सगरमाथा जिसने नापा नहीं, उसके नाम कर दिया माउंट एवरेस्ट परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com  आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिन कर्नल सर जॉर्ज एवरेस्ट (Colonel Sir George Everest )  के नाम पर इस चोटी का नाम रखा गया है, उन्होंने इसे कभी नापा ही नहीं।  विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत का नाम माउंट एवरेस्ट (Mount...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा / हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली / कश्मीर घाटी -  ऋषि कश्यप के वंशजों की इस घाटी  में  हिंदू साम्राज्य कैसे ढह गया और कैसे वहां इस्लाम फैलता चला गया। लंबे समय बाद फिर से कैसे फिर से हिंदू शासन आया। यह रोचक कहानी है। यह  आश्‍चर्य  का विषय है कि  भारत के इतिहास के पुस्तकों...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com E- mail- himalayilog@gmail.com जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार गढ़वाल के गढ़ों के बारे में जानकारी दे रहा हूं। इसके बाद कुमायुं समेत हिमालयी क्षेत्रों के गढ़ों (Garhwal, Garh, Garhi, Forts of Uttarakhand)की जानकारी देने  का प्रयास दूंगा। जब तक मैं आगे बढूं, तब...
देहरादून। ग्लोबल वार्मिंग के चलते मैदानों की वनस्पतियां अब पहाड़ों की ओर जाने लगी हैं। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में वानस्पतिक विज्ञानियों के अध्ययन के अनुसार तापमान में वृद्धि के कारण मैदानी क्षेत्रों में पनपने वाली अनेक वनस्पतियां अब पहाड़ों की ओर रुख करने लगी हैं। वैज्ञानिक अध्ययन में उत्तराखंड के सोमेश्वर घाटी में साल वृक्षों की बढ़वार में तेजी...
first voter of india Master Shyam Saran Negi परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली  हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के श्याम सरन नेगी जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। एक जुलाई २०२२ को नेगी जी  १०५ साल के हो गए हैं। हिमालयीलोग की ओर से नेगी जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं।  उम्मीद है कि आप लोगों ने  श्याम सरन नेगी जी...
हिमालयी लोगों के साथ पक्षपात करते रहे हैं मैदानी इतिहासकार परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com यह सोचनीय विषय है कि  हिंदी भाषी लोग भारत (India) के अन्य क्षेत्रों के लोगों के बारे में बहुत कम जानते हैं। भारत का इतिहास भी दिल्ली के धर्मांध व लुटेरे तुर्कों, मुगलों (Mugal) पर केंद्रित होकर लिखा गया है।...
पूर्वोत्तर के लोगों को चिंकी कहने पर पांच साल की जेल क्यों न हो? फाइलों में क्यों धूल फांक कर ही है बैजबरुआ कमेटी की रिपोर्ट परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com पूर्वोत्तर के छात्र-छात्राएं लंबे समय से दिल्ली विश्वविद्यालय में अपने लिए चिंकी(Chinki), मोमो, नेपाली, बहादुर, चाउमीन , चीनी जैसे संबोधन सुनते रहे हैं। परंतु कोराना...
हिंदी पत्रकारिता के जनक व कुमायुंनी और खड़ी बोली के आदि कवि गुमानी पंत की धरती उत्तराखंड की पत्रकारिता आज पथभ्रमित हो चली है। प्रदेश में कुकरमुत्तों की तरह निकल रहे पत्र-पत्रिकाओं खबरिया चैनल और वेबसाइट देखकर स्पष्ट हो जाता है कि इन सभी की प्राथमिकता यहां के जनसरोकार नहीं हैं, बल्कि पत्रकारिता की आड़ में अपने विभिन्न व्यवसायों...
- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा भारत  की यात्रा से  नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba ) चर्चा में हैं। यहां  उनकी यात्रा के बारे में मैं चर्चा नहीं कर रहा हूं, बल्कि यह बताने जा रहा हूं कि शेर बहादुर देउबा उत्तराखंड मूल के हैं। उनके पुरखे उत्तराखंड के कुमायुं से रहे हैं।जिस तरह उनसे पहले प्रधानमंत्री...
काफल ! जी हां यह उत्तराखंड समेत पूरे हिमालयी क्षेत्र का प्रसिद्ध फल है। यह हिमालयी  क्षेत्र में पाया जाने वाला मध्यम ऊंचाई वाला पौधा है,  जिसका वैज्ञानिक नाम मैरिका नागी है। यह मैरिटेसि परिवार का पौधा है जो लगभग पूरे भारत में पाया जाता है। उत्तराखंड में इसे काफल के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे...
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