डोगरी भारत के जम्मू और कश्मीर प्रान्त में बोली जाने वाली एक भाषा है। वर्ष 2004 में इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। पश्चिमी पहाड़ी बोलियों के परिवार में, मध्यवर्ती पहाड़ी पट्टी की जनभाषाओं में, डोगरी, चंबयाली, मडवाली, मंडयाली, बिलासपुरी, बागडी आदि उल्लेखनीय हैं।डोगरी भाषा भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य की दूसरी मुख्य भाषा है।...
कुमाऊँनी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक भाषा/बोली है। इस भाषा को हिन्दी की सहायक पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है। कुमाऊँनी भारत की ३२५ मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और २६,६०,००० (१९९८) से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिलों - अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर,...
गढ़वाली भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है।    गढ़वाली बोली का क्षेत्र प्रधान रूप से गढ़वाल में होने के कारण यह नाम पड़ा है।     पहले इस क्षेत्र के नाम केदारखंड, उत्तराखंड आदि थे।    यहाँ बहुत से गढ़ों के कारण, मध्ययुग में लोग इसे ‘गढ़वाल’ कहने लगे।     ग्रियर्सन के भाषा- सर्वेक्षण के अनुसार इसके बोलने...
विकास चाहिए तो केंद्र पर दबाव बनाएं हिमालयी राज्य ले. जनरल मदन मोहन लखेड़ा (पूर्व राज्यपाल मिजोरम) जनरल लखेड़ा का मानना है कि आजादी के बाद हिमालयी राज्यों का जिस तेजी से विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है। जल और जंगल समेत अधिकतर प्राकृतिक संसाधन हिमालयी राज्यों के हैं, लेकिन उनका फायदा मैदानी लोगों को ज्यादा मिलता है। वह...
नदी की तरह बहता रहा, समुद्र में जाकर ही मिलना है व खारा होना है --वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र धस्माना महात्मा गांधी या गांधीवाद, हिमालय या रेगिस्तान, वामपंथ हो या पूंजीवाद यानी भी कोई विषय, राजेन्द्र धस्माना इस तमाम विषयों का चलता-फिरता इन्साइक्लोपीडिया हैं। किसी भी मुद्दे पर नये विचार रख सकते हैं। दूरदर्शन में समाचार संपादक रहने के बाद सम्पूर्ण गांधी...
यह उत्तराखंड की प्रसिद्ध व्यंजन है। दिल्ली  स्थित उत्तराखंड सदन में यह उपलब्ध है। विधि-- उत्तराखंड में काला भट्ट होता है जिसे काला सोयाबीन भी कहते हैं। साबुत भट्ट को अच्छी तरह से साफ कर लें, और उन्हें तवे में भून लें। इससे पहले कढ़ाही  में तेल गर्म करें, उसमें साबूत जीरा डालकर भूने। जीरा जब हल्का भूरे रंग का दिखने लगे...
अरसा उत्तराखंड का प्रसिद्ध पकवान है। यह शादी व्याह और अन्य खुशी के मौके पर बनाया जाता है। कहा जाता है कि यह पकवान केरल से आया, जब आदि शंकराचार्य यहां आए थे। कुछ लोग मानते हैं कि यह पकवान उडीसा से आया। अरसा व्यंजन बनाने के लिए 250 ग्राम भीगे चावल, 100 ग्राम गुड़, 500 मिलीलीटर तेल की जरुरत...
यह छोटे आलू की सब्जी है। थिच्योणी उत्तराखंड की स्वादिष्ट और मशहूर व्यंजन है। विधि -- आलू को सिलबट्टा में थींच (कूट ) लें। फिर चूल्हे में कढ़ाई रखें। उसमें घी डाल कर गरम करें। उसमें जीरा व जख्या (पहाड़ का जीरा) का तडक़ा मारेें। फिर टमाटर व मसाले डाल दें। फिर उसमें थिचें आलू डाल दें। उसे कुछ देर तक भूनें।...
फाणु उत्तराखंड का बहुत स्वादिष्ट और प्रख्यात व्यंजन है। इसे गहत की दाल से बनाया जाता है लेकिन दूसरी दालों से भी बनाया जा सकता है।  फाणु बनाने के लिए गहत या उड़द या अन्य दाल को तीन या चार घंटे तक  पानी में भिगोया जाता है। विधि- गहत या किसी भी दाल को रात में  पानी में भीगा लें।  सुबह...
उत्तराखंड के पहाड़ों में लोगों ने अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का इजाद किया है। इनमें  दाल, भात के साथ ही कपुलु, फाणु,  झ्वली, चैंसु , रैलु, बाड़ी, पल्यो, चुना (कोदा) की रोटी, मुंगरी (मक्का) की रोटी, आलू  की थिचोड़ी, आलू का झोल, जंगोरा का भात, जंगोरा,  अरसा, बाल मिठाई, भांग की चटनी, भट्ट की...
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