परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com राम बौराणी  गढ़वाली साहित्य की अमर रचना है। जिसे लगभग डेढ़ सौ साल से गाया जा रहा है और नृत्य-नाटिका भी पेश की जाती है। यह एक विरह गीत है। यह लोकगाथा गीत परदेश  गए पति के विरह की पीड़ा सह रही पहाड़ की नारी  के दर्द व वेदना...
उत्तराखंड के लोकसंगीत जानिए परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com रणिहाट नि जाणो गजेसिंह । मेरो बोल्युं मान्याली गजेसिंह  ।। आपने यह गीत अवश्य सुना होगा। कौथिग, मेलों में इसे लोग सामूहिक तार पर गाते रहे हैं। यह गीत इस तरह है।   रणिहाट नि जाणो गजेसिंह । मेरो बोल्युं मान्याली गजेसिंह  ।। हलजोत  का दिन  गजेसिंह । तू...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com यह कहानी  सिक्किम (Sikkim) की प्रसिद्ध लोक कथा है।  बहुत पुराने समय की बात है। सिक्किम के राजा ने राज्य का पशु का निर्णय किया। परंतु प्रश्न यह था कि राज्य पशु कौन होगा ।इसके लिए राजा ने सभी पशुओं को बुलाया गया, ताकि राज्य पशु का चुनाव किया...
सिर को मुंडवा कर क्यों रखते हैं इदु मिश्मी जनजाति के लोग? परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com   आज जानते ही हैं कि हिमालयी राज्य अरुणाचल प्रदेश भारत का उत्तर पूर्व का सीमांत प्रांत है। अरुणाचल का अर्थ उगते सूर्य का पर्वत होता है। अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी यानी नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी-...
ताराओन से कैसे हार गया गांव का राजा परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com इस लोककथा नागकन्या (Nagkanya & Taraon )और ताराओन  से पहले हिमालयी  राज्य अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के बारे में भी जान लेते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर का राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी में -उगते सूर्य का पर्वत- है । इस...
कैसे अनजान होने पर भी एक-दूसरे के लिए प्राण दे दिए थे परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com हिमालयी क्षेत्र में प्रेम की अदभुद लोककथाएं हैं। जिनको लोग बहुत कम जानते हैं। बंबइया फिल्में बन जाने से लैला- मजनू, हीर-रांझा आदि को तो सभी जानते हैं, परंतु हिमालयी क्षेत्र की इन अदभुद और अनूठी प्रेम कथाओं...
  परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली दोस्तों, इस बार आपके लिए उत्तराखंड की लोककथा लेकर आया हूं। इस लाककथा को हम लोग बचपन में खूब सुनते रहे हैं। बुजुर्ग लोग गांव के शरारती बच्चों को डराते भी थे कि कहना मान लो, अन्यथा लिंडरया छोरा वाली राक्षसी आ जाएगी। हिमालयी क्षेत्र में राक्षसों से जुड़ी कई...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली दोस्तों इस बार आपके लिए मां वैष्णोदेवी की कथा लेकर आया हूं।आप सभी ने जम्मू की वैष्णो माता का नाम अवश्य सुना होगा। इस बार मां वैष्णोदेवी की कथा और उनके पवित्र धाम तक पहुंचने का रास्ता भी बताऊंगा। मां वैष्णो देवी  की गुफा हिमालयी राज्य जम्मू-कश्मीर में है। यह गुफानुमा मंदिर...
तमांग ने कैसे पहचाना अपना  पति?  अरुणाचल प्रदेश की लोक-कथा परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा /हिमालयीलोग की प्रस्तुति/नयी दिल्ली दोस्तों, मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार सुदूर प्रांत अरुणाचल प्रदेश की लोककथा आपके लिए लेकर आया हूं। जब तक मैं कहानी को लेकर आगे बढूं, इस हिमालयीलोग चैनल को लाइक और सब्सक्राइब कर दीजिए। अरुणाचल प्रदेश में तमांग नाम की...
बहुत पुरानी बात है। एक राजा की सात बेटियां थीं। एक दिन उसने अपनी बेटियों को बुलाया और पूछने लगा, ‘मैं तुम्हें कैसा लगता हूं?’ बड़ी बेटी ने कहा, ‘आप मुझे मीठे लगते हैं।’ दूसरी से पूछा तो उसने भी यही उत्तर दिया। फिर तीसरी, चौथी, पांचवीं और छठी से पूछा। उन्होंने भी यही बात दोहराई। किसी ने गुड़...
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