नई दिल्ली , 7 मार्च 2017 ।देश के लिए शहादत देने के मामले में उत्तराखंड नम्बर एक पर है। यह कोई बयानबाजी नहीं है बल्कि देश की सर्वोच्च पंचायत यानी संसद में केंद्र सरकार ने भी माना है।
आबादी के हिसाब से शहादत के मामले में यह औसत उत्तराखंड सबसे आगे हैं। संसद में हाल में रक्षा मंत्रालय से संबंधित...
पहाड़ जैसा कठिन जीवन जी रहे हिमालयी लोगों के लिए अब तेंदुआ व गुलदार अब बहुत बड़ी मुसीबत बनकर सामने आए हैं। यह बात खुद केंद्र सरकार भी मानने लगी है। अकेले उत्तराखंड में ही पिछले एक दशक के दौरान तेंदुआ व गुलदारों ने 560 हमलों में 203 लोगों को मार डाला और खा गये।
इसलिए केंद्रीय पर्यावरण व वन...
बाठ गोडाई क्या तेरो नौं च,
बोल बौराणी कख तेरो गौं च?
बटोई-जोगी ना पूछ मै कू,
केकु पूछदि क्या चैंद त्वै कू?
रौतू की बेटी छौं रामि नौ च
सेटु की ब्वारी छौं पालि गौं च।
मेरा स्वामी न मी छोड़ि घर,
निर्दयी ह्वे गैन मेई पर।
ज्यूंरा का घर नी जगा मैं कू
स्वामी विछोह होयूं च जैं कू।
रामी थैं स्वामी की याद ऐगे,
हाथ कूटलि छूटण...
प्राचीन हिमालयी लोगों के समान महिलाओं को स्वतंत्रता तैयार है भारतीय समाज?
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार उस प्राचीन हिमालयी समाज की उन विशेष प्रथाओं की उल्लेख करने जा रहा हूं, जो...
किसी जंगल में एक लोमड़ी का परिवार रहता था। जब मादा लोमड़ी गर्भवती हुई तो उसने अपने पति से घर का इंतजाम करने को कहा। इस पर पति लोमड़ी बहुर्त ंचंतित हो गया, लेकिन उसने वादा किया कि वह घर का इंतजाम जरूर कर देगा। जब बच्चों के जन्म का समय आया तो लोमड़ी अपनी पत्नी को बाघ की...
विवाहित नारी को अपार अधिकार देने वाला हिमालयी खस समाज
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार -- छण-मण की बांद –या ‘छन मण की बान (Chhan man ki band baan)- को लेकर जानकारी...
यह प्रेम कथा विश्व की महान प्रेम कथाओं में से एक तो है ही अदभुद भी। गहरी नींद में देखे सपनों में भी प्यार हो सकता है। कहानी पन्द्रहवीं शताब्दी की है। कत्यूर राजवंश के राजकुमार मालूशाही और शौका वंश की कन्या राजुला की प्रेम कथा है। इस कथा के 40 रूप मौजूद हैं।
एक बार पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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हिमालयीलोग चैनल की एक वीडियो पर एक दिन एक कमेंट देखा। जिसमें पाकिस्तान से ख्वाजा अर्सलन अरशद नाम के एक बंधु ने लखेड़ाओं पर भी एक वीडियो बनाने का आग्रह किया था। संभवत: वीडियो में मेरा सरनेम लखेड़ा सुनकर उन्होंने यह आग्रह किया होगा। मैंने इसकी वजह पूछी। इस...
Uttarakhand
गढ़वाली ब्राह्मणों को प्रारंभ में गढ़वाल राइफल्स में भर्ती क्यों नहीं करते थे अंग्रेज?
admin -
कौन थे तोताराम थपलियाल जी, जिनकी वीरता देख गढ़वाली ब्राह्मणों को सेना में भर्ती करने लगे अंग्रेज
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है।
मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा। बहुत कम लोग जानते होंगे कि गढ़वाल राइफल्स में शुरू के कई दशक तक गढ़वाली ब्राह्मणों...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति / नयी दिल्ली
दोस्तों इस बार आपके लिए उत्तराखंड और देश के अन्य पहाड़ी व आदिवासी राज्यों के भूमि कानूनों को लेकर जानकारी लेकर आया हूं। उत्तराखंड में लंबे समय से मौजूदा भूमि कानूनों को बदलने की मांग होती रही है, लेकिन लगता है जैसे कि उत्तराखंड के नेता आंख और कान बंद...