नई दिल्ली, उत्तराखंड का राज्य पुष्प है ब्रह्म कमल। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी गुलाबी कमल पर बैठे होते हैं। यही गुलाबी कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प भी है। ज्यादातर लोग इस गुलाबी कमल (निलुम्बो नूसिफेरा) को ही ब्रह्म कमल मान लेते हैं। जबकि एक वर्ग का मानना है कि यह गुलाबी कमल...
खस परिवार कानून (The khasa Family Law) - प्रथम कड़ी
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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आप जानते हैं कि खस हिमालय क्षेत्र के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नेपाल, दार्जिलिंग, सिक्किम, असम समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में रहते हैं। ये लोग आर्य कुल के हैं और वैदिक आर्यों से पहले हिमालय की ढलानों पर...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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जै हिमालय, जै भारत। हिमालयीलोग के इस यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है।
मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार अफगानिस्तान के एक जंगली बकरे की दास्तां सुनाने जा रहा हूं, जिसे गढ़वाल राइफल्स में जनरल कहा गया। मेरे आगे बढ़ने तक आपसे अनुरोध है कि इस हिमालयी...
विकास चाहिए तो केंद्र पर दबाव बनाएं हिमालयी राज्य
ले. जनरल मदन मोहन लखेड़ा (पूर्व राज्यपाल मिजोरम)
जनरल लखेड़ा का मानना है कि आजादी के बाद हिमालयी राज्यों का जिस तेजी से विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है। जल और जंगल समेत अधिकतर प्राकृतिक संसाधन हिमालयी राज्यों के हैं, लेकिन उनका फायदा मैदानी लोगों को ज्यादा मिलता है। वह...
कैसे बने कुमायुंनी ब्राह्मणों के जाति संज्ञानाम
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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गढ़वाल (Garhwal) के ब्राह्मणों और जजमानों के बाद अब कुमायुं के ब्राह्मणों (Brahmins of Kumaon)के इतिहास पर यह लेख है। इसके बाद कुमायुं के जजमानों के बारे में लिखूंगा। मैं पहले ही साफ कर देता हूं कि मेरा उद्देश्य इतिहास की जानकारी देना ...
प्राचीन ग्रंथों में तपोभूमि हिमवन्त बदरीकाश्रम, उत्तराखंड केदारखण्ड आदि नाम से प्रसिद्ध भू-भाग का नाम गढ़वाल सन् 1950 ई. के आसपास पड़ा। ख्याति प्राप्त इतिहासकारों का यह मत है कि उस वक्त इस प्रदेश में बावन या चौंसठ छोटे-छोटे सामन्तशाही ठाकुरगढ़ थे। ऋग्वेद में इन गढ़ों की संख्या 100 है। इसलिए अनेक गढ़ वाले देश अर्थात गढ़वाला या गढ़वाल...
यह प्रेम कथा विश्व की महान प्रेम कथाओं में से एक तो है ही अदभुद भी। गहरी नींद में देखे सपनों में भी प्यार हो सकता है। कहानी पन्द्रहवीं शताब्दी की है। कत्यूर राजवंश के राजकुमार मालूशाही और शौका वंश की कन्या राजुला की प्रेम कथा है। इस कथा के 40 रूप मौजूद हैं।
एक बार पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के...
ढांकर को लेकर दादी-नानी से सुना कभी?
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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ढांकर को लेकर बताने से पहाड़ के यात्रामार्ग व यातायात को लेकर बात कर लेते हैं। पहाड़ में आज यातायात के लिए गाड़ी है, कार है, मोटर साइकिल है, स्कूटर है। बड़े शहरों में रेल है। देहरादून, पंतनगर के...
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साल में सिर्फ एक बार खुलते हैं मां नंदा के धर्म भाई श्री लाटू देवता के मंदिर के कपाट
admin -
चमोली। उत्तराखंड के एक देवता ऐसे भी हैं, जिनके दर्शन उनका पुजारी भी नहीं कर पाता। यह मंदिर वर्ष में सिर्फ एक बार बैशाख पूर्णिमा के दिन कुछ घंटे के लिए खुलता है। मंदिर के द्वार खोलते समय पुजारी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। इस मंदिर में किसी वीआइपी की भी नहीं चलती है। वीआइपी की छोड़िए,...
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चक्रवर्ती सन्यासी जगद्गुरु आदि शंकराचार्य : भरतखंड को एकसूत्र में बांध गया वह नंबूदरी ब्राह्मण
admin -
केदारेश्वर में चिरविश्राम कर रहे हैं आदि शंकराचार्य
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा
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जगद्गुरु आदि शंकराचार्य को भगवान भोलेनाथ शिव का अवतार माना जाता है। उनका इस धरा पर उस कालखंड में पदार्पण हुआ, जब सनातन धर्म भारत भूमि में लगातार क्षीण होता जा रहा था। उस कालखंड में सनातन धर्म यानी हिंदू धर्म को...