कैसे होता था अट्टा-सट्टा व बट्टा-सट्टा या ग्वरसांट विवाह

0
218

हिमालयी समाज की अदभुद विवाह प्रथा-

परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा /हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली

www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com

E- mail- himalayilog@gmail.com

हिमालयी लोगों की अदभुत जीवन शैली रही है। इसमें एक-दूसरे का सम्मान, प्रेम और आपसी सहयोग की भावना बहुत अधिक रही है। इसी भावना के तहत यहां एक अदभुद विवाह भी प्रचलन में था। इसे अट्टा-सट्टा व बट्टा-सट्टा या ग्वरसांट विवाह कहते थे।

वास्तव में यह  हिमालय के खस समाज (Khas of Himalaya)की प्रथा थी। अब तो समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है। अब शादी के लिए लड़की-लड़का राजी हैं तो उन्हें  विवाह करने का अधिकार मिला है। परंतु पहले ऐसा नहीं था। हिमालयी लोगों की कुछ और भी प्रथाएं थीं। इस बारे में बताने से पहले हिंदू धर्म में विवाह को लेकर जानकारी दे देता हूं। हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में से विवाह संस्कार एक प्रमुख संस्कार है। इसे एक बेहद पवित्र संस्कार माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में विवाह के आठ प्रकार बताए गए हैं। ये 1. ब्रम्ह विवाह  2. दैव विवाह  3. आर्ष विवाह  4. प्रजापत्य विवाह  5. गंधर्व विवाह  6. असुर विवाह  7. राक्षस विवाह  8. पैशाच विवाह हैं।इनमें से उपरोक्त विवाह के 8 प्रकारों में से प्रथम पांच -ब्रम्ह विवाह , दैव विवाह , आर्ष विवाह, प्रजापत्य विवाह व गंधर्व विवाह, उत्तम कोटि के विवाह माने जाते थे, जबकि बाद के चार प्रकार असुर विवाह, राक्षस विवाह, पैशाच विवाह के विवाह निम्न कोटि के विवाह माने जाते थे।(Khas of Himalaya)परंतु हिमालयी क्षेत्र में विवाह के अपनी प्रथाएं प्रचलन में थीं।(Khas of Himalaya)  यहां का अट्टा-सट्टा व बट्टा-सट्टा या ग्वरसांट विवाह खस समाज में प्रचलन में था, जो कि बाद में सभी लोगों में प्रचलन में आ गया। इस विवाह के  लिए कन्याओं की आपस में अदला-बदली की जाती थी। बेटे के लिए लड़की दो और बेटी को बहू बनाकर ले जाओ।  यह विवाह गरीब लोगों में प्रचलन में था। (Khas of Himalaya)पहाड़ में पहले कन्या को बहू के तौर पर लाने के लिए वर के पिता के लिए आवश्यक था कि वह वधू लाने के लिए उसके पिता या अभिभावक को कन्या शुल्क दे। इस तरह के विवाह में कन्या शुल्क देने-लेने से राहत मिल जाती थी। इसमें सामान्यत: किसी लड़के का पिता जिस लड़की को बहू बना कर लाना चाहता था, उसी लड़की के भाई को अपनी लड़की दे देता था। इस तरह  दो व्यक्ति अपने-अपने बेटों के लिए एक-दूसरे की बेटियों को बहू के तौर पर लाते थे। इस प्रकार के विवाह को उत्तराखंड में अट्टा- सट्टा , बट्टा- सट्टा या ग्वरसांट कहा जाता रहा है। इस तरह के विवाह हिमाचल, उत्तराखंड से लेकर नेपाल के खसों में प्रचलित थे। हिमाचल प्रदेश के गद्दियों (Khas of Himalaya)में इसे  वरीणा या वरमाणे कहा जाता रहा है।हालांकि अब इस तरह के विवाह लगभग समाप्त हो गए हैं । पहले भी निर्धन या मध्यमवर्गीय लोगों में यह विवाह बहुत  प्रचलन था और यहां  के वैवाहिक संबंधों का एक सर्वमान्य वहुप्रचलित रूप था। इसकी पुष्टि  उन बंधुत्ववाची शब्दों से भी होती है।  जो कि इस प्रथा के समाप्त हो जाने के बाद ही इनका प्रयोग यथावत बनाए हुए हैं । उत्तराखंडी समाज में अभी भी विवाहित महिलाएं अपनी ननद के पति को भाई के रूप में संबोधित करती हैं। इसी तरह जीजा भी अपने सालों की पत्नियों को बहन के रूप में संबोधित करते हैं। यह  संबोधन इस अट्टा-सट्टा, बट्टा-सट्टा या ग्वरसांट विवाह का एक बड़ा प्रमाण है। यह शादियां अब भी प्रचलित हैं, परंतु अब कन्या शुल्क नहीं है, न कोई विवशता। आपसी रिश्तेदारी में जब लड़की-लड़के में प्यार या पसंद आ जाते हैं तो शादियां हो जाती हैं। (Khas of Himalaya) । यह अट्टा-सट्टा, बट्टा-सट्टा या ग्वरसांट विवाह हिमालयी खसों (Khas of Himalaya)में प्रचलन में था, जिसे बाद में यहां से संपूर्ण समाज ने अपना लिया था।


जै हिमालय, जै भारत। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार हिमालय की अदभुद विवाह प्रथा- अट्टा-सट्टा, बट्टा-सट्टा या ग्वरसांट विवाह को लेकर जानकारी लेकर आया हूं। जब तक मैं आगे बढूं, तब तक आपसे अनुरोध है कि इस हिमालयी लोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब  तथा नोटिफिकेशन की घंटी भी अवश्य दबा दीजिएगा।आप जानते ही हैं कि हिमालयी क्षेत्र के इतिहास, लोक, भाषा, संस्कृति, कला, संगीत, सरोकार आदि को देश- दुनिया के सामने रखने के लिए हिमालयीलोग चैनल लाया गया है। आप इस आलेख को हिमालयीलोग वेबसाइट में पढ़ भी सकते हैं।  अपने सुझाव ई मेल कर सकते हैं।

हिमालयी क्षेत्र के अन्व विवाहों पर भी जानकारी देता रहूंगा। यह वीडियो कैसी लगी, कमेंट में अवश्य लिखें। हिमालयीलोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब करना न भूलना। इसके टाइटल सांग – हम पहाड़ा औंला– को भी सुन लेना। मेरा ही लिखा है।  इसी चैनल में है। हमारे सहयोगी चैनल – संपादकीय न्यूज—को भी देखते रहना। अगली वीडियो का इंतजार कीजिए। तब तक जै हिमालय, जै भारत।

==================== 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here