बहुत पुरानी बात है। एक गांव में एक ब्राह्मण का बेटा बिलकुल नकारा था। कोई भी काम नहीं करता था। एक दिन उसे जब मां ने स्कूल भेजा तो वह स्कूल जाने की बजाए घर की छत में छुप गया और वहां की चिमनी से मां को रोटी बनाते देखता रहा कि मां ने कुल १० रोटियां बनाई हैं,...
काफल ! जी हां यह उत्तराखंड समेत पूरे हिमालयी क्षेत्र का प्रसिद्ध फल है। यह हिमालयी  क्षेत्र में पाया जाने वाला मध्यम ऊंचाई वाला पौधा है,  जिसका वैज्ञानिक नाम मैरिका नागी है। यह मैरिटेसि परिवार का पौधा है जो लगभग पूरे भारत में पाया जाता है। उत्तराखंड में इसे काफल के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे...
एक था सियार। एक दिन वह अपने शिकार की तलाश में जा रहा था। उसने दूर से देखा-एक आदमी एक बाघ के आगे-आगे चल रहा है। उसे दाल में कुछ काला नजर आया और वह नजर बचाकर चलने लगा। तभी उसे आदमी की आवाज़ सुनाई पड़ी, ‘मंत्री जी, मंत्री जी, जरा रुकिए।’ सियार ने अनसुनी-सी करते हुए अपनी चाल...
घुघुती -बसूती, क्या खैली, दुधभाती! याद है आपको मां की सुनाई यह लोरी घुघुती -बसूती, क्या खैली, दुधभाती, कु देलो, मां देली---- याद है आपको यह लोरी। बचपन में मां-दादी, नानी, मौसी आदि की सुनाई यह लोरी आज भी हमारे मन-मस्तिष्क में छाई है। लेकिन अब इसे हम भूलते जा रहे हैं। शहरों में रह रहे उत्तराखंडी शायद ही अपने बच्चों को इसे सुनाते...
प्राचीन समय की बात है एक ब्राह्मण था। वह अपने जीवन से बड़ा दुखी रहा करता था। घर में कुछ खाने को नहीं था। स्वयं को खाने के लिए कुछ था ही नहीं तो दूसरों को क्या खिलाता? नाते-रिश्तेदार भी उसी की इज्जत करते हैं जो व्यक्ति धनवान होता है। इन सब चीजों से दुखी होकर ब्राह्मण ने कहीं...
एक गांव में एक विधवा औरत और उसकी 6-7 साल की बेटी रहते थे। किसी प्रकार गरीबी में वो दोनों अपना गुजर बसर करते थे। एक बार माँ सुबह सवेरे घास के लिए गयी और घास के साथ काफल भी तोड़ के लायी। बेटी ने काफल देखे तो बड़ी खुश हुई। माँ ने कहा कि मैं खेत में काम...
चमोली।  उत्तराखंड के एक देवता ऐसे भी हैं, जिनके दर्शन उनका पुजारी भी नहीं कर पाता। यह मंदिर वर्ष में सिर्फ एक बार बैशाख पूर्णिमा के दिन कुछ घंटे के लिए खुलता है। मंदिर के द्वार खोलते समय पुजारी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। इस मंदिर में किसी वीआइपी की भी नहीं चलती है। वीआइपी की छोड़िए,...
ताराओन से कैसे हार गया गांव का राजा परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com इस लोककथा नागकन्या (Nagkanya & Taraon )और ताराओन  से पहले हिमालयी  राज्य अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के बारे में भी जान लेते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर का राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी में -उगते सूर्य का पर्वत- है । इस...
परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com राम बौराणी  गढ़वाली साहित्य की अमर रचना है। जिसे लगभग डेढ़ सौ साल से गाया जा रहा है और नृत्य-नाटिका भी पेश की जाती है। यह एक विरह गीत है। यह लोकगाथा गीत परदेश  गए पति के विरह की पीड़ा सह रही पहाड़ की नारी  के दर्द व वेदना...
उत्तराखंड के लोकसंगीत जानिए परिकल्पना- डा. हरीश चन्द्र लखेड़ा हिमालयीलोग की प्रस्तुति, नई दिल्ली www.himalayilog.com  / www.lakheraharish.com रणिहाट नि जाणो गजेसिंह । मेरो बोल्युं मान्याली गजेसिंह  ।। आपने यह गीत अवश्य सुना होगा। कौथिग, मेलों में इसे लोग सामूहिक तार पर गाते रहे हैं। यह गीत इस तरह है।   रणिहाट नि जाणो गजेसिंह । मेरो बोल्युं मान्याली गजेसिंह  ।। हलजोत  का दिन  गजेसिंह । तू...
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