परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नई दिल्ली
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दोस्तों मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश लखेड़ा इस बार आपको नेपाल की रामायण और इसके रचयिता नेपाली के आदि कवि भानुभक्त आचार्य के बारे में जानकारी दे रहा । जब तक मैं आगे बढूं, तब तक इस हिमालयी लोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइबअवश्य कर दीजिए। आप जानते ही हैं कि हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति, इतिहास, लोक, भाषा, सरोकारों आदि को देश- दुनिया के सामने रखने के लिए हिमालयीलोग चैनल लाया गया है। आप इस आलेख को हिमालयीलोग वेबसाइट में पढ़ भी सकते हैं।
नेपाली के आदि कवि भानुभक्त आचार्य को लेकर जानकारी देने से पहले मैं भारत समेत विश्व भर में प्रचलित रामायण के बारे में जानकारी दे देता हूं। विभिन्न देशों में भगवान राम की गाथा गाई जाती है। कई देशों में रामायण लिखी गई हैं। रामायण को लेकर शोध करने वाले बेल्जियम मूल के प्रो.कामिल बुल्के के अनुसार संसार भर में 300 से ज्यादा ऐसी रामकथाएं हैं जो दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में प्रचलित हैं। जबकि भगवान श्री राम से संबंधित लगभग तीन हजार लोककथाएं भी हैं।अंग्रेजी डिक्शनरी के लिए प्रसिद्ध प्रो.कामिल बुल्के ने रामकथा पर सबसे गहन शोध किया है। उन्होंने दुनियाभर की रामकथाओं का विश्लेषण कर अपना शोधग्रंथ तैयार किया था। इसी शोध ग्रंथ पर उनकी एक किताब — रामकथाः उत्पत्ति और विकास भी है। भारत के अलावा 9 और देश हैं, जहां किसी ना किसी रुप में रामकथा सुनी और गाई जाती है। कई जगह तो रामलीलाएं भी होती हैं। इनमें हिमालयी देश नेपाल भी शामिल है। भारत के बाहर रामकथाएं इस तरह हैं। कंबोडियामें रामकर, तिब्बत में तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तान में खोतानी रामायण, इंडोनेशिया में ककबिनरामायण, जावा में सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग और पातानी रामकथा, इण्डोचायना में रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैर रामायण, बर्मा (म्यांम्मार) में यूतोकी रामयागन, थाईलैंड में रामकियेन प्रमुख हैं।
भारतीय भाषाओं में भी कई रामकथाएं लिखी गयीं। हिन्दी में कम से कम 11, मराठी में 8, बांग्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं। हिंदी में गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस ने उत्तर भारत में विशेष स्थान पाया। इसके अतिरिक्त भी संस्कृत,गुजराती, मलयालम, कन्नड, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में राम कथा लिखी गयी। मूल रामकथा महर्षि वाल्मीकि की लिखी रामायण को ही माना जाता है। रामचरितमानस सहित सभी रामकथाएं वाल्मीकि रामायण से ही प्रेरित हैं।
