कश्मीरी लोक कथा- अकनंदुन परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com लोककथाएं भी अदभुद होती हैं। सदियों से लोगों की स्मृतियों में रजी-बसी रहती हैं और एक-दूसरे को सुनाने से  एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चली जाती हैं। हिमालयी क्षेत्र की लोककथाएं बहुत प्यारी हैं। इनमें मनुष्य के दुःख-सुख और उसकी इच्छाएं, अभिलाषाएं सभी प्रदर्शित होती...
अरसा उत्तराखंड का प्रसिद्ध पकवान है। यह शादी व्याह और अन्य खुशी के मौके पर बनाया जाता है। कहा जाता है कि यह पकवान केरल से आया, जब आदि शंकराचार्य यहां आए थे। कुछ लोग मानते हैं कि यह पकवान उडीसा से आया। अरसा व्यंजन बनाने के लिए 250 ग्राम भीगे चावल, 100 ग्राम गुड़, 500 मिलीलीटर तेल की जरुरत...
एक समय की बात है। एक परिवार में दो महिलाएं रहती थीं। बड़ी महिला यानी जेठानी बहुत दुष्ट थी, लेकिन छोटी यानी देवरानी शिष्ट, सौम्य, ईमानदार व जनसेवक थी। दोनों के कोई संतान नहीं थी। छोटी वाली जो भी कमाकर लाती, वह अपनी जेठानी आदि में बांट देती और दुख-दर्द में पूरे मनोयोग से उसकी सेवा करती, ताकि दोनों...
उत्तराखंड के पहाड़ों में लोगों ने अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का इजाद किया है। इनमें  दाल, भात के साथ ही कपुलु, फाणु,  झ्वली, चैंसु , रैलु, बाड़ी, पल्यो, चुना (कोदा) की रोटी, मुंगरी (मक्का) की रोटी, आलू  की थिचोड़ी, आलू का झोल, जंगोरा का भात, जंगोरा,  अरसा, बाल मिठाई, भांग की चटनी, भट्ट की...
डोगरी भारत के जम्मू और कश्मीर प्रान्त में बोली जाने वाली एक भाषा है। वर्ष 2004 में इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। पश्चिमी पहाड़ी बोलियों के परिवार में, मध्यवर्ती पहाड़ी पट्टी की जनभाषाओं में, डोगरी, चंबयाली, मडवाली, मंडयाली, बिलासपुरी, बागडी आदि उल्लेखनीय हैं।डोगरी भाषा भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य की दूसरी मुख्य भाषा है।...
किसी जंगल में एक लोमड़ी का परिवार रहता था। जब मादा लोमड़ी गर्भवती हुई तो उसने अपने पति से घर का इंतजाम करने को कहा। इस पर पति लोमड़ी बहुर्त ंचंतित हो गया, लेकिन उसने वादा किया कि वह घर का इंतजाम जरूर कर देगा।  जब बच्चों के जन्म का समय आया तो लोमड़ी अपनी पत्नी को बाघ की...
बहुत पुरानी बात हह। उत्तराखंड के सभी गावों की तरह डंणु गांव के लोग भी अपने ग्राम देवता की पूजा करने के लिए हर मौसम में मंदिरों में जाते थे। थे। गांव के सभी लोग उस देवता की कृपा से सुखी और संपन्न रहते थे। वे हर फसल के कट चुकने पर देवताओं को चढ़ावा चढ़ाने दूर एक स्थान...
बहुत पुरानी बात है। एक गांव में एक ब्राह्मण का बेटा बिलकुल नकारा था। कोई भी काम नहीं करता था। एक दिन उसे जब मां ने स्कूल भेजा तो वह स्कूल जाने की बजाए घर की छत में छुप गया और वहां की चिमनी से मां को रोटी बनाते देखता रहा कि मां ने कुल १० रोटियां बनाई हैं,...
काफल ! जी हां यह उत्तराखंड समेत पूरे हिमालयी क्षेत्र का प्रसिद्ध फल है। यह हिमालयी  क्षेत्र में पाया जाने वाला मध्यम ऊंचाई वाला पौधा है,  जिसका वैज्ञानिक नाम मैरिका नागी है। यह मैरिटेसि परिवार का पौधा है जो लगभग पूरे भारत में पाया जाता है। उत्तराखंड में इसे काफल के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे...
एक था सियार। एक दिन वह अपने शिकार की तलाश में जा रहा था। उसने दूर से देखा-एक आदमी एक बाघ के आगे-आगे चल रहा है। उसे दाल में कुछ काला नजर आया और वह नजर बचाकर चलने लगा। तभी उसे आदमी की आवाज़ सुनाई पड़ी, ‘मंत्री जी, मंत्री जी, जरा रुकिए।’ सियार ने अनसुनी-सी करते हुए अपनी चाल...
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