नई दिल्ली। हिमालयी ग्लेशियर ही नहीं बल्कि देशभर के जंगल भी अब संकट में हैं।सरकारी रिपोर्ट भी कहती है की जंगल घाट रहे हैं। केंद्रीय पर्यायरण व वन मंत्रालय की ‘इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट-२०११’ भी कह चुकी है कि वर्ष २००९ की तुलना में ३६७ वर्ग किमी वन क्षेत्र घटा गया था जबकि केंद्र सरकार ने ग्रीन इंडिया मिशन के तहत देश के मौजूदा २३.८१ फीसदी वन क्षेत्र को वर्ष २०२० तक ३३ फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
हिमालयी राज्यों में जम्मू-कश्मीर में दो, हिमाचल प्रदेश में ११ और उत्तराखंड में मात्र एक वर्ग किमी वन क्षेत्र बढ़ा, जबकि पूर्वोत्तर के राज्यों अरुणाचल प्रदेश,असम, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा आदि में वन क्षेत्र घट गया। सिक्किम में वन क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं आया। पूर्वोत्तर में वन क्षेत्र में आई कमी के लिए जूम खेती को बड़ा कारण माना जा रहा है। इसके अलावा नक्सल प्रभावित राज्यों में वन क्षेत्र में कमी की एक वजह मावोवादियों की ओर से जंगलों का अवैध कटाई भी शामिल है। आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले में माओवादियों के कारण १८२ वर्ग किमी जंगल खत्म हो गया। केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय की तैयार भारत वन रिपोर्ट-२०११ के अनुसार वन क्षेत्र बढ़ाने के मामले में पंजाब सबसे आगे है जबकि सबसे ज्यादा वन क्षेत्र गंवाने में आंध्र प्रदेश रहा है। दोनों ही राज्यों में यूकेलिप्टस के पेड़ों की प्रमुख भूमिका रही। पंजाब में जहां यूकेलिप्टस के पेड़ लगाने से १०० वर्ग किमी वन क्षेत्र का इजाफा हुआ,तो दूसरी ओर आंध्र प्रदेश ने पुराने यूकेलिप्टस के पेड़ काटने से २८१ वन क्षेत्र गंवा दिया।
फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया हर दो साल में वन क्षेत्र के लेकर रिपोर्ट तैयार करता है। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल ७.८२ करोड़ हेक्टेयर भूमि में जंगल हैं, जो कि कुल क्षेत्रफल का २३.८१ फीसदी है। देश के १५ राज्यों में वन क्षेत्र का इजाफा हुआ जबकि १२ राज्यों में घटा है। वर्ष २००५ से हर दो साल में जंगलों की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार हो रही है। इसमें सेटेलाइट की भी मदद ली जाती है। इससे पहले वर्ष २००९ में रिपोर्ट आई थी।
इससे पहले ‘इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-२००९’ में कहा गया था कि भारत में पिछले एक दशक के दौरान प्रतिवर्ष तीन लाख हेक्टेयर की दर से वन क्षेत्र में इजाफा हुआ है। वर्ष १९९७ से २००७ के दौरान ३१.३० लाख हेक्टेयर की वन क्षेत्र बढ़ा है । तक कुल ७.८३ करोड़ हेक्टेयर वन क्षेत्र पाया गया था जो कुल क्षेत्रफल का २३.८४ फीसदी था। तक कहा गया ता कि यदि चार हजार मीटर से ज्यादा ऊंचाई के क्षेत्र को छोड़ दे,जहां कोई भी पेड़ नहीं उग सकता है तो यह औसत बढक़र २५.२५ फीसदी हो जाता है। वर्ष २००५ से २००७ के दौरान वन क्षेत्र में १८ लाख हेक्टयर की वृद्धि हुई थी।
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