भारत में जिस तरह ने गोस्वामी तुलसीदास की रचित रामचरित मानस प्रचलित है, उसी तरह नेपाली में लिखी भानुभक्त आचार्य की रामायण नेपाल में घर-घर प्रचलित है। उन्हें खस भाषा का आदिकवि माना जाता है। पूर्व से पश्चिम तक नेपाल का कोई ऐसा गांव अथवा कस्बा नहीं है जहां उनकी रामायण की पहुंच नहीं हो। नेपाली साहित्य में भानुभक्त कृत रामायण को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। नेपाल के लोग इसे ही अपना आदि रामायण मानते हैं। भानुभक्त आचार्य कृत रामायण को नेपाल का ‘रामचरित मानस माना जाता है। भानुभक्त का जन्म ब्राह्मण परिवार में पश्चिमी नेपाल के चुंदी- व्यासी क्षेत्र के रम्घा गांव में २९ आसाढ़ संवत १८७१ तदनुसार सन १८१४ में हुआ था। आचार्य ने अपने दादाजी श्रीकृष्ण आचार्य से घर पर शिक्षा प्राप्त की थी। उनके पिता धनंजय आचार्य एक सरकारी अधिकारी थे।
भानुभक्त की रचनाएं नेपाली भाषा में सबसे आगे हैं। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत प्रतिभा के कारण रामायण लिखी। ‘अध्यात्म रामायण’ का अनुवाद करने के बाद भी भानुभक्त ने इस कृति को उसके मूल रूप में प्रस्तुत किया। भानुभक्त से पहले नेपाली कवि नेपाली भाषा और साहित्य को इतने सहज, सरल और मौलिक रूप में प्रस्तुत नहीं कर सके थे। इसलिए भक्तिमय रामायण को नेपाली भाषा और साहित्य का प्रथम महाकाव्य कहा गया। भानुभक्त के बचपन के समय संस्कृत नेपाल में प्रमुख भाषा थी। उस समय नेपाली भाषा को महत्वहीन माना जाता था। लेकिन भानुभक्त ने नेपाली भाषा को अपनाया। उनकी रामायण संवत् १९१० तदनुसार सन १८५३ में पूरी हो गयी थी। हालांकि यह भी कहा जाता है कि रामायण के युद्धकांड और उत्तर कांड की रचना सन १८५५ में हुई थी। भानुभक्त आचार्य कृत रामायण की कथा अध्यात्म रामायण पर आधारित है। इसमें भी सात कांड हैं – बाल, अयोध्या, अरण्य, किष्किंधा, सुंदर, युद्ध और उत्तरकांड। नेपाल में रामकथा का विकास मुख्य रुप से महर्षि वाल्मीकि तथा अध्यात्म रामायण के आधार पर हुआ है।
कुछ समीक्षकों का कहना है कि भानुभक्त कृत रामायण अध्यात्म रामायण का अनुवाद है, किंतु यह यथार्थ नहीं है। तुलनात्मक अध्ययन से स्पष्ट होता है कि भानुभक्त कृत रामायण में कुल १३१७ पद हैं, जबकि अध्यात्म रामायण में ४२६८ श्लोक हैं। अध्यात्म रामायण के आरंभ में मंगल श्लोक के बाद उसके धार्मिक महत्व पर प्रकाश डाला गया है, किंतु भानुभक्त कृत रामायण सीधे शिव-पार्वती संवाद से शुरु हो जाती है। इस रचना में वे आदि से अंत तक अध्यात्म रामायण की कथा का अनुसरण करते प्रतीत होते हैं, किंतु उनके वर्णन में संक्षिप्तता है और यह उनकी अपनी भाषा-शैली में लिखी गयी है। यही उनकी सफलता और लोकप्रियता का आधार है। कहा जाता है कि भानुभक्त आचार्य रचित रामायण में अध्यात्म रामायण के उत्तर कांड में वर्णित ‘राम गीता’ को सम्मिलित नहीं किया गया था। भानुभक्त के मित्र पं. धर्मदत्त ग्यावली को इसकी कमी खटक रही थी। तब भानुभक्त मृत्यु शय्या पर पड़े थे। वे स्वयं लिख भी नहीं सकते थे। मित्र के अनुरोध पर महाकवि के अभिव्यक्त ‘राम गीता’ को उनके पुत्र रामकंठ ने लिपिबद्ध किया। इस प्रकार नेपाली भाषा की यह महान रचना पूरी हुई जो कालांतर में संपूर्ण नेपाल वासियों के घरघर पहुंच गई।
दोस्तों यह थी नेपाल की रामायण और उसके रचयिता भानुभक्त आचार्य की गाथा। अगली कड़ियों में इसी तरह के विषयों को आपके सामने लाऊंगा। यह वीडियो कैसी लगी, कमेंट में अवश्य लिखें। हिमालयीलोग चैनल को लाइक व सब्सक्राइब करना न भूलना। इसके टाइटल सांग को भी सुन लेना। मेरा ही लिखा है। इसी चैनल में है।जै हिमालय, जै भारत।
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