सेना को रक्षात्मक से आक्रामक तेवरों में ले आए थे  जनरल डा. बिपिन रावत

0
152

                  परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा

               हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली

www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com       

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ  (सीडीएस) the first Chief of Defence Staff (CDS) of the Indian Armed Forces जनरल बिपिन रावत (General Dr. Bipin Rawat)  अब हमारे बीच नहीं रहे। परंतु वे भारत को एक ऐसी सेना दे गए हैं जो अब रक्षात्मक मुद्रा में नहीं रहती है, वह अब आक्रामक  तेवरों में रही है। वे सेना के आधुनिकीकरण में जुटे थे। ( brought the army from defensive to aggressive) )जनरल (General Dr.Bipin Rawat) कहते थे कि भारतीय सेना को चीन की तुलना में तकनीकी तौर पर अभी और  सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है। ऐसा नहीं कि सेना के पहले के अफसर ऐसा करना नहीं चाहते थे परंतु तब राजनीतिक नेतृत्व इस मामले में ढुलमूल था। कुछ उदाहरण देता हूं। कश्मीर फ्रंट में सेना को रक्षात्मक मुद्रा में रखा गया था। इसलिए कि तब की सरकार और  कुछ राजनीतिक दल वहां के आतंकियों का समर्थन करने वाले कट्टर मुसलमानों के नाराज होने  से डरे रहते थे। इसलिए कश्मीर की कई महिलाएं जब सैनिकों पर पत्थर फेंकने के साथ ही थूकती भी थीं। कूड़ा फेंकती थी। केंद्र सरकार वे उनके समर्थक दलों के मुंह पर पटी लगी रहती थी। परंतु अब कश्मीर में किसी की ऐसा करने की हिम्मत नहीं है। सेना से अब ऐसा व्यवहार करने पर उन्हें उनकी ही भाषा में उत्तर मिल जाता है।

 the first Chief of Defence Staff (CDS) of the Indian Armed Forces 

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पाकिस्तान की सीमा पर बने बंकरों में रह रहे सभी सैनिकों को एके ४७ नहीं दी गई थी। एक बंकर में लगभग १० सैनिक होते हैं, परंतु लगभग 3 या 4 ही एके  47 रहती थी। बाकी को इनसॉस दी गई थी। सभी को बुलेट प्रुफ जैकेट भी नहीं दी गई थी। सिर के लिए हेलमेट भी न थे। ऐसे में सेना भला कैसे आतंकियों से लड़ती?। रक्षा मंत्री भी ऐसे थे जो हमेशा फाइलों को दबा कर रखते थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी ने एनएसए अजीत डोभाल और जनरल रावत को खुली छूट देकर सेना को आक्रामक तेवरों के साथ तैयार करने को कहा। इन दोनों ने यह कर भी दिया। यही कारण है की पाकिस्तान और म्यांमार में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन किए गए।  गालवान से लेकर डॉकलाम तक चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया गया। भारतीय सशस्त्र बलों के अधिक संयुक्त रूप से एकीकृत युद्ध लड़ने के लिए जनरल रावत थिएटर कमान बनाने में लगे थे।

वे निडर थे और साफ बोलते थे। सरकार व नेता जब चीन का नाम तक लेने से  परहेज कर रहे थे,ऐसे में जनरल रावत (General Dr.Bipin Rawat) चीन का नाम लेकर बोलते थे। उनके बयान भी साफ संदेश देते थे। एक बार उन्होंने कहा था कि हमारी सेना ढाई मोर्चों पर एक साथ जंग लड़ने के लिए तैयार है। जनरल रावत (General Dr.Bipin Rawat)ने जून 2017 को यह बयान दिया था। तब वे सेनाध्यक्ष थे। उनके इस बयान का अर्थ था कि भारतीय सेना चीन, पाकिस्तान और आतंकवाद से एक साथ निपटने में सक्षम है।  रावत ने ये बयान इसलिए दिया था क्योंकि उन्होंने कहा था कि अगर चीन के साथ संघर्ष की नौबत आई तो पाकिस्तान इसका फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है। उनके इस बयान पर चीन और पाकिस्तान दोनों भड़क गए थे।

देश के टुकड़ा गैंग को भी वे कड़ा संदेश देते रहे। जनरल रावत (General Dr.Bipin Rawat) ने 26 दिसंबर, 2019 को कहा था कि नेता वे होते हैं जो सही दिशा में लोगों का नेतृत्व करते हैं। बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी और कॉलेज के स्टूडेंट जिस तरह से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं उससे शहरों में हिंसा और आगज़नी बढ़ रही है। नेतृत्व ऐसा नहीं होना चाहिए.।

जनरल रावत को सेना में उग्रवाद और लाइन ऑफ कंट्रोल की चुनौतियों से निपटने का एक दशक का अनुभव था, जबकि शिक्षा के क्षेत्र में भी वे पीएचडी भी थे।  पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद को काबू में करने और म्यांमार में विद्रोहियों के कैंपों को ख़त्म कराने में भी जनरल रावत की अहम भूमिका रही। जनरल रावत के सेना प्रमुख बनने के कुछ ही महीनों में चीन के साथ डोकलाम में तनातनी की स्थिति पैदा हो गई थी। डोकलाम भूटान में है और वहां चीन सैन्य ठिकाने बना रहा था।  भारत ने वहां आक्रामक सैन्य नीति अपना कर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे।   जनरल रावत (General Dr.Bipin Rawat) इसराइल से सैन्य संबंधों को बढ़ाने के भी पक्षधर रहे थे। वे अमेरिका के भी निकट थे।  जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रहे थे। इसलिए जनरल रावत (General Dr.Bipin Rawat) the first Chief of Defence Staff (CDS) of the Indian Armed Forces देश के दुश्मनों को जवाब देना बखूबी जानते। वे सेना में थिएटर कमांड का रोडमैप तैयार कर चुके थे।

जनरल रावत ने (General Dr.Bipin Rawat) the first Chief of Defence Staff (CDS) of the Indian Armed Forces एक बार कहा था कि हर सैनिक को पांच चुनिंदा शब्द बताए जाते  हैं। ‘नाम,नमक, निशान, वफादारी और इज्जत।इन पांच शब्दों पर, इन पांच तत्वों पर  हर एक सैनिक की नींव जोड़ी जाती है। ये पांच शब्द इतनी गहराई से उसके दिमाग में बिठा दिए जाते हैं कि जब भी उसे किसी कर्तव्य का पालन करना होता है। इन तत्वों को ध्यान में रखते हुए उसे आगे चलते रहना होता है। और जबतक भारतवर्ष के सैनिक इन पांच शब्दों पर अमल करते रहेंगे, तब तक यकीन के साथ कह सकता हूं कि अगर भारतीय सेना पर कोई बुरी नजर डालेगा तो उसका नाश कर दिया जाएगा।

ऐसे थे जनरल रावत (General Dr.Bipin Rawat)।  the first Chief of Defence Staff (CDS) of the Indian Armed Forces 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here