जनरल रावत की मौत दुर्घटना या साजिश?

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   पहाड़ी अफसरों की कचबोली पार्टी भी आयोजित करते थे जनरल रावत

परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा

हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली

www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com

जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार  देश के प्रथम देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत को लेकर दुखद सूचना के साथ आया हूं। सबसे पहले तो मैं  बहादुर देशभक्त और महान सेनापति जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधूलिका रावत समेत इस दुर्घटना में मारे गए सभी सभी सैनिकों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आप लोग जानते ही हैं कि तमिलनाडु के कुन्नूर में आठ दिसंबर २०२१ को वायु सेना के एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में  जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों का निधन हो गया है। इस हादसे के वक्त Mi-17 हेलीकॉप्टर में सेना के कई बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। भारतीय वायु सेना के एमआई-17V5 हेलीकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में क्रैश हो ने के पीछे मुझे कुछ आशंका लग रही है। यह सोचने के विषय है कि आखिरकार यह सबसे सुरक्षित माने जाने वाला हेलीकॉप्टर कैसे दुर्घटना का शिकार हो गया। एमआई-17 (MI-17V5) हेलिकॉप्टर को भारतीय वायु सेना के सबसे सुरक्षित हेलिकॉप्टरों में एक माना जाता है। भारत ने रूस से ये 80 एमआई-17 हेलिकॉप्टर खरीदे हैं। 2011 में इन हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति प्रारंभ हुई थी और साल 2018 में पूरी हो गई थी।  पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता डा. सुब्रह्मण्य स्वामी ने इस घटना के पीछे बहुत बड़ी विदेशी साजिश की आशंका जता दी है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि जनरल रावत चीन को लेकर बहुत ही स्पष्टता से अपनी बात रखते थे। उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि शायद भारत अभी तक चीन को बहुत हल्के में ले रहा है। मैं डा. सुब्रह्मण्य स्वामी की बात से सहमत हूं। वैसे जो अब यह बात जांच के बाद ही सामने आएगी, परंतु  केंद्र सरकार को हर पहलू की जांच करनी चाहिए। क्योंकि एमआई-17 (MI-17V5) वायु सेना के सबसे सुरक्षित हेलिकॉप्टर माना जाता है और प्रधानमंत्री भी इसी से यात्रा करते हैं। ऐसे में जिस तरह से दो गढ़वालियों,  राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और सीडीएस  जनरल रावत की जोड़ी ने चीन और पाकिस्तान को चुनौदी दे रखी थी, उससे आशंका तो होती ही है। इसलिए आशंका होती है। इसलिए मोदी सरकार को जांच करानी चाहिए कि कहीं, इस हेलीकाप्टर की एक गहरी साजिश के तहत दुर्घटना  तो कराई गई। यह साजिशन तकनीकी गड़बड़ियां तो नहीं की गयी होगी। जनरल रावत पाकिस्तान और चीन को सबक सिखाने के लिए देश के सुरक्षा ततंत्र के लगातार मजबूत कर रहे थे। कश्मीर में उन्होंने आतंकवादियों को कठोरता के साथ कुचलने की नीति अपनायी थी और सेना को पूरी छूट दे रखी थी। वे आंतरिक दुश्मनों व टुकड़ा गैग जैसे देशद्रोहियों  को कठोरता के साथ कुचलने की पैरबी करते थे। उन्होंने सेना में हथियार दलालों और सेना की आपूर्ति लाइन में रिश्तवखोरी पर अंकुश लगा दिया था। वे सेना के मनोबल को बढ़ाने का हर संभव प्रयास करते थे। इसलिए देश में उनके कई दुश्मन भी पैदा हो गए थे।   जनरल रावत और एनएसए अजित डोभाल की जोड़ी  ने देश को सुरक्षा के हर मोर्च पर बचाया।

यह भी संयोग है कि उत्तराखंड के जनरल बिपिन चंद्र जोशी की भी सेनाध्यक्ष रहते हुए मौत हो गई थी। उत्तराखंड के सेना के सर्वोच्च पद पर रहे ये दोनों अफसर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। तब उत्तराखंड आंदोलन जोरों पर था। 

दिल्ली में पहाड़ी अफसर आए दिन मिलते थे और कचबोली पार्टी करते थे। कचबोली यानी बकरे के मांस को भून पर तैयार भोज की पार्टी करते थे। वे पहाड़ी अफसरो से इस पार्टी में मिलते थे। हालांकि ये अफसर पहाड़ के पत्रकारों से दूरी बनाए रखते हैं। दिल्ली में प्रशासन से संबिंधत अफसरों की उत्तरायणी नाम की संस्था भी है। हालांकि यह संस्था मिलन कार्यक्रमों तक सीमित रहती है। बहरहाल, सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड के जिला पौड़ी  गढ़वाल के द्वारीखाल ब्लॉक के सैंण गांव के मूल निवासी थे। जनरल विपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत मध्य प्रदेश के शहडोल जिले की सोहागपुर रियासत की बेटी थीं। उनके पिता का नाम कुंवर मृगेंद्र सिंह था। मधुलिका रावत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से  मनोविज्ञान में ग्रेजुएशन किया हुआ था। रावत की दो बेटियां हैं। जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट-जनरल रहे। जनरल बिपिन रावत ने देहरादून से पढ़ाई की। इसके बाद एनडीए से सेना में पहुंचे। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटजिक स्टडीज में पीएचडी की थी। सेना में उनका प्रवेश 1978 में गोरखा रायफल्स से हुआ। 63 साल के जीवन में जनरल रावत ने कई ऐसे काम किए, जो हमेशा याद रखे जाएंगे। उरी हमले के बाद सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक पैरा कमांडोज ने भले ही की थी लेकिन उसके पीछे दिमाग जनरल रावत का था। 16 दिसंबर 1978 को जनरल बिपिन रावत बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट सेना में भर्ती हुए थे। 1 जनवरी 2017 को मोदी सरकार ने उन्हें आर्मी चीफ बनाया था। थलसेना के प्रमुख रहे जनरल बिपिन रावत को रिटायरमेंट से एक दिन पहले देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया था।   अंत में इस वीर भड़ जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि देते हुए उनको नमन। यह वीडियो कैसी लगी, कमेंट में अवश्य लिखें। हिमालयीलोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब करना न भूलना। आप जानते ही हैं कि हिमालयी क्षेत्र के इतिहास, लोक, भाषा, संस्कृति, कला, संगीत, सरोकार आदि को देश- दुनिया के सामने रखने के लिए हिमालयीलोग चैनल लाया गया है। आप इस आलेख को हिमालयीलोग वेबसाइट में पढ़ भी सकते हैं। इसके टाइटल सांग – हम पहाड़ा औंला– को भी सुन लेना। मेरा ही लिखा है।  इसी चैनल में है। हमारे सहयोगी चैनल – संपादकीय न्यूज—को भी देखते रहना। अगली वीडियो का इंतजार कीजिए। तब तक जै हिमालय, जै भारत। ===================   

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