हम भारतीय लोग बहुत पाखंडी हैं। गंगा- यमुना को कहते तो मां हैं लेकिन उनको गंदा नाले में बदल दिया है। अब उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले के बाद सभी की नजर है कि अब केंद्र से लेकर राज्यों की विभिन्न सरकारें इस मामले में क्या करती हैं। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बीते 21 मार्च को गंगा और यमुना को...
नई दिल्ली। हिमालयी ग्लेशियर ही नहीं बल्कि देशभर के जंगल भी अब संकट में हैं।सरकारी रिपोर्ट भी कहती है की जंगल घाट रहे हैं।   केंद्रीय पर्यायरण व वन मंत्रालय की ‘इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट-२०११’ भी कह चुकी है कि वर्ष २००९ की तुलना में ३६७ वर्ग किमी वन क्षेत्र घटा गया था  जबकि केंद्र सरकार ने ग्रीन इंडिया मिशन...
नई दिल्ली।मोक्षदायिनी गंगा राष्ट्रीय नदी का दर्जा मिल जाने पर भी मैली ही है । इसे निर्मल व अविरल बनाने के लिए बाद में गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण भी बनाया गया, नमामि गंगे योजना भी चल रही है। तब से लगभग आठ  हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा  राज्यों को दे दिये गये, लेकिन आज भी कोई नहीं कह...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नई दिल्ली www.himalayilog.com /www.lakheraharish.com https://www.youtube.com/channel/UCY2jUIebYsne4nX09a1aUfQ दोस्तों मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश लखेड़ा जातियों के इतिहास की इस श्रृंखला में विभिन्न जातियों और  उत्तराखंडी मुसलमानों के बाद अब पहाड़ के ईसाइयों को लेकर जानकारी ले कर आया । जब तक मैं आगे बढूं, तब तक इस हिमालयी लोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइबअवश्य कर दीजिए। आप जानते...
प्राकृतिक संपदा से भरपूर होने के बावजूद हिमालयी क्षेत्रों के बच्चे भी कुपोषण के शिकार हैं। देश में अवरुद्ध विकास वाले औसतन ४४.९ फीसदी बच्चे, २२.९ फीसदी ठिगने बच्चे तथा ४०.४० कम वजन वाले बच्चे हैं। हिमालयी राज्यों में भी इन श्रेणी के बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है। इसकी एक बड़ी वजह पहाड़ी लोगों का अपने स्वास्थ्य के ...
पहाड़ जैसा कठिन जीवन जी रहे हिमालयी लोगों के लिए अब तेंदुआ व गुलदार अब बहुत बड़ी मुसीबत  बनकर सामने आए हैं। यह बात खुद केंद्र सरकार भी मानने लगी है। अकेले उत्तराखंड में ही पिछले एक दशक के दौरान तेंदुआ व गुलदारों ने 560 हमलों में 203 लोगों को मार डाला और खा गये। इसलिए केंद्रीय पर्यावरण व वन...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली हिमालयी क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में भारतीय थलसेना यानी आर्मी, वायु सेना यानी एयर फोर्स और जल सेना यानी नेवी तथा अर्ध सैनिक बलों में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं। इन सेनाओं व सुरक्षा बलों में भर्ती होकर देश सेवा के साथ ही बेहतर रोजगार भी मिलता...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली दोस्तों, इस बार आपके लिए उत्तराखंड की राजनीति के एक महत्वपूर्ण पहलू को लेकर आया हूं।   9 नवंबर 2000 को भारत के  27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आए इस हिमालयी राज्य को मुख्यमंत्री तो बहुत मिले, लेकिन एक भी ऐसा नहीं मिला, जो राजनीतिक व सार्वजनिक जीवन के मानदंडों...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति / नयी दिल्ली दोस्तों, उत्तराखंड के लिए कठोर भू कानून की वकालत करने वाले वीडियो के बाद यह दूसरा वीडियो है। इसमें उत्तराखंड की भूमि और उसे लेकर मैदानी लोगों की काक दृष्टि को लेकर जानकारी दे रहा हूं।  यह जानकारी देने के साथ ही एक प्रश्न भी छोड़ जा रहा हूं। इस प्रश्न...
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