नेपाल के पहले किराती राजा यलंबर थे महाबली भीम के पौत्र बर्बरीक यानी  बाबा श्याम खाटू शोध और आलेख- डा हरीश चंद्र लखेड़ा  /हिमालयीलोग की प्रस्तुति/नयी दिल्ली बाबा श्यामखाटू महाराज के नाम तो आपने सुना ही होगा। राजस्थान के सीकर जिले में बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। महाभारत के योद्धा बर्बरीक ही आज बाबा श्याम खाटू  के नाम से पूजे जाते...
तो इस तरह बनें ब्वेई और ईजा शब्द -डा. हरीश चंद्र लखेड़ा शोध और आलेख- डा हरीश चंद्र लखेड़ा   दोस्तों, मांजी -पिताजी के लिए विश्वभर में जो भी संबोधन होता है, उसमें से अधिकतर देशों में मां शब्द की ध्वनि अवश्य होती है। परंतु उत्तराखंड के  गढ़वाल में मां के लिए ब्वेई तथा कुमायुं में ईजा संबोधन है। नेपाल में आमा कहा...
  फारसी व रोमन को प्राचीनकाल में क्यों पसंद थे भोटिया कुकुर परिकल्पना- डा.हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति नयी दिल्ली   दोस्तों आपने भोटिया कुकुर के बारे में अवश्य सुना होगा। कुकुर यानी कुत्ता। संस्कृत में कुत्ते को कुक्कुरः कहते हैं। हिमालय के अधिकतर क्षेत्रों में भी कुत्ते को कुकुर या कुकर ही कहा जाता है।  हिमालयी क्षेत्र के कुत्तों में भोटिया कुकुर विश्व...
आचार्य चाणक्य और सम्राट चद्रगुप्त मौर्य को क्यों प्रिय थे हिमालयी वीर परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति नयी दिल्ली आप इसे हिमालयीलोग यूट्यूब चैनल मंे भी सुन सकते हैं। दोस्तों इस बार आपके लिए इतिहास के पन्नों से गायब हुए उन हिमालयी  वीरों की जानकारी दे रहा हूं, जिनकी भारत के प्रथम विशाल मौर्य साम्राज्य के गठन में प्रमुख भूमिका रही...
नेपाली मूल की नहीं, पूरे हिमालयी खसों का साझा शस्त्र है खुंखरी परिकल्पना - डा.हरीश चंद्र लखेड़ा / हिमालयीलोग की प्रस्तुति / www.himalayilog.com /नयी दिल्ली दोस्तों इस बार मैं आपके लिए हिमालयी क्षेत्र के परंपरागत हथियार खुंखरी के बारे में जानकारी लेकर आया हूं। आप लोग इससे संबंधित लेख को वेबसाइट हिमालयीलोग डॉटकॉम पर पढ़ सकते हैं। / आप लोग इस...
जीवट के धनी हैं उत्तराखंड के खसिया - प्रोफेसर (डॉ ) गोविन्द सिंह उत्तराखंड के खसिया यानी ठाकुर, मतलब क्षत्रिय जातियों का समूह। हालांकि इसमें यहां की अनेक ब्राह्मण जातियां भी शामिल रही हैं, लेकिन अब यह संबोधन यहां के ठाकुरों के लिए रूढ़ हो गया है। बाहर से आकर यहां बसे ब्राह्मण इस संबोधन का इस्तेमाल उन्हें नीचा दिखाने के...
हिमालय की पुरातन लिपि टांकरी - टांकरी में जौनसारी को लिखने का सफल प्रयोग कर चुके हैं रमेश जोशी नयी दिल्ली। कश्मीर से नेपाल तक के भू भाग में कभी टांकरी लिपि का प्रचलत था। इसी में वहां की भाषा-बोलियों को लिखा जाता था। यह हिमालयी क्षेत्र के ब्राह्मणों की पूजा की भाषा भी रही है।लेकिन क्रूर मुगलों और अंग्रेजों की...
नई दिल्ली। हिमालयीलोग (ट्रस्ट) ने हिमालयी समाज की भारतीय इतिहास में हिस्सेदारी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहल करने का आग्रह किया है। ट्रस्ट के अध्यक्ष हरीश लखेड़ा ने कहा कि वामपंथियों के लिखे इतिहास में हिमालयी लोगों के इतिहास को भुला दिया गया है। प्रधानमंत्री से इस मुद्दे का मन की बात कार्यक्रम में भी शामिल करने का...
चमोली।  उत्तराखंड के एक देवता ऐसे भी हैं, जिनके दर्शन उनका पुजारी भी नहीं कर पाता। यह मंदिर वर्ष में सिर्फ एक बार बैशाख पूर्णिमा के दिन कुछ घंटे के लिए खुलता है। मंदिर के द्वार खोलते समय पुजारी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। इस मंदिर में किसी वीआइपी की भी नहीं चलती है। वीआइपी की छोड़िए,...
नई दिल्ली।  हिमालय क्षेत्र में तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर के कारण नई झीलों का निर्माण हो रहा है। ये स्थानीय लोगों  खतरा बनती  जा रही हैं।  पिछले दो सालों में तेजी से पिघलते ग्लेशियरों के कारण हिमालय  क्षेत्र   में 110 नई झीलों का निर्माण हुआ है। इससे ग्लोफ (ग्लेशियल लेक ऑउटबर्स्ट फ्लड) बाढ़ का खतरा पैदा हो गया...
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