परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com E- mail- himalyilog@gmail.com गढ़वाल के भड़ जीतू बगड्वाल ( jeetu Bagdwal)और भरणा की प्रेम गाथा आज भी लोक में जीवंत है। इसका आज भी मंचन किया जाता है। जीतू का कालखंड गढ़ नरेश मानशाह के समय है। मानशाह ने गढ़वाल पर सन 1591 से 1610 तक शासन किया। मान्यताओं के...
तमांग ने कैसे पहचाना अपना  पति?  अरुणाचल प्रदेश की लोक-कथा परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा /हिमालयीलोग की प्रस्तुति/नयी दिल्ली दोस्तों, मैं जर्नलिस्ट डा. हरीश चंद्र लखेड़ा इस बार सुदूर प्रांत अरुणाचल प्रदेश की लोककथा आपके लिए लेकर आया हूं। जब तक मैं कहानी को लेकर आगे बढूं, इस हिमालयीलोग चैनल को लाइक और सब्सक्राइब कर दीजिए। अरुणाचल प्रदेश में तमांग नाम की...
बहुत पुरानी बात है। एक राजा की सात बेटियां थीं। एक दिन उसने अपनी बेटियों को बुलाया और पूछने लगा, ‘मैं तुम्हें कैसा लगता हूं?’ बड़ी बेटी ने कहा, ‘आप मुझे मीठे लगते हैं।’ दूसरी से पूछा तो उसने भी यही उत्तर दिया। फिर तीसरी, चौथी, पांचवीं और छठी से पूछा। उन्होंने भी यही बात दोहराई। किसी ने गुड़...
किसी जंगल में एक लोमड़ी का परिवार रहता था। जब मादा लोमड़ी गर्भवती हुई तो उसने अपने पति से घर का इंतजाम करने को कहा। इस पर पति लोमड़ी बहुर्त ंचंतित हो गया, लेकिन उसने वादा किया कि वह घर का इंतजाम जरूर कर देगा।  जब बच्चों के जन्म का समय आया तो लोमड़ी अपनी पत्नी को बाघ की...
परिकल्पना- डा. हरीश चंद्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति /नयी दिल्ली दोस्तों इस बार आपके लिए मां वैष्णोदेवी की कथा लेकर आया हूं।आप सभी ने जम्मू की वैष्णो माता का नाम अवश्य सुना होगा। इस बार मां वैष्णोदेवी की कथा और उनके पवित्र धाम तक पहुंचने का रास्ता भी बताऊंगा। मां वैष्णो देवी  की गुफा हिमालयी राज्य जम्मू-कश्मीर में है। यह गुफानुमा मंदिर...
एक गांव में एक दर्जी रहता था। उसने एक बकरी पाली हुई थी। वह बकरी बातें करती थी। उस दर्जी के तीन बेटे थे। वे दर्जी-पुत्र जब बड़े हुए तो दर्जी ने उन्हें बकरी चराने का काम सौंपा। वह बकरी दिन भर चरती और भर पेट खाती। पर जब दर्जी शाम को उस पर हाथ फेर कर उससे हाल...
प्राचीन समय की बात है एक ब्राह्मण था। वह अपने जीवन से बड़ा दुखी रहा करता था। घर में कुछ खाने को नहीं था। स्वयं को खाने के लिए कुछ था ही नहीं तो दूसरों को क्या खिलाता? नाते-रिश्तेदार भी उसी की इज्जत करते हैं जो व्यक्ति धनवान होता है। इन सब चीजों से दुखी होकर ब्राह्मण ने कहीं...
एक था सियार। एक दिन वह अपने शिकार की तलाश में जा रहा था। उसने दूर से देखा-एक आदमी एक बाघ के आगे-आगे चल रहा है। उसे दाल में कुछ काला नजर आया और वह नजर बचाकर चलने लगा। तभी उसे आदमी की आवाज़ सुनाई पड़ी, ‘मंत्री जी, मंत्री जी, जरा रुकिए।’ सियार ने अनसुनी-सी करते हुए अपनी चाल...
ताराओन से कैसे हार गया गांव का राजा परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com इस लोककथा नागकन्या (Nagkanya & Taraon )और ताराओन  से पहले हिमालयी  राज्य अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के बारे में भी जान लेते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर का राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी में -उगते सूर्य का पर्वत- है । इस...
बहुत पुरानी बात है। एक गांव में एक ब्राह्मण का बेटा बिलकुल नकारा था। कोई भी काम नहीं करता था। एक दिन उसे जब मां ने स्कूल भेजा तो वह स्कूल जाने की बजाए घर की छत में छुप गया और वहां की चिमनी से मां को रोटी बनाते देखता रहा कि मां ने कुल १० रोटियां बनाई हैं,...
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