क्या हुआ कि दिल से उतर गया कोई।
अश्क़ सा आँखों से निकल गया कोई।
उसने जाहिर की शख़्सियत उसकी।
और मेरे भीतर से...मर गया कोई।
किसी रहबर की जरूरत नहीं रही।
ऐसा सबक दे के गुज़र गया कोई।
अब भी हर बात पे रूँधता है.. गला।
कैसे कह दें कि ग़म से उबर गया कोई।
वो ख़ंज़र तो था हिफ़ाज़त के वास्ते।
और उसी से ...क़त्ल कर...
नई दिल्ली। हिंदी पत्रकारिता में भारतेंदु हरिश्चंद्र को पहला पत्रकार माना जाता है लेकिन हिंदी व् कुमाउनी के आदि कवि गुमानी पंत (जन्म 1790-मृत्यु 1846, रचनाकाल 1810 ईसवी से) ने अंग्रेजों के यहां आने से पूर्व ही 1790 से 1815 तक सत्तासीन रहे महा दमनकारी गोरखों के खिलाफ कुमाउनी के साथ ही हिंदी की खड़ी बोली में कलम चलाकर एक...
पाण्डवखोली के
समीप दूर्णागिरी
द्रोणांचल शिखर
माया-महेश्वर
प्रकृति-पुरुष
दुर्गा कालिका
क्या हो तुम
कहाँ हो तुम
सिर्फ हिमालय में
या मेरे संर्वाग में
हाहाकार करती
एक गहन इतिहास
छुपाये हिमालय की
तलहटी में वर्षो
से एक कौतुहल
एक जिज्ञासा मेरी
या अबाध आस्था
कई बार देखा या
यूँ कहो हर बार
सुबह उठकर देखा
"रानीखेत" से पल पल
पिघलते हिमालय को
कभी हरे,सफेद, धानी
कभी नांरगी बनते फिर
शाम के ढलते सूरज में
सवंरती पहाड़ियों को
वो साक्षी रही तब जब
मेरी शिकायतों के अंबार थे
किन्तु...
कुमाऊँनी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक भाषा/बोली है। इस भाषा को हिन्दी की सहायक पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है। कुमाऊँनी भारत की ३२५ मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और २६,६०,००० (१९९८) से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिलों - अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर,...
पहाड़ के दुःख
आपदा ग्रस्त असहाय लोग
खाली पड़े मकान व्
बंजर होती धरती
वीरान होते प्रखंड
बिरह अग्नि की ज्वाला
दहक रही प्रचंड
हे प्रवासी बंधुओ अब अपनी
मातृ भूमि को न होने दो खण्ड खण्ड
स्मरण रहे ये उत्तराखंड है अखंड///
जहाँ एक तरफ युवाओं का
चौपट होता भविष्य है
तो दूसरी ओर
मादक पदार्थों का
विषम विष है
दूषित होती नदियां
बर्गलाई जाती नाजुक कलियाँ
हे प्रवासी बंधुओ अब अपनी
मातृ भूमि को न...
एक नदी हूँ मैं।
हिमखंड से निकली छोटी सी धारा चलती जा रही हूँ मैं।
ना साथी कोई ना कोई सहारा बस अकेले ही सफर पर चली हूँ मैं।
मिल गए साथी भी सफर में
हो गयी थोड़ी बड़ी मैं।
हिला दिया पत्थर को बना लिया रास्ता अपना
थोड़ी जि़द्दी हो गयी हूँ मैं।
ठान ली समन्दर से मिलने की, मिल कर ही रही हूँ मैं।
कोशिश...
नेपाली या खस कुरा नेपाल की राष्ट्रभाषा है । यह भाषा नेपाल की लगभग ४४ लोगों की मातृभाषा है। यह भाषा नेपाल के अतिरिक्त भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्वी राज्यों असं असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय तथा उत्तराखण्ड के अनेक भारतीय लोगों की मातृभाषा है। भूटान, तिब्बत और म्यानमार के भी अनेक लोग यह भाषा बोलते हैं।नेपाल भाषा...
तीन दशक पहले लिखा गया यह पत्र तब मध्य हिमालयी क्षेत्र में दलितों की दयनीय हालत की कहानी बयां करता है। हालांकि तब से गंगा-यमुना में बहुत सा पानी बह गया है, पहाड़ की परिस्थितियां बद गई हैं। हम एक बार उसी दौर में लौटकर आपको तब के हालात बताना चाहते हैं।
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जोधालाल शाह ने अपनी पत्नी को लिखे कुछ...
माँ तू अब कितना बदल गई है,
माँ सच तू वही तो है न?
पहले एक चीख पर दौड़ आती थी,
मुझसे पहले दर्द तुम्हें सताता था,
बिन लोरी तेरे सो न पति थी,
एक कहती तू दस सुनाती थी,
सोचती कहीं चुप हुई और में उठ न जाऊं,
माँ अब एक लोरी को तरस रही हूँ,
सच माँ तू कितना बदल गई है।।
स्कूल से आती तू...
ए मेरे पहाड़ कब तक तू/
अपनों की वापसी के लिए गिड़गिड़ायेगा /
बहुत हुआ तू अब न अपने को यूँ तड़पाएगा/
जो गए वो अपने थे /
लौट के आएंगे ये अब सपने है/
जो बचा है उसकी परवरिश की सोच/
नयी राहों की कर तलाश /
बांस और निंगाल को तराश/
उफनती नदियों व् /
धंसती धरती पर लगा अंकुश/
बृक्षों की पाट दे अपार श्रृंखला /
पुष्पों...