बहुत पुरानी बात है। किसी गांव में सात भाई रहते थे। वैसे तो वे बड़े प्यार से मिलकर रहते थे, लेकिन कभी-कभी उनमें झगड़ा हो जाया करता था। छह भाई तो एक ओर हो जाते, एक भाई अकेला पड़ जाता था। जो अकेला पड़ जाता था, वह सबसे छोटा था। वे सब मिलकर उसे बहुत तंग करते थे।
एक दिन...
ताराओन से कैसे हार गया गांव का राजा
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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इस लोककथा नागकन्या (Nagkanya & Taraon )और ताराओन से पहले हिमालयी राज्य अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के बारे में भी जान लेते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर का राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी में -उगते सूर्य का पर्वत- है । इस...
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साल में सिर्फ एक बार खुलते हैं मां नंदा के धर्म भाई श्री लाटू देवता के मंदिर के कपाट
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चमोली। उत्तराखंड के एक देवता ऐसे भी हैं, जिनके दर्शन उनका पुजारी भी नहीं कर पाता। यह मंदिर वर्ष में सिर्फ एक बार बैशाख पूर्णिमा के दिन कुछ घंटे के लिए खुलता है। मंदिर के द्वार खोलते समय पुजारी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। इस मंदिर में किसी वीआइपी की भी नहीं चलती है। वीआइपी की छोड़िए,...
एक था सियार। एक दिन वह अपने शिकार की तलाश में जा रहा था। उसने दूर से देखा-एक आदमी एक बाघ के आगे-आगे चल रहा है। उसे दाल में कुछ काला नजर आया और वह नजर बचाकर चलने लगा। तभी उसे आदमी की आवाज़ सुनाई पड़ी, ‘मंत्री जी, मंत्री जी, जरा रुकिए।’ सियार ने अनसुनी-सी करते हुए अपनी चाल...
घुघुती -बसूती, क्या खैली, दुधभाती!
याद है आपको मां की सुनाई यह लोरी
घुघुती -बसूती, क्या खैली, दुधभाती,
कु देलो, मां देली----
याद है आपको यह लोरी। बचपन में मां-दादी, नानी, मौसी आदि की सुनाई यह लोरी आज भी हमारे मन-मस्तिष्क में छाई है। लेकिन अब इसे हम भूलते जा रहे हैं।
शहरों में रह रहे उत्तराखंडी शायद ही अपने बच्चों को इसे सुनाते...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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यह कहानी सिक्किम (Sikkim) की प्रसिद्ध लोक कथा है। बहुत पुराने समय की बात है। सिक्किम के राजा ने राज्य का पशु का निर्णय किया। परंतु प्रश्न यह था कि राज्य पशु कौन होगा ।इसके लिए राजा ने सभी पशुओं को बुलाया गया, ताकि राज्य पशु का चुनाव किया...
किसी जंगल में एक लोमड़ी का परिवार रहता था। जब मादा लोमड़ी गर्भवती हुई तो उसने अपने पति से घर का इंतजाम करने को कहा। इस पर पति लोमड़ी बहुर्त ंचंतित हो गया, लेकिन उसने वादा किया कि वह घर का इंतजाम जरूर कर देगा। जब बच्चों के जन्म का समय आया तो लोमड़ी अपनी पत्नी को बाघ की...
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जीतू बगड़वाल को गढ़ नरेश मानशाह ने मरवाया अथवा सच में हर ले गई अछंरियां ?
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परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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गढ़वाल के भड़ जीतू बगड्वाल ( jeetu Bagdwal)और भरणा की प्रेम गाथा आज भी लोक में जीवंत है। इसका आज भी मंचन किया जाता है।
जीतू का कालखंड गढ़ नरेश मानशाह के समय है। मानशाह ने गढ़वाल पर सन 1591 से 1610 तक शासन किया। मान्यताओं के...