परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा             हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली         जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के अनूठे महाशिवरात्रि महोत्सव की जानकारी दे रहा हूं, जिसमें इस जिले के देवी-देवताओं को इस अवसर पर आमंत्रित किया...
first voter of india Master Shyam Saran Negi परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली  हिमाचल प्रदेश के किन्नौर के श्याम सरन नेगी जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। एक जुलाई २०२२ को नेगी जी  १०५ साल के हो गए हैं। हिमालयीलोग की ओर से नेगी जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं।  उम्मीद है कि आप लोगों ने  श्याम सरन नेगी जी...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली  सबसे पहले तो हिमाचलियों को हिमाचल दिवस (Himachal Diwas) की शुभकानाएं। प्रति वर्ष 15 अप्रैल को ‘हिमाचल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। देश की स्वतंत्रता के बाद इसी दिन 15 अप्रैल, 1948 को 30-31  पहाड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश के रूप में नया राज्य भारत के मानचित्र पर...
हिमाचल प्रदेश का इतिहास-एक जै हिमालय, जै भारत। परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com E- mail- himalayilog@gmail.com जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार महाभारत कालीन हिमाचल प्रदेश के बारे में जानकारी लेकर जानकारी लेकर आया हूं। जब तक मैं आगे बढूं, तब तक आपसे अनुरोध है कि इस हिमालयी लोग चैनल को...
कैसे अनजान होने पर भी एक-दूसरे के लिए प्राण दे दिए थे परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com हिमालयी क्षेत्र में प्रेम की अदभुद लोककथाएं हैं। जिनको लोग बहुत कम जानते हैं। बंबइया फिल्में बन जाने से लैला- मजनू, हीर-रांझा आदि को तो सभी जानते हैं, परंतु हिमालयी क्षेत्र की इन अदभुद और अनूठी प्रेम कथाओं...
  बग्वाल या बूढ़ी दीवाली  (Diwali)का भगवान राम से कोई लेना-देना नहीं परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और उत्तराखंड (UTtarakhand)में दीपावली के बाद लगभग ११ दिन से एक माह के दौरान फिर से दीवाली मनाई जाती है। इसे कहीं बूढ़ी दीवाली, कहीं इगास-बग्वाल कहा जाता है। इन दोनों राज्यों में प्रचारित किया...
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