हिमाचल प्रदेश का नामकरण और आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा

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परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा

हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली

हिमालयी राज्य हिमाचल प्रदेश को यह नाम कैसे मिला। यह बात खुद हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की नयी पीढ़ी में भी बहुत कम लोग जानते होंगे। इस बार आपको यही बताने जा रहा हूं कि राज्य के तौर पर हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का नाम कैसे पड़ा और यह नाम किसने दिया। आप जानते हैं कि प्रति वर्ष 15 अप्रैल को ‘हिमाचल दिवस’  के रूप में मनाया जाता है। यह इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि देश की स्वतंत्रता के बाद 15 अप्रैल, 1948 को 28 पहाड़ी रियासतों को मिलाकर नया राज्य बनाया गया था। हालांकि इसे पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में मिल पाया।

प्रत्येक राज्य का जो नाम होता है, उसका भी एक इतिहास होता है। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) को यह हिमाचल का नाम आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा (Acharya Divakar Datt Sharma) ने दिया था।  वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा ने ही या नाम सुझाया था। हिमाचल शब्द वैसे तो पहले से प्रचलित था और मध्य हिमालय के लिए कहा जाता था। हिमाचल संस्कृत के शब्द हिम ’और  ’आंचल’  से बना है। जिसका अर्थ है’ हिम ’और गोद’ । हिम का अर्थ ‘बर्फ’ और आंचल का अर्थ गोद होता है। हालांकि कुछ लोग यह भी दलील देते हैं कि हिमाचल दो शब्दों से मिलकर बना है- हिम और अचल। ‘हिम’ यानी बर्फ और ‘अचल’ यानी पहाड़। यदि यह ‘हिम’ और ‘आँचल’ या अंचल से बना होता तो इसका नाम ‘हिमाँचल’ होता न कि ‘हिमाचल।’ कई लोग हिमाचल को हिमांचल भी बोलते हैं। परंतु संविधान में सही नाम हिमाचल ही है।

आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा (Acharya Divakar Datt Sharma)की ओर से यह नाम सुझाने के बाद मामला इतना आसान भी नहीं था। क्यों कि स्वतंतत्रता के बाद यह प्रदेश 28 पहाड़ी रियासतों को मिला कर बनाया गया था। इसलिए सभी को इस नाम पर सहमत करना भी बड़ा कार्य था। हिमाचल (Himachal Pradesh)  1948 से पहले छोटी-छोटी रियासतों में बटा हुआ था। हिमाचल 1948 से पूर्व छोटी-छोटी रियासतों में बटा हुआ था। स्वतंत्रता के बाद  सबसे बड़ी चुनौती देश की 650 रियासतों के विलय को लेकर थी। सरदार पटेल इसके लिए प्रयासरत थे। इन रियासतों के विलय के लिए 1937 में प्रजा  मंडल पूरे देश में गठित किए गए। हिमाचल में भी सभी रियासतों में  प्रजा मंडल बनाए गए। हिमाचल की बघाट रियासत के राजा दुर्गा सिंह ने शिमला हिल्स  की रियासतों के विलय  को लेकर  अहम भूमिका निभाई थी। शिमला क्षेत्र की सभी रियासतों की सभा को संविधान सभा का नाम दिया गया। इस सभा का अध्यक्ष राजा दुर्गा सिंह और सचिव आईसीएस अफसर महावीर सिंह को सचिव चुना गया। राजा दुर्गा सिंह को प्रजामंडल का प्रधान भी नियुक्त किया गया था। उनकी अध्यक्षता में 28 जनवरी 1948 को सोलन के दरबार हॉल में नये राज्य के निर्माण हेतु एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। इस बैठक में डॉ यशवंत सिंह परमार व स्वतंत्रता सैनानी पदमदेव भी उपस्थित थे। कहा जाता है कि डॉ परमार प्रदेश का नाम हिमालयन स्टेट रखना चाहते थे। जबकि राजा दुर्गा सिंह की पसंद का नाम हिमाचल प्रदेश था। यह नाम  संस्कृत के प्रकांड विद्वान आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा ने सुझाया था। राजा दुर्गा सिंह को यह नाम बेहद भा गया था।  अंतत: नए राज्य का नाम हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)  रखने का फैसला किया गया। इस प्रस्ताव को सभी 28 रियासत के राजाओं ने एक स्वर में पारित कर दिया। डॉ. परमार ने भी हामी भर दी। सोलन के दरबार हॉल में हुई इस बैठक इस तरह प्रदेश का नाम हिमाचल प्रदेश रखने का प्रस्ताव पारित कर लिया गया था। इस बैठक में पहाड़ी रियासतों के जनप्रतिनिधि, प्रजामंडल के नेता व 2८ रियासतों के राजा और राणाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस बैठक में सभी रियासतों को मिलाकर एक प्रशासनिक इकाई गठित करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस तरह प्रस्ताव पारित कर तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल को मंजूरी के लिए दिल्ली भेज दिया गया। सरदार पटेल ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाकर दी। इस तरह इस हिमालयी राज्य का  नाम हिमाचल (Himachal Pradesh) रख दिया गया।

हालांकि लेखक शेरजंग चौहान एक लेख में दावा करते हैं कि सत्यदेव बुशहरी ने हिमाचल (Himachal Pradesh)  नाम रखने का सुझाव दिया था। सत्यदेव बुशहर की लिखी पुस्तक के हवाले से चौहान लिखते हैं कि प्रदेश का नाम तय करने के लिए हुई इस बैठक की अध्यक्षता  बाघाट सोलन के राजा दुर्गा सिंह की अध्यक्षता में हुई थी । बैठक में सत्यदेव बुशहरी ने सुझाव दिया था कि प्रदेश का नाम हिमाचल प्रदेश रखा जाए। जिसे मान लिया गया था। दावा जो भी हो परंतु हिमाचल प्रदेश में आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा (Acharya Divakar Datt Sharma) को ही हिमाचल नाम रखने का श्रेय दिया जाता है। आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा (Acharya Divakar Datt Sharma) हिंदी, संस्कृत और राजस्थानी भाषा के प्रकांड विद्वान और ज्योतिषी थे। वे एक छोटे से शहर मशोबरा में रहते थे। मशोबरा  शिमला जिले में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटक स्‍थल है।  राजस्थान के संस्कृत साहित्य-सृजन में बीकानेर क्षेत्र का योगदान इनका (Acharya Divakar Datt Sharma)मुख्य प्रकाशित ग्रन्थ है। उन्हें राजस्थान संस्कृत अकादमी और राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया  गया था।

यह था हिमाचल प्रदेश के नामकरण की गाथा। हिमाचल दिवस को लेकर भी वीडियो ला रहा हूं।  यह वीडियो कैसी लगी, कमेंट में अवश्य लिखें। आपसे अनुरोध है कि हिमालयीलोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब  कर दीजिए, जिन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया है। आप जानते ही हैं कि हिमालयी क्षेत्र के इतिहास, लोक, भाषा, संस्कृति, कला, संगीत, धरोहर, सरोकार आदि को देश- दुनिया के सामने रखने के लिए हिमालयीलोग चैनल लाया गया है। आप इस आलेख को हिमालयीलोग वेबसाइट में पढ़ भी सकते हैं। वीडियो अच्छी लगे तो शेयर भी अवश्य कीजिएगा। इसके टाइटल सांग – हम पहाड़ा औंला– को भी सुन लेना। मेरा ही लिखा है।  इसी चैनल में है। अगली वीडियो की प्रतीक्षा कीजिए। तब तक जै हिमालय, जै भारत।

 

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