नैनीताल।  झीलों के लिए प्रसिद्ध शहर नैनीताल की नैनी झील संकट में है। इसमें पानी का स्तर लगातार घट रहा है।  इसकी वजह झील को भरने वाले स्रोत सूख रहे हैं और  नैनीताल में जमीन से रिसने वाले जल में आई कमी आई है। झील नियंत्रण केन्द्र के अनुसार विगत सौ सालों के रेकॉर्ड को देखते हुए यह साफ...
विलुप्त हो रही है गोरैया (घंड्यूड़ी) ---नंंदनी बड़थ्वाल नई दिल्ली। गोरैया, जिसे उत्तराखंड में घंड्यूड़ी कहा जाता है, आज विलुप्त होती जा रही है। दिल्ली में तो बहुमंजिला इमारतें बन जाने से इसका आशियाना ही छिन गया है। इसलिए यहां कबूतर तो बढ़ रहे हैं, लेकिन गोरैया बहुत कम दिखती है। दिल्ली सरकार ने इस राज्यीय पक्षी घोषित तो किया है, लेकिन...
नई दिल्ली।  उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में 3000 गांव पूरी तरह खाली हो गए हैं और ढाई लाख से ज्यादा घरों में ताले लटके हुए हैं। ये सरकारी आंकडे हैं।  गैर सरकारी आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है।  समृद्ध पहाड़ी शैली में निर्मित हजारों भव्य मकानों में घास व झाड़ियां उग गई हैं।   पूरे के...
नई दिल्ली।  हिमालय क्षेत्र में तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर के कारण नई झीलों का निर्माण हो रहा है। ये स्थानीय लोगों  खतरा बनती  जा रही हैं।  पिछले दो सालों में तेजी से पिघलते ग्लेशियरों के कारण हिमालय  क्षेत्र   में 110 नई झीलों का निर्माण हुआ है। इससे ग्लोफ (ग्लेशियल लेक ऑउटबर्स्ट फ्लड) बाढ़ का खतरा पैदा हो गया...
दिल्ली से लेकर देश-विदेश में इस लेख को पढ़ने वाले दोस्तो क्या आपने कभी अपने पुरखों के बनाए पुंगड़ों (खेतों) को याद किया है। जिन पुंगड़ों को बनाने में कई पीढ़ियां खप गईं होगी, उन्हें छोड़ने में हमने कोई वक्त नहीं गंवाया। दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में पल बढ़ रही पीढ़ी को भद्वाड़, सारी, पुंगड़ा, सगोड़ा, स्यारा, उखड़ जैसे शब्दों...
देहरादून। ग्लोबल वार्मिंग के चलते मैदानों की वनस्पतियां अब पहाड़ों की ओर जाने लगी हैं। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में वानस्पतिक विज्ञानियों के अध्ययन के अनुसार तापमान में वृद्धि के कारण मैदानी क्षेत्रों में पनपने वाली अनेक वनस्पतियां अब पहाड़ों की ओर रुख करने लगी हैं। वैज्ञानिक अध्ययन में उत्तराखंड के सोमेश्वर घाटी में साल वृक्षों की बढ़वार में तेजी...
देहरादून। पाप धुलने के  लिए हरिद्वार में गंगा में डुबकी लगाने  वालों के  पाप धुल या  न धुलें पर,गंगा जल उनको बीमार अवश्य कर सकता है। हर की पैड़ी में पानी इतना गंदा है कि पीना तो दूर, नहाने लायक भी नहीं बचा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(CPCB) ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि हरिद्वार में...
नई दिल्ली। विश्व पर्यावरण दिवस पर आइए इस धरती को बचाएं। वैसे तो यह दिवस एक रश्मभर रहा गया है। तापमान लगातार बढ़ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। हवा अब सांस लेने लायक नहीं बची है। आप जानते ही हैं कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के...
हिमालयीलोग  यह एक शुरूआत है। हिमालय के लोगों के  बारे में जानकारी देश-दुनिया को देने की। इतिहास की किताबों, पत्र-पत्रिकाओं, संग्रहालयों में कहीं भी तो हमारी संस्कृति, हमारे इतिहास, हमारे पुरखों आदि की समुचित जानकारी दर्ज नहीं है। हम हिमालयी राज्यो के राजाओं के इतिहास की बात नहीं कर रहे हैं।  इतिहास की पुस्तकों के पन्ने सिर्फ विदेशी आक्रांताओं...
उत्तराखंड के ॐ पर्वत पर भी ग्रीन हाउस गैसों और ग्लोवल वार्मिंग का असर साफ दिखने लगा है। पिथौरागढ़ स्थित छोटा कैलाश के नाम से पुकारे जाने वाले इस पर्वत पर अब कम बर्फ पड़ने से ॐ की आकृति ठीक से नहीं बन पा रही है। कैलाश को लेकर तो पहले से ही रिपोर्ट आ चुकी है कि ‘शिव...
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