नई दिल्ली। हिमालय संकट में है। हिमालय को बचाना है तो केंद्र व राज्य सरकारों को चाहिए कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में जाने वाले पर्यटकों की संख्या नियंत्रित हो। हर साल 10 करोड़ लोग हिमालय जा रहे हैं। इससे भी हिमालय पर संकट है। हिमालय को ग्लोबल वॉर्मिंग से बचाना ही होगा अन्यथा पूरा भारत मुश्किल में होगा। पीने के पानी का विशाल संकट हो जाएगा। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में लगभग अस्सी करोड़ लोग पानी के लिए हिमालयी ग्लेशियरों पर निर्भर हैं. यदि हिमालय नहीं रहा तो सब कुछ खत्म हो जाएगा।
हिमालय को पर्यटन स्थाम बनाने से रोकना होगा। हर साल 10 करोड़ लोग हिमालय जा रहे हैं। ये पर्यटक हिमालय को गन्दा करके आ जाते हैं। उनके लाखों वाहन भी हिमालय में प्रदूषण फैला रहे हैं इससे भी हिमालय पर संकट है। यूपीए सरकार के समय के पर्यटन मंत्री जाया राम रमेश भी हिमालय और जंगलों में पर्यटकों की संख्या को नियंत्रित करने के पक्ष में थे। स्विटजरलैंड में ऐसा ही है ,
पर्यावरण पर एक रिपोर्ट पहले ही कहा चुकी है कि दुनिया भर में 1950 से लेकर अब तक 95 फ़ीसदी ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए इंसान ही ज़िम्मेदार है. स्टॉकहोम में कुछ साल पहले पेश की गई इस रिपोर्ट में कहा गया था कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से दुनिया के तापमान में और वृद्धि होगी.
ये रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संघ की समीति ने तैयार की थी.. ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से दुनिया भर में ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं और ज़ाहिर है इस तरह का ख़तरा हिमालय के क्षेत्र में मौजूद ग्लैशियरों पर भी है.
हिमालय के सुन्दर पहाड़ अब बढ़ते हुए प्रदूषण की क़ीमत चुका रहे हैं. प्रदूषण से वातावरण में गर्मी बढ़ी है और अब इसका असर साफ़ तौर पर नज़र आने लगा है.
पहले संयुक्त राष्ट्र की समिति का विचार था कि ये अगले कुछ दशकों में समाप्त हो जाएंगे. लेकिन संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ख़तरा अभी भी बना हुआ है और इनपर स्थानीय स्तर का प्रदूषण भी अहम रोल अदा कर रहा है.अमरीकी एजेंसी नासा के मुताबिक़ हिमालय पर धुंए के बादल जो अकसर दिखाई देते हैं वो स्थानीय प्रदूषण का ही नतीजा है. वाहनों से निकले वाला धुंए, जंगल की आग और लकड़ी के चूल्हे से निकलने वाला धूंए जैसे प्रदूषण से भी ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार तेज़ हो रही है. भारत में 15 करोड़ से अधिक लोग इसी तरह के चूल्हों का इस्तेमाल करते हैं जिनमें ज्यादातर ग़रीब लोग शामिल हैं. अब हिमालय में बढ़ता पर्यटन भी इसका सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है।