भारत को यदि किसी  महामानव ने एकसूत्र में बाँधा तो वे थे आदि शंकराचार्य। आदि शंकराचार्य (Adi Shakaracharya)  अद्वैत वेदान्त के प्रणेता, संस्कृत के विद्वान, उपनिषद व्याख्याता और हिन्दू धर्म प्रचारक थे। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार इनको भगवान शंकर का अवतार माना जाता है। इन्होंने लगभग पूरे भारत की यात्रा की और इनके जीवन का अधिकांश भाग उत्तर...
घुघुती -बसूती, क्या खैली, दुधभाती! याद है आपको मां की सुनाई यह लोरी घुघुती -बसूती, क्या खैली, दुधभाती, कु देलो, मां देली---- याद है आपको यह लोरी। बचपन में मां-दादी, नानी, मौसी आदि की सुनाई यह लोरी आज भी हमारे मन-मस्तिष्क में छाई है। लेकिन अब इसे हम भूलते जा रहे हैं। शहरों में रह रहे उत्तराखंडी शायद ही अपने बच्चों को इसे सुनाते...
  बुरांश के फूल का जूस  हृदय रोग, किडनी, लिवर के अलावा रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने और हड्डियों को सामान्य दर्द के लिए बहुत लाभदायी होता है। राज्य वृक्ष और इतने सारे औषधीय  गुण होने के बावजूद भी बुरांश के फूलों का वैज्ञानिक तौर पर उपयोग नहीं होता है।स्थानीय स्तर पर ही इस के फूलों का जूस बनाया जाता है।...
फाणु उत्तराखंड का बहुत स्वादिष्ट और प्रख्यात व्यंजन है। इसे गहत की दाल से बनाया जाता है लेकिन दूसरी दालों से भी बनाया जा सकता है।  फाणु बनाने के लिए गहत या उड़द या अन्य दाल को तीन या चार घंटे तक  पानी में भिगोया जाता है। विधि- गहत या किसी भी दाल को रात में  पानी में भीगा लें।  सुबह...
प्राचीन समय की बात है एक ब्राह्मण था। वह अपने जीवन से बड़ा दुखी रहा करता था। घर में कुछ खाने को नहीं था। स्वयं को खाने के लिए कुछ था ही नहीं तो दूसरों को क्या खिलाता? नाते-रिश्तेदार भी उसी की इज्जत करते हैं जो व्यक्ति धनवान होता है। इन सब चीजों से दुखी होकर ब्राह्मण ने कहीं...
एक गांव में एक विधवा औरत और उसकी 6-7 साल की बेटी रहते थे। किसी प्रकार गरीबी में वो दोनों अपना गुजर बसर करते थे। एक बार माँ सुबह सवेरे घास के लिए गयी और घास के साथ काफल भी तोड़ के लायी। बेटी ने काफल देखे तो बड़ी खुश हुई। माँ ने कहा कि मैं खेत में काम...
जलते अंगारों के कुंड में क्या कोई मानव चल सकता है? जी हां ऐसे दृश्य देखते हैं तो उत्तराखंड चले आइए। यहां जागरों व देव पूजन के समय यह सब देखा जा सकता है। हाल में भी केदारघाटी यक्षराज (जाख देवता) की पूजा के समय ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। यहां मंदिर परिसर में आग का कुंड बनाया गया...
यह छोटे आलू की सब्जी है। थिच्योणी उत्तराखंड की स्वादिष्ट और मशहूर व्यंजन है। विधि -- आलू को सिलबट्टा में थींच (कूट ) लें। फिर चूल्हे में कढ़ाई रखें। उसमें घी डाल कर गरम करें। उसमें जीरा व जख्या (पहाड़ का जीरा) का तडक़ा मारेें। फिर टमाटर व मसाले डाल दें। फिर उसमें थिचें आलू डाल दें। उसे कुछ देर तक भूनें।...
देहरादून। ‘उत्तराखंड आंदोलन : स्मृतियों का हिमालय’ पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार हरीश लखेड़ा को एक नवंबर को देहरादून के टाउन हॉल में सम्मानित किया गया । राज्य की 17वीं वर्षगांठ पर हो रहे कार्यक्रमों के तहत टाउन हॉल में यह कार्यक्रम हुआ है। उत्तराखंड राज्य गठन के 17 साल बाद इस अभूतपूर्व आंदोलन पर समग्रता में दस्तावेजों के साथ...
यह उत्तराखंड की प्रसिद्ध व्यंजन है। दिल्ली  स्थित उत्तराखंड सदन में यह उपलब्ध है। विधि-- उत्तराखंड में काला भट्ट होता है जिसे काला सोयाबीन भी कहते हैं। साबुत भट्ट को अच्छी तरह से साफ कर लें, और उन्हें तवे में भून लें। इससे पहले कढ़ाही  में तेल गर्म करें, उसमें साबूत जीरा डालकर भूने। जीरा जब हल्का भूरे रंग का दिखने लगे...
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