उत्तराखंड के ॐ पर्वत पर भी ग्रीन हाउस गैसों और ग्लोवल वार्मिंग का असर साफ दिखने लगा है। पिथौरागढ़ स्थित छोटा कैलाश के नाम से पुकारे जाने वाले इस पर्वत पर अब कम बर्फ पड़ने से ॐ की आकृति ठीक से नहीं बन पा रही है। कैलाश को लेकर तो पहले से ही रिपोर्ट आ चुकी है कि ‘शिव शंकर भोलेनाथ’ का निवास स्थल भी पर्यावरणीय कारणों से संकट में है। बर्फ की कमी से ॐनहीं बन पा रहा है । गिरिराज हिमालय ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में हैं।
हिमालय क्षेत्र में कम बर्फबारी की खबरें नई नहीं हैं।संयुक्त राष्ट्र की पिछले दिनों आई रिपोर्ट में कहा गया था कि कि गंगा और यांगचे समेत विश्व की सात सबसे बड़ी नदियों का जन्मदाता हिमालय खतरे में है। क्योंकि हिमालयी ग्लेशियर पिघल रहे हैं। यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी ) की तैयार डोक्यूमेंट्री फिल्म में हिमालयी ग्लेशियरों पर छाए संकट को विस्तार से दिखाया गया है। इससे पहले भी हिमालयी ग्लेशियरों को लेकर इसी तरह की डरावनी खबरें आती रही हैं। लेकिन इनका कोई ठोस सबूत नहीं है। पर्यावरण मंत्रालय से ग्रामीण मंत्रालय में जा चुके जयराम रमेश का कहना है कि इसके लिए विश्वसनीय आंकड़े जुटाने की जरुरत है। हिमालयी ग्लेशियरों को लेकर विरोधाभाषी बातें सामने आती रही हैं। लगभग डेढ़ साल पहले केंद्रीय  पर्यावरण व वन मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा था कि कुछ ग्लेशियर भले ही पिघल रहे हों लेकिन कई बढ़ भी रह हैं, लेकिन ॐ पर्वत के उदाहरण से साफ है कि हिमालय पर संकट बढ़ रहा है।

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