नाथ और सिद्धों की गाथा
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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सहयोगी यूट्यूब चैनल- संपादकीय न्यूज
बहुत कम लोग जानते हैं की बदरी नाथ धाम का पौराणिक नाम बद्रिकाश्रम था। जबकि केदारनाथ धाम का नाम केदारेश्वर था। इसी तरह कश्मीर में पवित्र अमरनाथ गुफा तथा नेपाल में पशुपितनाथ धाम के नाम में भी नाथ शब्द शामिल...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
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प्रकृति के निकट रहते हुए हिमालय के निवासी निश्चल होते हैं। पुरातन भारत में नर-नारी के संबंधों में खुलापन रहा है। हिमालयी क्षेत्र में गंधर्व विवाह अर्थात आज के प्रेम विवाह प्रचलन में थे और बड़ी संख्या में होते थे। यह शोध का विषय है कि ऐसा क्या...
himalayan studies
77 साल 7 माह व 7 दिन आयु होने की प्रतीक्षा क्यों करते हैं नेवारों के बुजुर्ग ? -नेपाल के नेवार समाज का इतिहास
admin -
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नई दिल्ली
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दोस्तों मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश लखेड़ा, हिमालयी जातियों के इतिहास की श्रृंखला में इस बार नेपाल के प्राचीन समाज नेवार को लेकर जानकारी दे रहा हूं। नेवार समाज की कुछ विशेषताएं हैं, जो की सभी समाजों के लिए अनुकरणीय हैं। नेवारों को लेकर जानकारी देने से पहले आप सभी से...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नई दिल्ली
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दोस्तों मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश लखेड़ा इस बार आपको नेपाल की रामायण और इसके रचयिता नेपाली के आदि कवि भानुभक्त आचार्य के बारे में जानकारी दे रहा । जब तक मैं आगे बढूं, तब तक इस हिमालयी लोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइबअवश्य कर दीजिए। आप जानते ही हैं कि हिमालयी...
History of Himalaya
हिंदू नहीं हैं पर खुद को बताते हैं ब्राह्मण! नेपाल के ब्राह्मणों का इतिहास
admin -
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नई दिल्ली
दोस्तों, मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयी क्षेत्र की जातियों के इतिहास की इस श्रृंखला में इस बार नेपाल के ब्राह्मणों को लेकर जानकारी लाया हूं। मैं जब तक इस कहानी को आगे बढाऊं, आपसे अनुरोध है कि इस चैनल को लाइक और सब्सक्राइब कर अवश्य दीजिएगा।
इससे पहले मैं उत्तराखंड...
हमें नेपाली नहीं, भारतीय गोरखा कहिए
परिकल्पना डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालय लोग की प्रस्तुति /नई दिल्ली
दोस्तों, इस बार आपको भारतीय गोरखा और नेपालियों में अंतर बताने आया हूं। जो गोरखा भारतीय नागरिक हैं, पाढ़ी दर पीढ़ी भारत में रह रहे हैं। यह भारतीय गोरखा समाज अपनी पहचान और भाषा का नाम के संकट से जूझ रहा है।
भारतीय गोरखा समाज अपनी...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली
दोस्तों, इस बार आपके लिए उत्तराखंड की राजनीति के एक महत्वपूर्ण पहलू को लेकर आया हूं। 9 नवंबर 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आए इस हिमालयी राज्य को मुख्यमंत्री तो बहुत मिले, लेकिन एक भी ऐसा नहीं मिला, जो राजनीतिक व सार्वजनिक जीवन के मानदंडों...
तमांग ने कैसे पहचाना अपना पति? अरुणाचल प्रदेश की लोक-कथा
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा /हिमालयीलोग की प्रस्तुति/नयी दिल्ली
दोस्तों, मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार सुदूर प्रांत अरुणाचल प्रदेश की लोककथा आपके लिए लेकर आया हूं। जब तक मैं कहानी को लेकर आगे बढूं, इस हिमालयीलोग चैनल को लाइक और सब्सक्राइब कर दीजिए।
अरुणाचल प्रदेश में तमांग नाम की...
History of Himalaya
नेपाल के पहले किराती राजा यलंबर थे महाबली भीम के पौत्र बर्बरीक यानी बाबा श्याम खाटू
admin -
नेपाल के पहले किराती राजा यलंबर थे महाबली भीम के पौत्र बर्बरीक यानी बाबा श्याम खाटू
शोध और आलेख- डा हरीश चंद्र लखेड़ा /हिमालयीलोग की प्रस्तुति/नयी दिल्ली
बाबा श्यामखाटू महाराज के नाम तो आपने सुना ही होगा। राजस्थान के सीकर जिले में बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। महाभारत के योद्धा बर्बरीक ही आज बाबा श्याम खाटू के नाम से पूजे जाते...
आचार्य चाणक्य और सम्राट चद्रगुप्त मौर्य को क्यों प्रिय थे हिमालयी वीर
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति
नयी दिल्ली
आप इसे हिमालयीलोग यूट्यूब चैनल मंे भी सुन सकते हैं।
दोस्तों इस बार आपके लिए इतिहास के पन्नों से गायब हुए उन हिमालयी वीरों की जानकारी दे रहा हूं, जिनकी भारत के प्रथम विशाल मौर्य साम्राज्य के गठन में प्रमुख भूमिका रही...