ग्लोबल वार्मिग: पहाडों को जा रही हैं मैदानी वनस्पतियां

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देहरादून। ग्लोबल वार्मिंग के चलते मैदानों की वनस्पतियां अब पहाड़ों की ओर जाने लगी हैं। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में वानस्पतिक विज्ञानियों के अध्ययन के अनुसार तापमान में वृद्धि के कारण मैदानी क्षेत्रों में पनपने वाली अनेक वनस्पतियां अब पहाड़ों की ओर रुख करने लगी हैं।
वैज्ञानिक अध्ययन में उत्तराखंड के सोमेश्वर घाटी में साल वृक्षों की बढ़वार में तेजी पाई गई है। रानीखेत की धुराफाट पट्टी में खजूर व पाम (ताड़) वृक्षों साम्राज्य फैलता जा रहा है। मैदानी दलहन अरहर, आम, लीची, पपीता आदि फल प्रजातियां अब उच्च पर्वतीय इलाकों में भी देखने को मिल जाती हैं। पहाड़ों में मरुस्थलीय कैक्टस प्रजातियों का आक्रमण भी बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि यह चुनौतीपूर्ण परिवर्तन भविष्य में नए व्यवसायों को तो जन्म दे सकता है, लेकिन पहले से स्थापित स्थानीय वनस्पतियों के लिए यह एक खतरे की घंटी भी है।
कुमाऊं विश्व विद्यालय में नेचुरल रिसोर्स डाटा मैनेजमेंट सिस्टम इन उत्तराखंड के निदेशक प्रो. जीवन सिंह रावत कहते हैं कि इसे शिफ्टिंग ऑफ क्लाइमेटिक एरिया कहा जाता है, जो मैदान से हिमालयी क्षेत्र की ओर तेजी से शिफ्ट हो रहा है। जलवायु परिवर्तन (तापमान में वृद्धि) इसका मुख्य कारण है। नए बदलाव व अवसर के इस दौर में शोध की जरूरत है ताकि पता लग सके कि यहां कौन सी फल व इमारती वृक्ष प्रजातियों को बढ़ावा देकर व्यावसायिक लाभ लिया जा सकता है। हालांकि दूरगामी परिणाम हानिकारक भी हो सकते हैं।

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