एक था सियार। एक दिन वह अपने शिकार की तलाश में जा रहा था। उसने दूर से देखा-एक आदमी एक बाघ के आगे-आगे चल रहा है। उसे दाल में कुछ काला नजर आया और वह नजर बचाकर चलने लगा। तभी उसे आदमी की आवाज़ सुनाई पड़ी, ‘मंत्री जी, मंत्री जी, जरा रुकिए।’ सियार ने अनसुनी-सी करते हुए अपनी चाल...
एक गांव में एक विधवा औरत और उसकी 6-7 साल की बेटी रहते थे। किसी प्रकार गरीबी में वो दोनों अपना गुजर बसर करते थे। एक बार माँ सुबह सवेरे घास के लिए गयी और घास के साथ काफल भी तोड़ के लायी। बेटी ने काफल देखे तो बड़ी खुश हुई। माँ ने कहा कि मैं खेत में काम...
बहुत पुरानी बात है। उत्तराखंड के जंगल में एक विधवा बुढ़िया रहती थी। उसके सात बेटे थे और एक प्यारी-सी बेटी थी । बेटी का नाम था बीरा। कुछ दिनों बाद जब बुढ़िया की मृत्यु हो गई, तो उसके ये बच्चे अनाथ हो गए। सातों भाई शिकार खेलने के शौकीन थे। एक दिन वे सातों भाई मिलकर एक साथ शिकार...
बहुत पुरानी बात हह। उत्तराखंड के सभी गावों की तरह डंणु गांव के लोग भी अपने ग्राम देवता की पूजा करने के लिए हर मौसम में मंदिरों में जाते थे। थे। गांव के सभी लोग उस देवता की कृपा से सुखी और संपन्न रहते थे। वे हर फसल के कट चुकने पर देवताओं को चढ़ावा चढ़ाने दूर एक स्थान...
उत्तराखंड के लोकसंगीत जानिए परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com रणिहाट नि जाणो गजेसिंह । मेरो बोल्युं मान्याली गजेसिंह  ।। आपने यह गीत अवश्य सुना होगा। कौथिग, मेलों में इसे लोग सामूहिक तार पर गाते रहे हैं। यह गीत इस तरह है।   रणिहाट नि जाणो गजेसिंह । मेरो बोल्युं मान्याली गजेसिंह  ।। हलजोत  का दिन  गजेसिंह । तू...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com यह कहानी  सिक्किम (Sikkim) की प्रसिद्ध लोक कथा है।  बहुत पुराने समय की बात है। सिक्किम के राजा ने राज्य का पशु का निर्णय किया। परंतु प्रश्न यह था कि राज्य पशु कौन होगा ।इसके लिए राजा ने सभी पशुओं को बुलाया गया, ताकि राज्य पशु का चुनाव किया...
तमांग ने कैसे पहचाना अपना  पति?  अरुणाचल प्रदेश की लोक-कथा परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा /हिमालयीलोग की प्रस्तुति/नयी दिल्ली दोस्तों, मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार सुदूर प्रांत अरुणाचल प्रदेश की लोककथा आपके लिए लेकर आया हूं। जब तक मैं कहानी को लेकर आगे बढूं, इस हिमालयीलोग चैनल को लाइक और सब्सक्राइब कर दीजिए। अरुणाचल प्रदेश में तमांग नाम की...
बहुत पुरानी बात है। हिमालय पर्वत की घाटी में एक ऋषि रहते थे। वे गोरे-चिट्टेथे, उनकी  श्वेत धवल दाढ़ी था और कंद, मूल, फल खाते थे । अपना अधिक समय वह तपस्या में व्यतीत करते थे। कभी-कभी बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच अकेले वह उदास हो जाते। उदासी तोड़ने के लिए अक्सर वह जोर से बोलने लगते। उन्हीं...
यह प्रेम कथा विश्व की महान प्रेम कथाओं में से एक तो है ही अदभुद भी। गहरी नींद में देखे सपनों में भी प्यार हो सकता है। कहानी पन्द्रहवीं शताब्दी की है। कत्यूर राजवंश के राजकुमार मालूशाही और शौका वंश की कन्या राजुला की प्रेम कथा है। इस कथा के 40 रूप मौजूद हैं। एक बार पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के...
सिर को मुंडवा कर क्यों रखते हैं इदु मिश्मी जनजाति के लोग? परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com   आज जानते ही हैं कि हिमालयी राज्य अरुणाचल प्रदेश भारत का उत्तर पूर्व का सीमांत प्रांत है। अरुणाचल का अर्थ उगते सूर्य का पर्वत होता है। अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी यानी नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी-...
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