परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति / नयी दिल्ली दोस्तों इस बार आपके लिए उत्तराखंड और देश के अन्य पहाड़ी व आदिवासी राज्यों के भूमि कानूनों को लेकर जानकारी लेकर आया हूं। उत्तराखंड में लंबे समय से मौजूदा भूमि कानूनों को बदलने की मांग होती रही है, लेकिन लगता है जैसे कि उत्तराखंड के नेता आंख और कान बंद...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा /हिमालयीलोग की प्रस्तुति/नयी दिल्ली दोस्तों, इस बार आपके लिए उत्तराखंड की प्राचीन परंपरा को लेकर नयी जानकारी लेकर आया हूं। उत्तराखंड में गाय के बछड़े के जन्म के 11  दिन बाद पानी के सिमांद (स्रोत) में पूजा की जाती है। उस पूजा के बाद ही  गाय के दूध को चाय, दही, छाछ आदि बनाने के...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा /हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली दोस्तों, इस बार उत्तराखंड और नेपाल के संबधों को इतिहास के पन्नों से तलाश कर लाया हूं। जब तक मैं अपनी बात को आगे बढ़ाता हूं, इस हिमालयीलोग चैनल को लाइक और सब्सक्राइब अवश्य कर दीजिए। उत्तराखंड और नेपाल के इतिहास और सीमा रेखा को लेकर न तो खुद नेपाल के...
तो इस तरह बनें ब्वेई और ईजा शब्द -डा. हरीश चंद्र लखेड़ा शोध और आलेख- डा हरीश चंद्र लखेड़ा   दोस्तों, मांजी -पिताजी के लिए विश्वभर में जो भी संबोधन होता है, उसमें से अधिकतर देशों में मां शब्द की ध्वनि अवश्य होती है। परंतु उत्तराखंड के  गढ़वाल में मां के लिए ब्वेई तथा कुमायुं में ईजा संबोधन है। नेपाल में आमा कहा...
हिंदी पत्रकारिता के जनक व कुमायुंनी और खड़ी बोली के आदि कवि गुमानी पंत की धरती उत्तराखंड की पत्रकारिता आज पथभ्रमित हो चली है। प्रदेश में कुकरमुत्तों की तरह निकल रहे पत्र-पत्रिकाओं खबरिया चैनल और वेबसाइट देखकर स्पष्ट हो जाता है कि इन सभी की प्राथमिकता यहां के जनसरोकार नहीं हैं, बल्कि पत्रकारिता की आड़ में अपने विभिन्न व्यवसायों...
जीवट के धनी हैं उत्तराखंड के खसिया - प्रोफेसर (डॉ ) गोविन्द सिंह उत्तराखंड के खसिया यानी ठाकुर, मतलब क्षत्रिय जातियों का समूह। हालांकि इसमें यहां की अनेक ब्राह्मण जातियां भी शामिल रही हैं, लेकिन अब यह संबोधन यहां के ठाकुरों के लिए रूढ़ हो गया है। बाहर से आकर यहां बसे ब्राह्मण इस संबोधन का इस्तेमाल उन्हें नीचा दिखाने के...
हिमालयीलोग ट्रस्ट का कार्यक्रम : राजेंद्र धस्माना व्याख्यानमाला -1 नयी दिल्ली। हिमालयीलोग ट्रस्ट गांधीवादी पत्रकार राजेंद्र धस्माना की स्मृति में प्रतिवर्ष ‘राजेंद्र धस्माना व्याख्यानमाला’ का आयोजन करेगा। इस साल का पहला राजेंद्र धस्माना व्याख्यान शनिवार, 21 सितंबर 2019 को यहां उत्तराखंड सदन में आयोजित किया गया। व्याख्यानमाला में इस बार दो विषय थे। 1- हिमालय की विलुप्त होती टांकणी लिपि- श्री रमेश...
देहरादून। ‘उत्तराखंड आंदोलन : स्मृतियों का हिमालय’ पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार हरीश लखेड़ा को एक नवंबर को देहरादून के टाउन हॉल में सम्मानित किया गया । राज्य की 17वीं वर्षगांठ पर हो रहे कार्यक्रमों के तहत टाउन हॉल में यह कार्यक्रम हुआ है। उत्तराखंड राज्य गठन के 17 साल बाद इस अभूतपूर्व आंदोलन पर समग्रता में दस्तावेजों के साथ...
नई दिल्ली।  उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में 3000 गांव पूरी तरह खाली हो गए हैं और ढाई लाख से ज्यादा घरों में ताले लटके हुए हैं। ये सरकारी आंकडे हैं।  गैर सरकारी आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है।  समृद्ध पहाड़ी शैली में निर्मित हजारों भव्य मकानों में घास व झाड़ियां उग गई हैं।   पूरे के...
देहरादून।   उत्तराखंड के कार्बेट टाईगर रिजर्व में न्यूनतम 208 विशिष्ट बाघ और राजा जी टाइगर रिजर्व में न्यूनतम 34 विशिष्ट बाघो की पहचान की गई है। पिछले वर्ष यह संख्या कार्बेट टाईगर रिजर्व में 163 एवं राजा जी टाईगर रिजर्व में 16 पायी गई थी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास पर कार्बेट और राजा जी...
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