चौहानों को क्यों कहा गया असवाल, ननस्वाल, रावत, नेगी और रमोला वीर चौहान राजपूतों की गाथा परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com भारतीय इतिहास में चौहानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह वीर राजपूत जाति देश के विभिन्न क्षेत्रों की तरह हिमालयी राज्य उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी बड़ी संख्या में बसी है। उत्तराखंड में उप्पूगढ़...
पूर्वोत्तर के लोगों को चिंकी कहने पर पांच साल की जेल क्यों न हो? फाइलों में क्यों धूल फांक कर ही है बैजबरुआ कमेटी की रिपोर्ट परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com पूर्वोत्तर के छात्र-छात्राएं लंबे समय से दिल्ली विश्वविद्यालय में अपने लिए चिंकी(Chinki), मोमो, नेपाली, बहादुर, चाउमीन , चीनी जैसे संबोधन सुनते रहे हैं। परंतु कोराना...
सिर को मुंडवा कर क्यों रखते हैं इदु मिश्मी जनजाति के लोग? परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com   आज जानते ही हैं कि हिमालयी राज्य अरुणाचल प्रदेश भारत का उत्तर पूर्व का सीमांत प्रांत है। अरुणाचल का अर्थ उगते सूर्य का पर्वत होता है। अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी यानी नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी-...
मुगलों को खदेड़ने वाले वीर लाचित के साथ भारतीय इतिहासकारों का भेदभाव परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com  हिमालयी क्षेत्र के पूर्वोत्तर के राज्य असम के उस महान  वीर सपूत लाचित बोड़फुकन  जैसे महान योद्धा के कारण  मुगल आक्रांता पूर्वोत्तर भारत को अपने अधीन नहीं कर सके।  वीर सपूत - लाचित बोड़फुकन को भले ही मैदानी इतिहासकारों...
ताराओन से कैसे हार गया गांव का राजा परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com इस लोककथा नागकन्या (Nagkanya & Taraon )और ताराओन  से पहले हिमालयी  राज्य अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के बारे में भी जान लेते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर का राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी में -उगते सूर्य का पर्वत- है । इस...
  खान नहीं, मेवाड़ का क्षत्रिय था नेपाल का शाह राजवंश                परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा                    हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली    www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com हिमालयीलोग यूट्यूब आने के बाद नेपाली (Nepali) तथा भारतीय गोरखा Indian Gorkha) समाज के कई बंधुओं से यह सुनने को मिलता है कि गोरखा शब्द का अंतिम आखर खा यानी खां यानी खान है। जिसका अर्थ राजा...
नेपाल के मस्टो यानी कुल देवता  परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नेपाल ( Nepal)के खस  (Khas)अपने मस्टो को 64 बकरी या भेड़ों की बलि देते हैं। जिंदा बकरी व भेड़ का रक्त पीते हैं। नेपाल में वैदिक आर्य और खस आर्य, किरात, मगर, लिंबू, समेत आर्य और मंगोल मूल...
कैसे अनजान होने पर भी एक-दूसरे के लिए प्राण दे दिए थे परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com हिमालयी क्षेत्र में प्रेम की अदभुद लोककथाएं हैं। जिनको लोग बहुत कम जानते हैं। बंबइया फिल्में बन जाने से लैला- मजनू, हीर-रांझा आदि को तो सभी जानते हैं, परंतु हिमालयी क्षेत्र की इन अदभुद और अनूठी प्रेम कथाओं...
  बग्वाल या बूढ़ी दीवाली  (Diwali)का भगवान राम से कोई लेना-देना नहीं परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और उत्तराखंड (UTtarakhand)में दीपावली के बाद लगभग ११ दिन से एक माह के दौरान फिर से दीवाली मनाई जाती है। इसे कहीं बूढ़ी दीवाली, कहीं इगास-बग्वाल कहा जाता है। इन दोनों राज्यों में प्रचारित किया...
हिमालयी लोगों के साथ पक्षपात करते रहे हैं मैदानी इतिहासकार परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com यह सोचनीय विषय है कि  हिंदी भाषी लोग भारत (India) के अन्य क्षेत्रों के लोगों के बारे में बहुत कम जानते हैं। भारत का इतिहास भी दिल्ली के धर्मांध व लुटेरे तुर्कों, मुगलों (Mugal) पर केंद्रित होकर लिखा गया है।...
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