जम्मू, अक्टूबर। चीड़ जिसे जंगल का ऊंट कहा जाता है यह जहां भी जाता है जमीन को बंजर बना देता है।इसमें पाया जाने वाला allelochem जमीन को अम्लीय बना देता है जिसके कारण इसकी जमीन पर कुछ भी उग नही पाता। जब हम वर्किंग प्लान की बात करें तो सभी कोनिफेर्स को कमर्शियल जंगल कहा जाता है। इसमें कोई शक़ की बात नही की चीड़ के जंगल में आग लगती है पर जंगल में आग कभी भी खुद् नही लगती हमेशा इंसान के द्वारा लगाई जाती है।मैंने अपने पूरे सर्विस में एक भी बार ऐसा नही देखा जब चीड़ के जंगल में आग खुद लगी हो हमेशा इंसान इसके लिए जिमेदार रहा है।स्थानिय लोगों का मानना है की आग से जंगल में जमी पत्ती जल जाती है और नई घास निकल आती है।सिर्फ एक घास लेने के लिए पूरे जंगल को कुछ ही समय में जला कर राख कर दिया जाता है।जंगल की आग से न सिर्फ जंगल की वनस्पति बल्कि जंगल में रहने वाले जानवर और पँछी भी जल कर राख हो जाते हैं। दूसरी तरफ बार बार आग लगने से जंगल की वनस्पति खतरे में पड जाती है और वहाँ ऐसे पेड़ पौधे आ जाते हैं जो आग से लड़ सकते हैं या झाडिय़ाँ पनपने लगती हैं। बहुत बार देखा गया है की जंगल मोनोकल्चर का रूप ले लेता है। मैंने नोशेरा मे चीड़ पर एक शोध में पाया की सिर्फ अप्रैल ,मई तथा जून माह मे चीड़ के निचे प्रति वर्ग मीटर 3 से 5 किलो पत्ती इक_ी हो जाती है। यह पत्ती अति ज्वलनशील होने के कारण एक चिंगारी से ही पूरा जंगल जला कर राख कर सकती है।चीड़ एक clima& species है जो अपने जीवनकाल की सारी मुश्किलें पार कर आई है ।चीड़ के पेड़ को आग से कोई ज्यादा नुकसान नही होता वल्कि इसके शंकु को जब आग की गर्मी मिलती है तो उसके अंदर मौजूद राल जलने के बाद बीज की dormancy खत्म हो कर बीज को अंकुरित होने का मौका देती है।मगऱ यह भी देखा गया है जिस पेड़ से राल निकाली गयी हो जब उसे आग लगती है तो वह पेड़ जल कर खत्म हो जाता है। ऐसे पेड़ की आग कई दिन तक जलती रहती है जो दूसरे जंगल के लिए भी खतरा बनी रहती है।मेरा सभी वन अधिकारियों से अनुरोध है की जब भी चीड़ के जंगल में बृक्षारोपण करें तो बांस और ऐसे पौधे का चयन ना करें जो आग को बढ़ावा देते हों।क्योंकि बांस के झुण्ड को अगर एक बार आग लग जाए तो वह बुझती नही है जिससे जंगल को आग का खतरा बना रहता है।जंगल की आग बहुत सी बातों पर निर्भर करती हैं जिसमें जंगल की उम्र density  aspect  शामिल हैं।चीड़ गर्म aspect पर पाई जाती है।चीड़ से निकलने बाला oleo resin पारदर्शिय साफ़ और तीखी खुशबू वाला होता है जो वार्निश, रंग बनाने ,पटाखे बनाने ,नेल पोलिश तथा चिकनाई बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसके आलावा मल्हम बनाने से लेकर प्लास्टर बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है। rosin गोंद बनाने, प्रिंटिंग की स्याही,बिजली की तार को insolate करने, कागज बनाने soldering flu & तथा माचिस बनाने तक इस्तेमाल किया जाता है।

चीड़ सिर्फ एक इमारती लकड़ी देने वाला पेड नही बल्कि एक औषधिय पौधा भी है। चीड़ से ना जाने कितनी दवाइयाँ बनाई जाती हैं। चीड़ से मिलने वाले oleo resin से कीड़े मारने की दवाई, संक्रमण की दवाई ,लिवर सम्बद्दी ,जख्म भरने के लिए, बैक्टीरिया से होने वाली बिमारियों के लिए ,फंफुन्द संक्रमण आदि के लिए दवाई बनाई जाती है।इतना ही नही खांसी , अल्सर ,आस्थमा, पुरानी खांसी, बबासीर, पिशाब सम्बन्धि बिकार टीवी तथा मिर्गी आदि की दवाई भी बनाई जाती है।अमेरिका के डॉक्टर इससे जोड़ों के दर्द तथा कैंसर की दवाई भी बनाते हैं।वह इसे अल्सर और स्माल पॉक्स पर भी इस्तेमाल करते हैं। चीड़ से निकली राल कील मुँहासे पर लगाने से कुछ ही दिन में चेहरा साफ़ हो जाता है।यह सांप तथा बिच्छू के काटने पर तथा छाती के दर्द पर भी इस्तेमाल किया जाता है। 2 ग्राम राल 2 ग्राम नमक 250 से 300 मिलीलीटर पानी के साथ उबाल कर रात को सोते समय हल्का गर्म पीने से खाँसी ,अस्थमा ,गनोरिया,स्कर्वी तथा टीवी आदि ठीक हो जाता है, अगर इसका स्टीम बाथ लिया जाए तो जोड़ों के दर्द में भी लाभ मिलता है, यह पैर कि एड़ी में आई दरार तथा आँख की सूजन पर भी लाभदायक है।(दिरेंडर एट.ऑल 2010) उत्तरांखड में राल को  पिशाब सबंधी बिकार के लिए तथा मृद्धा के बहाव को रोकने में भी सहायक माना जाता है।पत्ते के क्वात्थ को शरीर में आई मौच पर इस्तेमॉल किया जाता है। चीड़ की लकड़ी से निकाला गया तेल नर्व टॉनिक , जलन तथा क्रैक पर फायदेमन्द होता है। चीड़ की छाल एक एंटीऑक्सीडेंट है जो दिल की बीमारी की दवाई के लिए एक फार्मूला है। यह एक उपयोगी औषधि है किडनी तथा ब्लैडर बिकार के लिए। चीड़ की पत्ती से पाइन वूल बनाई जाती है,  पाइन वूल बनाने के लिए चीड़ की पत्ती को कास्टिक सोडा में पकाया जाता है और फिर धो कर वूल बनाई जाती जो फलों को पैक करने में काम आती है। इसके आलावा इसे कागज बनाने तथा बिजली के gasifier चलाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।पत्ते को composit wood के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर चीड़ के पत्ते को आय के साधन बना कर इस्तेमाल किया जाए तो जंगल की आग से भी बचा जा सकता है और साथ ही साथ लोगों के लिए रोजगार भी पैदा किया जा सकता है।यह भी देखने को मिला है की चीड़ कि लकड़ी से निकला बूरा तथा राल कुछ लोगों को चमड़ी की समस्या पैदा करते हैं। चीड एक बहुउपयोगी पौधा है जो खुद पैदा हो कर इस मानव जीवन के लिए ना सिर्फ इमारती लकड़ी, साफ हवा बल्कि औषधि भी इस मानव जगत को प्रदान करता है।


 

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