नदी की तरह बहता रहा, समुद्र में जाकर ही मिलना है व खारा होना है --वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र धस्माना महात्मा गांधी या गांधीवाद, हिमालय या रेगिस्तान, वामपंथ हो या पूंजीवाद यानी भी कोई विषय, राजेन्द्र धस्माना इस तमाम विषयों का चलता-फिरता इन्साइक्लोपीडिया हैं। किसी भी मुद्दे पर नये विचार रख सकते हैं। दूरदर्शन में समाचार संपादक रहने के बाद सम्पूर्ण गांधी...
बात वर्ष1854 की है। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन पियर्स ने रेड इंडियन की भूमि का एक विशाल भू-भाग खरीदने का प्रस्ताव उनके मुखिया शिएटल के पास भेजा। इस प्रस्ताव में उन्हें विस्थापित कर उनके लिए दूसरे इलाके में जमीन देने का प्रावधान था। सरल हृदय प्रकृति पुत्र शिएटल के लिए भूमि का अर्थ भेड़ों या चमकदार मोतियों की तरह...
हिमालयीलोग  यह एक शुरूआत है। हिमालय के लोगों के  बारे में जानकारी देश-दुनिया को देने की। इतिहास की किताबों, पत्र-पत्रिकाओं, संग्रहालयों में कहीं भी तो हमारी संस्कृति, हमारे इतिहास, हमारे पुरखों आदि की समुचित जानकारी दर्ज नहीं है। हम हिमालयी राज्यो के राजाओं के इतिहास की बात नहीं कर रहे हैं।  इतिहास की पुस्तकों के पन्ने सिर्फ विदेशी आक्रांताओं...
नई दिल्ली।  उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में 3000 गांव पूरी तरह खाली हो गए हैं और ढाई लाख से ज्यादा घरों में ताले लटके हुए हैं। ये सरकारी आंकडे हैं।  गैर सरकारी आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है।  समृद्ध पहाड़ी शैली में निर्मित हजारों भव्य मकानों में घास व झाड़ियां उग गई हैं।   पूरे के...
प्राकृतिक संपदा से भरपूर होने के बावजूद हिमालयी क्षेत्रों के बच्चे भी कुपोषण के शिकार हैं। देश में अवरुद्ध विकास वाले औसतन ४४.९ फीसदी बच्चे, २२.९ फीसदी ठिगने बच्चे तथा ४०.४० कम वजन वाले बच्चे हैं। हिमालयी राज्यों में भी इन श्रेणी के बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है। इसकी एक बड़ी वजह पहाड़ी लोगों का अपने स्वास्थ्य के ...
नई दिल्ली। विश्व पर्यावरण दिवस पर आइए इस धरती को बचाएं। वैसे तो यह दिवस एक रश्मभर रहा गया है। तापमान लगातार बढ़ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। हवा अब सांस लेने लायक नहीं बची है। आप जानते ही हैं कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली देहरादून में कठमाली उन लोगों को कहा जाता है, जिनके पुरखे गढ़वाली थे और कई दशकों पहले वे देहरादून बस गए थे। यह भी कह सकते हैं कि उन्हें देहरादून में बसे सौ से ढाई सौ  साल हो चुके हैं। देहरादून कुलिंद, कार्तिकेयपुर व कत्यूरी से लेकर  पंवार नरेशें के समय...
नैनीताल।  झीलों के लिए प्रसिद्ध शहर नैनीताल की नैनी झील संकट में है। इसमें पानी का स्तर लगातार घट रहा है।  इसकी वजह झील को भरने वाले स्रोत सूख रहे हैं और  नैनीताल में जमीन से रिसने वाले जल में आई कमी आई है। झील नियंत्रण केन्द्र के अनुसार विगत सौ सालों के रेकॉर्ड को देखते हुए यह साफ...
देहरादून। पाप धुलने के  लिए हरिद्वार में गंगा में डुबकी लगाने  वालों के  पाप धुल या  न धुलें पर,गंगा जल उनको बीमार अवश्य कर सकता है। हर की पैड़ी में पानी इतना गंदा है कि पीना तो दूर, नहाने लायक भी नहीं बचा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(CPCB) ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि हरिद्वार में...
हिंदी पत्रकारिता के जनक व कुमायुंनी और खड़ी बोली के आदि कवि गुमानी पंत की धरती उत्तराखंड की पत्रकारिता आज पथभ्रमित हो चली है। प्रदेश में कुकरमुत्तों की तरह निकल रहे पत्र-पत्रिकाओं खबरिया चैनल और वेबसाइट देखकर स्पष्ट हो जाता है कि इन सभी की प्राथमिकता यहां के जनसरोकार नहीं हैं, बल्कि पत्रकारिता की आड़ में अपने विभिन्न व्यवसायों...
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