसी का नतीजा था कि  वहां माओवादियों को सशस्त्र आंदोलन करने का मौका मिल गया। अंतत: राजशाही समाप्त कर दी गई और नेपाल का २००७ में हिंदू राष्ट्र का दर्जा समाप्त कर उसे धर्मनिरपेक्ष देश घोणित कर दिया गया। मामला यहीं तक सीमित रहता तो भी ठीक था, परंतु नेपाल के संविधान में वहां के आदिवासी या मूल निवासी को लेकर जो परिभाषा दी गई, वही हिंदू धर्म के विनाश का कारण बन रहा है। इसलिए पिछले वर्षों के दौरान नेपाल को एक बार फिर हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग न भी जोर पकड्रा। राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक जैसे दल और हिन्दू संगठन देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग करते रहते हैं। (hindu in nepal)

नेपाल के लोगों का मानना है कि नेपाल के संविधान में आणक्षण के लिए आदिवासी या मूल निवासी  की जो परिभाषा तय की गई है वह हिंदुओं (hindu in nepal) को अपनी पहचान से दूर कर रही है। संविधान में आदिवासी-मूलनिवासी उसे माना गया है जो कि गैर हिंदू हो। इसलिए नेपाल के खस भी अपने को हिंदू की बजाए मस्टो धर्म के अनुयायी बताने लगे हैं। जनगणना में खसों की एक बड़ी आबादी ने अपना धर्म मस्टो लिख दिया। क्योंकि आदिवासी माने गए समुदायों के नेपाल में बहुत कुछ दिया जाता है। आदिवासी-मूल निवासी का दर्जा पाने के लिए लोगों ने खुद के गैर- हिंदू बताना शुरू कर दिया है। इसके अलावा ईसाई मिशनरियों बड़ी तेजी से धर्मांतरण कें लगी हैं। उनके निशाने पर खस  दलित  हैं। ईसाई के साथ ही मुसलमानों की संख्या भी बढ़ी है। इसके अलावा जो लोग अपने को हिंदू लिखते थे, वे भी आरक्षण का लाभ पाने के लिए खुद को गैर-हिंदू लिखने लगे हैं। ये तमाम कारण हैं जिनसे नेपाल में हिंदुओं की संख्या घटी है। सोशल मीडिया के आंकड़े भले ही सरकारी आंकड़ों (Nepal Census )से मिन्न पाए जाएं, परंतु इतना तो तय है कि नेपाल में अब हिंदुओं की संख्या बहुत घटी है। यह नेपाल के साथ ही भारत के लिए भी खतरे का संकेत है।इस पर विस्तार से अलग से वीडियो ला रहा हूं।

यह था नेपाल की नयी जनगणना (Nepal Census )और सिमटते हिंदुओं (hindu in nepal)को लेकर रिपोर्ट। यह वीडियो कैसी लगी, कमेंट में अवश्य लिखें। हिमालयीलोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब करना न भूलना। इसके टाइटल सांग – हम पहाड़ा औंला– को भी सुन लेना। मेरा ही लिखा है।  इसी चैनल में है। हमारे सहयोगी चैनल – संपादकीय न्यूज—को भी देखते रहना। अगली वीडियो की प्रतीक्षा कीजिए। तब तक जै हिमालय, जै भारत।

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