उत्तराखंड के शिल्पकार-दो
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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आंदोलनों की भूमि उत्तराखंड में पिछली सदी में डोला पालकी आंदोलन हुआ था। बात १९वीं सदी की है। यह उत्तराखंड समेत भारतीय इतिहास में दलितों के अपने अधिकारों को लेकर किए आंदोलनों में से एक था। यह आंदोलन गढ़वाल मंडल से शुरू हुआ था। उत्तराखंड में सवर्णों...
उत्तराखंड के शिल्पकार-एक
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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उत्तराखंड में अनुसूचित जाति के लोगों को शिल्पकार कहा जाता है। ये लोग उत्तराखंड के प्राचीन निवासी भी माने जाते हैं। कहा जाता है कि आज के शिल्पकारों के पूर्वज यहां के प्राचीन निवासी कोल, मुंड, नाग, कुलिंद, किरात, आदि थे। बाद में यहां आए खसों ने...
भगवान श्रीकृष्ण से शुरू हुआ नेपाल का प्रथम शासक गोपाल राजवंश
गोपाल राजवंश से शुरू होता है नेपाल का इतिहास
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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काठमांडू उपत्यका को ही पहले नेपाल कहा जाता था। नेपाल के प्रारंभिक इतिहास के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन किंवदंतियां और प्रलेखित संदर्भ ३०वीं शताब्दी ईसा पूर्व में भी...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा /
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली /
कश्मीर घाटी - ऋषि कश्यप के वंशजों की इस घाटी में हिंदू साम्राज्य कैसे ढह गया और कैसे वहां इस्लाम फैलता चला गया। लंबे समय बाद फिर से कैसे फिर से हिंदू शासन आया। यह रोचक कहानी है। यह आश्चर्य का विषय है कि भारत के इतिहास के पुस्तकों...
तिब्बत को भी घुटनों के बल बैठाने वाले लद्दाख का इतिहास
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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लद्दाख के उल्लेख के बिना हिमालयीलोग की गाथा अधूरी सी है। जम्मू-कश्मीर से धारा- 370 निरस्त करने तथा प्रदेश के पुनर्गठन के बाद लद्दाख अब केंद्र शासित प्रदेश है। बौद्ध धर्म के केंद्र लद्दाख का अर्थ लद्दाखी में -उच्च...
भगवान बदरी विशाल और तिब्बत के थोलिंग मठ से जुड़ी है चंवरी गाय की कथा
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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सुरा गाय (suragaay) का अर्थ देवताओं की गाय होता है। सुर यानी देवता। आज जानते ही हैं कि सनातन धर्म में गाय को मां का स्थान दिया गया है। हिन्दू (Hindu)धर्म के अनुसार गाय में...
History of Himalaya
चक्रवर्ती सन्यासी जगद्गुरु आदि शंकराचार्य : भरतखंड को एकसूत्र में बांध गया वह नंबूदरी ब्राह्मण
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केदारेश्वर में चिरविश्राम कर रहे हैं आदि शंकराचार्य
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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जगद्गुरु आदि शंकराचार्य को भगवान भोलेनाथ शिव का अवतार माना जाता है। उनका इस धरा पर उस कालखंड में पदार्पण हुआ, जब सनातन धर्म भारत भूमि में लगातार क्षीण होता जा रहा था। उस कालखंड में सनातन धर्म यानी हिंदू धर्म को...
चौहानों को क्यों कहा गया असवाल, ननस्वाल, रावत, नेगी और रमोला
वीर चौहान राजपूतों की गाथा
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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भारतीय इतिहास में चौहानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह वीर राजपूत जाति देश के विभिन्न क्षेत्रों की तरह हिमालयी राज्य उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी बड़ी संख्या में बसी है। उत्तराखंड में उप्पूगढ़...
सिर को मुंडवा कर क्यों रखते हैं इदु मिश्मी जनजाति के लोग?
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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आज जानते ही हैं कि हिमालयी राज्य अरुणाचल प्रदेश भारत का उत्तर पूर्व का सीमांत प्रांत है। अरुणाचल का अर्थ उगते सूर्य का पर्वत होता है। अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी यानी नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी-...
History of Himalaya
कुलिंद-कत्यूरों की राणियों को नकली युद्ध दिखाते हुए बन गया छोलिया/ सरैं लोकनृत्य
admin -
एक हजार साल से भी पुराना है उत्तराखंड का छोलिया/ सरैं नृत्य
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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हिमालयी क्षेत्र में वैसे तो बहुत तरह के लोकनृत्य होते हैं, परंतु इस बार उत्तराखंड के एक विशेष लोकनृत्य को लेकर जानकारी दूंगा। इसे उत्तराखंड के गढ़वाल में सरैं और कुमायुं में छोलिया कहते हैं। गढ़वाल के कुछ...