गुमानी पंत के साथ अन्याय क्यों कर गए हिंदी के मठाधीश
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
गुमानी पंत, कुमायुंनी व नेपाली के साथ ही खड़ी बोली के प्रथम कवि थे। परंतु, हिंदी के स्वधोषित विद्वानों ने उनको यह स्थान नहीं दिया, जिसके वे असली हकदार थे। यह जानने लायक है कि गुमानी से लगभग 60 वर्ष...
देहरादून। ‘उत्तराखंड आंदोलन : स्मृतियों का हिमालय’ पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार हरीश लखेड़ा को एक नवंबर को देहरादून के टाउन हॉल में सम्मानित किया गया । राज्य की 17वीं वर्षगांठ पर हो रहे कार्यक्रमों के तहत टाउन हॉल में यह कार्यक्रम हुआ है।
उत्तराखंड राज्य गठन के 17 साल बाद इस अभूतपूर्व आंदोलन पर समग्रता में दस्तावेजों के साथ...
पहाड़ के जजमानों में मात्र २० प्रतिशत हैं मैदानी क्षत्रिय
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
उत्तराखंड में क्षत्रियों को जजमान भी कहा जाता है। गढ़वाल के जजमान यानी राजपूतों, यानी ठाकुरों यानी क्षत्रियों के बारे में बताने से पहले मैं पहले ही साफ कर देता हूं कि यह जानकारी विभिन्न पुस्तकों से एकत्रित की गई है।...
बुक्सा जनजाति को लेकर है यह किवदंति
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा (Dr Harish Chandra Lakhera)
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली (Himalayilog)
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
बोक्सा उत्तराखंड की प्रमुख जनजाति है। उत्तराखंड में पांच प्रमख जनजातियां (Major Tribes Of Uttarakhand ) हैं। इनमें जौनसारी, भोटिया, थारू, बोक्सा और राजी जनजाति शामिल हैं। बोक्सा या बुक्सा (Boksa) नैनीताल, उधमसिंह नगर, पौड़ी एवं देहरादून में...
जीवट के धनी हैं उत्तराखंड के खसिया
- प्रोफेसर (डॉ ) गोविन्द सिंह
उत्तराखंड के खसिया यानी ठाकुर, मतलब क्षत्रिय जातियों का समूह। हालांकि इसमें यहां की अनेक ब्राह्मण जातियां भी शामिल रही हैं, लेकिन अब यह संबोधन यहां के ठाकुरों के लिए रूढ़ हो गया है। बाहर से आकर यहां बसे ब्राह्मण इस संबोधन का इस्तेमाल उन्हें नीचा दिखाने के...
गढ़वाली ब्राह्मणों का इतिहास -एक
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
मैं पहले ही साफ कर देता हूं कि मेरा उद्देश्य इतिहास की जानकारी देना मात्र है, नकि, किसी का महिमामंडन करना। मेरा यह आलेख व वीडियो गढ़वाल के पहले प्रमाणिक इतिहास लिखने वाले पं. हरिकृष्ण रतूड़ी, राहुल सांकृत्यायन, डा. शिव प्रसाद डबराल चारण, राय बहादुर...
गढ़वाली भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। गढ़वाली बोली का क्षेत्र प्रधान रूप से गढ़वाल में होने के कारण यह नाम पड़ा है। पहले इस क्षेत्र के नाम केदारखंड, उत्तराखंड आदि थे। यहाँ बहुत से गढ़ों के कारण, मध्ययुग में लोग इसे ‘गढ़वाल’ कहने लगे। ग्रियर्सन के भाषा- सर्वेक्षण के अनुसार इसके बोलने...
Uttarakhand
वसंत पंचमी: उत्तराखंड में दरबाजों पर क्यों लगाते हैं गोबर के साथ गेहूं-जौ कि बालियां
admin -
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
www.himalayilog.com / www.lakheraharish.com
E- mail- himalayilog@gmail.com
जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है। मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार वसंत पंचमी को लेकर जानकारी लेकर आया हूं।
जब तक मैं आगे बढूं, तब तक आपसे अनुरोध है कि इस हिमालयी लोग...
एक गांव में एक विधवा औरत और उसकी 6-7 साल की बेटी रहते थे। किसी प्रकार गरीबी में वो दोनों अपना गुजर बसर करते थे। एक बार माँ सुबह सवेरे घास के लिए गयी और घास के साथ काफल भी तोड़ के लायी। बेटी ने काफल देखे तो बड़ी खुश हुई। माँ ने कहा कि मैं खेत में काम...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली
देहरादून में कठमाली उन लोगों को कहा जाता है, जिनके पुरखे गढ़वाली थे और कई दशकों पहले वे देहरादून बस गए थे। यह भी कह सकते हैं कि उन्हें देहरादून में बसे सौ से ढाई सौ साल हो चुके हैं। देहरादून कुलिंद, कार्तिकेयपुर व कत्यूरी से लेकर पंवार नरेशें के समय...